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बिहार: 'समान काम समान वेतन' मामले में सुप्रीम कोर्ट आज सुना सकता है फैसला, तकरीबन 4 लाख नियोजित शिक्षक होंगे प्रभावित

By पल्लवी कुमारी | Updated: May 10, 2019 09:28 IST

बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ ने साल 2009 में नियोजित शिक्षकों के लिए समान काम समान वेतन की मांग करते हुए याचिका पटना हाइकोर्ट में दाखिल की थी। लंबी सुनवाई के बाद पटना हाइकोर्ट ने 31 अक्तूबर, 2017 को बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के पक्ष में फैसला दिया था।

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ठळक मुद्देबिहार राज्य सरकार ने फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में पहले 11 याचिकाओं पर सुनवाई की थी और फैसला सुरक्षित रख लिया था।

बिहार के नियोजित शिक्षकों के समान काम, समान वेतन वाले मामले पर सुप्रीम कोर्ट (10 मई) को सुनवाई करेगा। सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर इस केस की सुनवाई आज की ही दी हुई है। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आज सुबह 10.30 बजे हो सकता है। पटना हाईकोर्ट ने नियोजित शिक्षकों के हक में फैसला दिया था। सुप्रीम कोर्ट नंबर 6  में जस्टिस अभय मनोहर सप्रे और जस्टिस अभय ललित इस मामले में फैसला सुना सकते हैं। 

पटना हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए बिहार सरकार को निर्देश दिया था कि वो शिक्षकों को समान वेतन दें। जिसके बाद राज्य सरकार ने पटना हाईकोर्ट के फैलले को सुप्रीन कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। सुप्रीम कोर्ट ने साल 2019 के अक्टूबर में इसपर फैसला सुरक्षित रख लिया था। जस्टिस अभय मनोहर सप्रे और जस्टिस उदय उमेश ललित की खंडपीठ में इस मामले की अंतिम सुनवाई की थी। इस मामले पर तकरीबन सात महीने बाद फैसला आने वाला है। इस फैसले से बिहार के तकरीबन चार लाख शिक्षक प्रभावित होंगे। 

बिहार में समान काम के लिए समान वेतन को लेकर नियोजित शिक्षक काफी समय से आंदोलन कर रहे हैं

बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ ने साल 2009 में नियोजित शिक्षकों के लिए समान काम समान वेतन की मांग करते हुए याचिका पटना हाइकोर्ट में दाखिल की थी। लंबी सुनवाई के बाद पटना हाइकोर्ट ने 31 अक्तूबर, 2017 को बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के पक्ष में फैसला दिया था।  माध्यमिक शिक्षक संघ के पक्ष में फैसला सुनाते हुए बिहार सरकार को निर्देश दिया था कि वो शिक्षकों को समान वेतन दें। बिहार राज्य सरकार ने फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। 

सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में पहले 11 याचिकाओं पर सुनवाई की थी। जिसके बाद जस्टिस अभय मनोहर सप्रे और जस्टिस उदय उमेश ललित की खंडपीठ में इस मामले की अंतिम सुनवाई कर 3 अक्टूबर 2018 को फैसला सुरक्षित रख लिया था।

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