महाराष्ट्र फार्मूला अपनाकर तेजस्वी यादव बन सकते हैं बिहार के मुख्यमंत्री, राज्य में तेज हुई चर्चाएं
By एस पी सिन्हा | Published: February 24, 2023 03:52 PM2023-02-24T15:52:52+5:302023-02-24T15:54:21+5:30
बिहार विधानसभा में राजनीतिक दलों के संख्या बल को देखें तो राजद के 79 विधायक हैं। जबकि जदयू के 44 विधायक हैं। वहीं कांग्रेस के 19 और वामदलों के 16 के अलावा जीतन राम मांझी के हम के 4 और निर्दलीय के 1 विधायक हैं। वहीं दूसरी और भाजपा के 78 विधायक हैं। सदन में बहुमत के लिए 122 विधायक चाहिए।
पटना: बिहार की सियासत में क्या एक बार फिर से बड़ा उलटफेर होने वाला है? होली के बाद क्या बिहार में भी "खेला होबे! तेजस्वी यादव क्या मुख्यमंत्री बन जाएंगे? इस तरह के कयास बिहार के सियासी गलियारे में लगाये जाने लगे हैं। चर्चा है कि जिस तरह से महाराष्ट्र में भाजपा ने शिवसेना से शिंदे गुट को अलग कर उन्हें विधानसभा में अलग से मान्यता दिलवा दी थी। इसके बाद अपना समर्थन देकर भाजपा ने सरकार बना ली। क्या तेजस्वी यादव भी जदयू के साथ ऐसा कर सकते हैं? सरकार में अगर कोई उठापटक होती है तो गेमचेंजर सिर्फ तेजस्वी यादव हो सकते हैं।
उल्लेखनीय है कि अगस्त 2022 में जब नीतीश कुमार ने राजग से अलग होकर महागठबंधन के साथ मिलकर बिहार में सरकार बनाई थी, उसके बाद से लगातार यह चर्चा चल रही है कि तेजस्वी यादव बिहार के मुख्यमंत्री कब बनेंगे? राजद और जदयू के कई नेताओं ने पिछले कुछ महीनों के दौरान लगातार इसे लेकर अलग-अलग तरीके की बयानबाजी की है। हालांकि पहले जदयू अध्यक्ष ललन सिंह और अब खुद तेजस्वी यादव ने इससे इनकार किया है कि बिहार में मुख्यमंत्री बदलने वाले हैं। लेकिन राजनीतिक जानकारों की मानें तो तेजस्वी भले यह कह रहे हों कि उन्हें मुख्यमंत्री बनने की जल्दी नहीं है। लेकिन सच्चाई यह है कि राजद की ओर से हर उस विकल्प को टटोला जा रहा है, जिससे तेजस्वी यादव जल्द मुख्यमंत्री बन जाएं।
यही कारण है कि राजद विधायक विजय मंडल ने दावा किया है कि होली के बाद तेजस्वी यादव बिहार के मुख्यमंत्री होंगे। बिहार विधानसभा में राजनीतिक दलों के संख्या बल को देखें तो राजद के 79 विधायक हैं। जबकि जदयू के 44 विधायक हैं। वहीं कांग्रेस के 19 और वामदलों के 16 के अलावा जीतन राम मांझी के हम के 4 और निर्दलीय के 1 विधायक हैं। वहीं दूसरी और भाजपा के 78 विधायक हैं। सदन में बहुमत के लिए 122 विधायक चाहिए। राजद अगर कांग्रेस, वामदल, हम और निर्दलीय का समर्थन हासिल भी कर ले तो उसकी संख्या 119 होगी। यानी बहुमत से थोडा कम। ऐसे में राजद के पास एक विकल्प बचता है, जिससे वह बहुमत का आंकड़ा जुटा ले। इसमें या तो जदयू को तोड़ दिया जाए या फिर भाजपा में टूट डाली जाए। यहां वही फार्मूला अपनाया जा सकता है जो फार्मूला महाराष्ट्र में भाजपा ने शिवसेना के साथ अपनाया था।
अगर जदयू के 10 विधायकों को तोड़ दिया जाता है तो राजद के पास पर्याप्त बहुमत आ जाएगा। जदयू के 10 विधायक टूटते हैं तो उन्हें अलग गुट की मान्यता सदन में दी जा सकती है। चुकी विधानसभा अध्यक्ष राजद के हैं तो यह कराना राजद के लिए आसान होगा। इसी तरह से महाराष्ट्र में शिंदे गुट को मान्यता मिली थी। वहीं दूसरी ओर अगर भाजपा के 20 विधायक टूटते हैं तो उन्हें भी सदन में अलग गुट की मान्यता मिल सकती है। इससे राजद इन विधायकों के समर्थन से तेजस्वी को मुख्यमंत्री बनाने में सफल हो सकता है। राजद के दिग्गज नेता खुलकर कुछ भी बोलने से बच रहे हैं, लेकिन ऑफ द रिकॉर्ड यह जरूर स्वीकार कर रहे हैं कि राजनीति में कभी भी कुछ भी संभव है। तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाना है तो जुगाड में लगना ही होगा।