पटना: सुशील मोदी ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा 10 फीसदी आर्थिक कमजोर वर्ग के लिए दिये आरक्षण के फैसले को सही ठहराये जाने के बाद आरोपों की झड़ी लगाकर राजद कड़ी आलोचना की है। सुशील मोदी ने राजद द्वारा संसद में ईडब्लूएस आरक्षण के विरोध का जिक्र करते हुए सवाल खड़ा किया कि अब लालू यादव की पार्टी किस मुंह से सवर्णों से वोट मांगने जाएगी।
आरक्षण के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी की जीत बताते हुए सुशील मोदी ने अपने ट्वीटर हैंडल से वीडियो जारी करते हुए राजद की तीखी मजम्मत करते हुए कैप्शन दिया, "राजद ने ईडब्लूएस के 10 फीसदी आरक्षण के विरोध में संसद के दोनों सदनों में मतदान किया था। राजद अब किस मुंह से सवर्णो से वोट मांगने जाएगी।"
वीडियो में राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने कहा, "भारत के सुप्रीम कोर्ट ने बहुमत से नरेंद्र मोदी के उस फैसले पर अपनी वैधता की मुहर लगा दी। जिसके द्वारा ऊंची जाति के गरीब लोगों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने का निर्णय लिया गया था। हम इस निर्णय के लिए नरेंद्र मोदी सरकार को धन्यवाद देते हैं साथ ही साथ बिहार की राष्ट्रीय जनता दल ऐसी पार्टी थी, जिसने संसद के दोनों सदनों में 103वें संविधान संशोधन विधेयक का विरोध किया था। बिहार के अंदर राजद किस मुंह से गरीब सवर्णों से वोट मांगने के लिए जाएगी। जबकि उसने संसद में इसका विरोध किया था और राजद के साथ-साथ इंडियन मुस्लिम लीग और डीएमके ये तीन ऐसी पार्टियां थी, जिन्होंने लोकसभा और राज्यसभा में ऊंची गरीब जाति के लोगों के आरक्षण का विरोध किया था और आम आदमी पार्टी ने इस निर्णय के विरोध में सदन का बहिष्कार कर दिया था। अब राजद और आप को देश की ऊंची जाति की गरीब जनता को इसका जवाब देना पड़ेगा कि इन लोगों क्यों इस निर्णय का विरोध किया था। साथ ही साथ मुझे इस बात की प्रसन्नता है कि सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले से साबित कर दिया है कि मोदी सरकार के इस फैसले से संविधान का मूल ढांचा है, वो कहीं भी प्रभावित नहीं होता है। साथ ही साथ 50 फीसदी आरक्षण को यथावत लागू रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 10 फीसदी इडब्लूएस आरक्षण का फैसला दिया है, जो स्वागत योग्य फैसला है।"
मालूम हो कि नरेंद्र मोदी सरकार ने साल 2019 में 103वें संवैधानिक संशोधन के जरिए संसद में गरीब सवर्णों को भी आरक्षण की सुविधा प्रदान की थी। जिसके विरोध में दायर की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के संवैधानिक पीठ ने 3-2 के अंतर से केंद्र सरकार के फैसले से 103वें संवैधानिक संशोधन को सही ठहराते हुए ईडब्लूएस आरक्षण के लिए अपनी रजामंदी दे दी है।
सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश उदय यू ललित और न्यायाधीश रवींद्र भट ने केंद्र द्वारा किये गये 103वें संवैधानिक संशोधन पर असहमति व्यक्त की, जबकि न्यायाधीश दिनेश माहेश्वरी, बेला त्रिवेदी और जेबी पारदीवाला ने संविधान में सभी को समान अवसर की अवधारण पर बल देते हुए केंद्र सरकार के फैसले को सही ठहराया है।