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तेजस्वी ने मॉनसून सत्र के पहले दिन बिहार सरकार पर निशाना साथा

By भाषा | Updated: July 26, 2021 15:44 IST

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पटना, 26 जुलाई राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजद) नेता तेजस्वी यादव ने सोमवार को आरोप लगाया कि बिहार में निर्वाचित प्रतिनिधियों के सम्मान पर उच्चस्तरीय नौकरशाही हमला कर रही है, जिसे नीतीश कुमार सरकार ने खुली छूट दी हुई है।

उन्होंने राजद के नेतृत्व वाले पांच दलों के महागठबंधन के सभी विधायकों की बैठक की अध्यक्षता करने के तुरंत बाद मानसून सत्र के पहले दिन विधानसभा परिसर के बाहर पत्रकारों से बात करते हुए यह बात कही।

विपक्ष के नेता ने कहा, ''यह शर्मनाक है कि भगत सिंह की शहादत के लिए याद की जाने वाली तारीख पर सदन के माननीय सदस्यों को पुलिस कर्मियों ने जूते से मारा और महिला विधायकों को शारीरिक रूप से घसीटा।''

यादव 23 मार्च की उस घटना का जिक्र कर रहे थे जब विपक्षी विधायकों ने विशेष सशस्त्र पुलिस को और मजबूत करने के उद्देश्य से एक विधेयक के विरोध में विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा को उनके कक्ष के अंदर बंधक बना लिया था। महागठबंधन ने इसे काला कानून बताया था। जब यह लग रहा था कि मार्शल स्थिति को संभाल नहीं पा रहे तो पुलिस को बुलाया गया और कार्यवाही शुरू होने से पहले अनियंत्रित विधायकों को घसीटकर बाहर कर दिया गया। विपक्ष की अनुपस्थिति में विधेयक पारित किया गया।

कांग्रेस, भाकपा, माकपा और भाकपा (माले) सहित महागठबंधन में शामिल दलों के नेताओं के साथ आए यादव ने खेद व्यक्त किया कि इस घटना के संबंध में उन्होंने आज दिन में जो एक प्रस्ताव पेश किया था, उसे ठुकरा दिया गया।

उन्होंने कहा, ''यह रिकॉर्ड में दर्ज हो गया है। स्पीकर ने कहा कि आज कामकाज केवल दिवंगतों को श्रद्धांजलि देने तक ही सीमित रहेगा। हालात ऐसे हो गए हैं कि विपक्ष के नेता द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव पर बहस के लिए भी विचार नहीं किया जाता है।''

उन्होंने कहा, “लेकिन हमें आसन पर पूरा भरोसा है। हम बाद में स्पीकर से मिले और उन्हें बताया कि कल हम एक नहीं, बल्कि दो प्रस्ताव पेश करेंगे। उन्होंने मौखिक आश्वासन दिया है कि हमारी आवाज सुनी जाएगी।''

विधानसभा में फेस मास्क और यहां तक कि हेल्मेट पहनकर आए विपक्षी विधायकों द्वारा व्यक्त किये गए रोष का बचाव करते हुए, यादव ने कहा, “हमने उस विवादास्पद बिल का विरोध करके कोई गलती नहीं की थी। उच्चतम न्यायालय ने हाल में कहा है कि ऐसा प्रतीत होता है कि बिहार में कानून राज की जगह पुलिस राज ने ले ली है। पटना उच्च न्यायालय ने इस सरकार को नासमझ बताया है।''

उन्होंने दोहराया कि 23 मार्च की घटना के लिए दो कांस्टेबलों का निलंबन एक ढकोसला था।

राजद नेता से जाति-आधारित जनगणना की मांग के बारे में भी पूछा गया तो उन्होंने, ''मैं आपसे कल तक प्रतीक्षा करने का अनुरोध करता हूं जब हम दो प्रस्ताव पेश करेंगे।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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