उच्चतम न्यायालय ने जीयूवीएनएल की याचिका पर अडानी पावर से जवाब मांगा

By भाषा | Updated: September 30, 2021 17:10 IST2021-09-30T17:10:01+5:302021-09-30T17:10:01+5:30

Supreme Court seeks response from Adani Power on GUVNL's plea | उच्चतम न्यायालय ने जीयूवीएनएल की याचिका पर अडानी पावर से जवाब मांगा

उच्चतम न्यायालय ने जीयूवीएनएल की याचिका पर अडानी पावर से जवाब मांगा

नयी दिल्ली, 30 सितंबर उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को अडानी पावर (मुंद्र) लिमिटेड को गुजरात ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड (जीयूवीएनएल) की ओर से दाखिल सुधारात्मक (क्यूरेटिव) याचिका पर तीन सप्ताह में जवाब देने को कहा। इस याचिका में वर्ष 2019 के शीर्ष अदालत के उस फैसले को चुनौती दी गई जिसमें निजी कंपनी द्वारा राज्य के सार्वजनिक उपक्रम से हुए करार को खत्म करने को बरकरार रखा गया था।

प्रधान न्यायाधीश एनवी रमण की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने वाणिज्यिक विवाद के संबंध में दाखिल क्यूरटिव याचिका पर खुली अदालत में दुलर्भ सुनवाई की और अडानी पावर की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे और मुकुल रोहतगी के अनुरोध पर संज्ञान लिया जिसमें उन्होंने जीयूवीएनएन की याचिका पर जवाब दाखिल करने के लिए कुछ और समय मांगा था।

पीठ ने आदेश में कहा, ‘‘प्रतिवादी (अडानी पावर) ने याचिका पर जवाब दाखिल करने के लिए कुछ समय देने का अनुरोध किया है। तीन सप्ताह का समय जवाब दाखिल करने के लिए दिया जाता है और उसके बाद दो सप्ताह का समय वादी (जीयूवीएनएल) को प्रति जवाब देने के लिए दिया जाता है। इसके साथ मामले की अगली सुनवाई 17 नवंबर सूचीबद्ध की जाती है।’’

इस पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति यूयू ललित, न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड, न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत शामिल हैं।

शीर्ष अदालत ने सरकारी कंपनी की ओर से अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल के पेश होने के बाद उपभोक्ता शिक्षा एंव अनुसंधान सोसाइटी और एक सुनील बी ओझा का नाम पक्षकारों की सूची से हटाने का आदेश दिया।

गौरतलब है कि 17 सितंबर को एक उल्लेखनीय घटनाक्रम में पीठ ने जीयूवीएनएल सुधारात्मक याचिका पर खुली अदालत में सुनवाई करने का फैसला किया। उद्योग के अनुमान के मुताबिक अडानी समूह को 11 हजार करोड़ रुपये का मुआवजा दिया जाना है।

पीठ ने 30 सितंबर को हुई सुनवाई के दौरान कहा था, ‘‘हमने क्यूरटिव याचिका और संबंधित दस्तावेजों का अध्ययन किया है। प्रथमदृष्टया हमारा विचार है कि क्यूरटिव याचिका में ठोस कानूनी सवाल उठाए गए हैं जिसपर विचार करने की जरूरत है।’’

गौरतलब है कि जुलाई 2019 में तीन न्यायाधीशों की पीठ ने फैसला सुनाया था कि अडानी समूह द्वारा वर्ष 2009 में बिजली खरीद समझौता या पीपीए को रद्द करने का दिया गया नोटिस वैध और मान्य है।

शीर्ष अदालत ने केंद्रीय बिजली नियामक आयोग (सीईआरसी) को आदेश दिया कि वह राज्य की सार्वजनिक उपक्रम को अडानी समूह द्वारा आपूर्ति की गई बिजली के लिए प्रतिपूरक शुल्क तय करे।

अडानी पावर (मुंद्रा) लिमिटेड ने वर्ष 2007 में जीयूवीएनएल से बिजली खरीद समझौता किया था जिसके तहत उसे छत्तीसगढ़ के कोरबा स्थित अपने संयंत्र से एक हजार मेगावाट बिजली की आपूर्ति करनी थी। हालांकि, अडानी समूह ने यह कहकर समझौता रद्द कर दिया कि गुजरात खनिज विकास निगम कोयले की आपूर्ति नहीं कर रहा है और दावा किया कि बिजली देने के समझौते में कोयले की आपूर्ति की शर्त शामिल थी।

पीपीए को रद्द करने को जीयूवीएनएल ने गुजरात बिजली नियामक आयोग में चुनौती दी जिसने करार रद्द करने को गैर कानूनी करार दिया। हालांकि, शीर्ष अदालत ने आयोग के फैसले को पलट दिया।

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Web Title: Supreme Court seeks response from Adani Power on GUVNL's plea

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