तेजस्वी यादव ने की नेता प्रतिपक्ष पद से इस्तीफे की पेशकश, आरजेडी विधायक दल ने कहा- ...तो हम सब देंगे त्यागपत्र
By एस पी सिन्हा | Published: July 4, 2019 04:12 PM2019-07-04T16:12:09+5:302019-07-04T16:12:09+5:30
तेजस्वी यादव ने नेता प्रतिपक्ष के पद से इस्तीफा देने की पेशकश की है. इसके बाद राजद विधायक दल की आपात बैठक हुई, जिसमें इसे अस्वीकार कर दिया गया.
राजद के नेता तेजस्वी यादव ने विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के पद से इस्तीफे की पेशकश की है. इस पर राजद के विधायकों ने फैसला किया है कि अगर तेजस्वी इस्तीफा देते हैं तो हम तमाम लोग विधानसभा से इस्तीफा दे देंगे. विधायकों ने इस बाबत एक अहम बैठक की है. इसमें यह निर्णय लिया गया है. हलांकि, राजद विधायक दल ने इसे अस्वीकार कर दिया है. लोकसभा चुनाव 2019 में राजद की अगवाई वाले महागठबंधन को बिहार में लगे जबर्दस्त झटके के बाद महागठबंधन के नेता उबर नहीं पा रहे हैं. कांग्रेस को महज एक सीट से संतोष करना पड़ा। वहीं, कभी बिहार पर राज करने वाली राजद का खाता भी नहीं खुल सका. राजद ने तेजस्वी यादव के नेतृत्व में चुनाव लड़ा था. ऐसे में हार की जिम्मेदारी भी तेजस्वी पर आ गई. लोकसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद तेजस्वी काफी समय तक राजनीतिक पटल से गायब रहे. विपक्षियों ने इस पर सवाल भी उठाए.
राजद ने तेजस्वी यादव का नहीं स्वीकार किया इस्तीफा
मिली जानकारी के अनुसार तेजस्वी यादव ने नेता प्रतिपक्ष के पद से इस्तीफा देने की पेशकश की है. इसके बाद राजद विधायक दल की आपात बैठक हुई, जिसमें इसे अस्वीकार कर दिया गया. बैठक में निर्णय लिया गया कि अगर इसके बावजूद तेजस्वी यादव नहीं मानते हैं तो पार्टी के सभी विधायक विधानसभा से इस्तीफा दे देंगे. इस बाबत राजद विधायक भाई वीरेंद्र ने कहा कि विधायक दल की बैठक में तेजस्वी यादव को इस्तीफा देने से मन किया गया है. पार्टी नेता एज्या यादव ने कहा कि तेजस्वी उनके नेता हैं और रहेंगे. जबकि राजद नेता शक्ति यादव ने कहा कि तेजस्वी को नहीं, बिहार के बदहाल हालात के लिए जिम्मेदार राजग के नेताओं को इस्तीफा देना चाहिए.
तेजस्वी की कार्यशैली में राजद के कई बड़े नेता हुये खफा
यहां उल्लेखनीय है कि लोकसभा चुनाव में हार के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पद से इस्तीफा दे दिया है. इसके बाद कांग्रेस के मुख्य सचेतक राजेश कुमार ने कहा कि राहुल गांधी की तरह गठबंधन के अन्य लोग भी फैसला लें. उन्होंने राजद व अन्य सहयोगी दलों से ऐसी अपेक्षा की. राजेश कुमार ने कियर का नाम तो नहीं लिया, लेकिन माना जा रहा है कि उनका इशारा विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव की ओर था. लोकसभा चुनाव में हार के बाद तेजस्वी यादव बिहार की राजनीति से दूर लंबे अज्ञातवास में रहे. इस बीच कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के चुनाव में हार की जिम्मेदारी लेकर इस्तीफ देने से तेजस्वी पर दबाव बढ़ गया है. राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव की अनुपस्थिति में तेजस्वी यादव पार्टी की कमान संभाल रहे हैं. लेकिन उनकी कार्यशैली से कई बड़े नेताओं में नाराजगी है. उनके अचानक लापता हो जाने पर पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह ने कहा था कि शायद वे वर्ल्ड कप क्रिकेट देख रहे होंगे. लालू प्रसाद यादव के करीबी माने जाने वाले विधायक भाई वीरेंद्र आज तेजस्वी के इस्तीफे की पेशकश को खारिज करते हैं, लेकिन उन्होंने ने पहले यहां तक कहा था कि किसी के रहने या न रहने से पार्टी को कोई फर्क नहीं पड़ता है.
तेजस्वी में लालू वाली बात नहीं: जीतनराम मांझी
वहीं, लोकसभा चुनाव में हार के बाद से महागठबंधनके घटक दलों के बीच एकता बनाना कठिन हो गया है. राष्ट्रीय लोक समता पार्टी प्रमुख उपेन्द्र कुशवाहा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार के खिलाफ अपनी पदयात्रा अलग कर रहे हैं. पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा हो या कांग्रेस, एईएस से मौत के मसले पर वह राजद के साथ धरना-प्रदर्शन करते नजर नहीं आ रहे हैं. 'हम' प्रमुख जीतन राम मांझी ने तेजस्वी यादव के अनुभवहीन बताते हुए कहा कि उनमें नेतृत्व करने की क्षमता नहीं हैं, अभी उन्हें बहुत कुछ सीखना है. मांझी ने कहा कि तेजस्वी में लालू वाली बात नहीं है. ऐसे में जानकारों का मानना है कि अब यह स्पष्ट है कि पार्टी के अंदर-बाहर के चौतरफा दबाव के बीच तेजस्वी यादव ने इस्तीफा की पेशकश की है. हालांकि, राजद ने इस प्रस्ताव के अस्वीकार कर उन्हें राहत दी है.