सुप्रीम कोर्ट ने अनुराग ठाकुर के 'देश के गद्दारों को...' दिये भाषण पर एफआईआर न दर्ज होने पर दिल्ली पुलिस कमिश्नर को जारी किया नोटिस

By आशीष कुमार पाण्डेय | Updated: April 17, 2023 21:23 IST2023-04-17T21:18:11+5:302023-04-17T21:23:37+5:30

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर और भाजपा सांसद प्रवेश वर्मा द्वारा दिये गये विवादित भाषण एवं बयान के संबंध में सुनवाई करते हुए कहा कि निचली अदालत के तर्क के बावजूद आपराधिक दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 196 के तहत एफआईआर दर्ज करने के लिए किसी मंजूरी की आवश्यकता नहीं थी।

Supreme Court seeks reply from Delhi Police Commissioner for not registering FIR on Anurag Thakur's statement 'traitors of the country...' | सुप्रीम कोर्ट ने अनुराग ठाकुर के 'देश के गद्दारों को...' दिये भाषण पर एफआईआर न दर्ज होने पर दिल्ली पुलिस कमिश्नर को जारी किया नोटिस

फाइल फोटो

Highlightsसुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर और भाजपा सांसद प्रवेश वर्मा के बयान पर की बेहद सख्त टिप्पणीसुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस आयुक्त से तीन हफ्ते के भीतर जवाब तलब किया हैसुप्रीम कोर्ट हेट स्पीच के मामले में बृंदा करात और केएम तिवारी की याचिका पर सुनवाई कर रहा है

दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर और भाजपा सांसद प्रवेश वर्मा के खिलाफ कथित विवादित भाषण और बयान के खिलाफ केस न दर्ज करने के मजिस्ट्रेट के फैसले पर बेहद तल्ख टिप्पणी की है। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दोनों नेताओं के खिलाफ एफआईआर नहीं दर्ज होने पर दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस आयुक्त से तीन हफ्ते के भीतर जवाब तलब किया है।

सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस बीवी नागरत्ना की बेंच ने कहा कि निचली अदालत के तर्क के बावजूद आपराधिक दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 196 के तहत एफआईआर दर्ज करने के लिए किसी मजिस्ट्रेट के मंजूरी की आवश्यकता नहीं थी।

केंद्रीय मंत्री ठाकुर द्वारा ‘देश के गद्दारों...’ पर बेहद सख्त टिप्पणी करते हुए जस्टिस जोसेफ ने कहा, “गद्दार का मतलब देशद्रोही है, मुझे विश्वास है कि वाक्यांश में जिस गोली शब्द का प्रयोग किया गया है, वह दवा के नुस्खे के संदर्भ में नहीं है।”

देश की सर्वोच्च अदालत जून 2022 के दिल्ली हाईकोर्ट के उस फैसले के खिलाफ दायर की अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसे भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की नेता बृंदा करात और केएम तिवारी ने अनुराग ठाकुर और प्रवेश वर्मा के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में दायर की थी लेकिन हाईकोर्ट ने उनकी याचिका को खारिज कर दिया था। हाईकोर्ट ने खारिज करते हुए तर्क दिया था कि भाजपा नेताओं के खिलाफ निचली अदालत द्वारा एफआईआर दर्ज करने के लिए केस को पहले ही खारिज कर दिया है।

मालूम हो कि मौजूदा सूचना एवं प्रसारण मंत्री एवं तत्कालीन केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर ने 27 जनवरी 2020 को दिल्ली की एक चुनावी जनसभा में बेहद आपत्तिजनक नारे लगाये थे। मंत्री ठाकुर ने भाषण के दौरान देश के गद्दारों को.... के नारे लगवाए थे। वहीं भाजपा सांसद प्रवेश वर्मा ने भी मीडिया से बातचीत करते हुए अनुराग ठाकुर की कही आपत्तिजनक बातों को दोहराया था।

इस मामले में वृंदा करात के वकील सिद्धार्थ अग्रवाल ने कहा कि चुनाव आयोग ने उस वक्त अनुराग ठाकुर के भाषण और प्रवेश वर्मा के बयान को आपत्तिजनक स्पीच का संज्ञान देते हुए चुनाव प्रचार से प्रतिबंधित कर दिया था। 

Web Title: Supreme Court seeks reply from Delhi Police Commissioner for not registering FIR on Anurag Thakur's statement 'traitors of the country...'

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