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सुप्रीम कोर्ट ने अर्नब गोस्वामी के खिलाफ दर्ज मामले की जांच सीबीआई को सौंपने से इनकार किया

By विनीत कुमार | Updated: May 19, 2020 12:32 IST

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अर्नब गोस्वामी से जुड़े पालघर मामले में कराये गए शुरुआती प्राथमिकी निरस्त करने से इंकार किया है। कोर्ट ने साथ ही इन एफआईआर को लेकर कार्रवाई पर भी तीन हफ्ते की रोक लगाई है।

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ठळक मुद्देअर्नब गोस्वामी के खिलाफ दर्ज एफआईआर की जांच सीबीआई अभी नहीं करेगी, सुप्रीम कोर्ट का इनकारएफआईआर के संबंध में कार्रवाई को लेकर अर्नब को मिली कोर्ट से राहत, अदालत ने तीन हफ्ते के लिए लगाई रोक

सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र के पालघर में भीड़ द्वारा साधुओं की पीट पीट कर हत्या के मामले से संबंधित कार्यक्रम को लेकर रिपब्लिक टीवी के प्रधान संपादक अर्नब गोस्वामी के खिलाफ दर्ज प्राथिमकी की जांच सीबीआई को सौंपने से इनकार कर दिया है।

कोर्ट ने मंगलवार को सुनवाई के दौरान पालघर मामले से संबंधित 21 अप्रैल के उनके कार्यक्रम के सिलसिले में अर्नब गोस्वामी के खिलाफ दर्ज शुरुआती प्राथमिकी भी निरस्त करने से भी इंकार किया है। जस्टिस धनन्जय वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एम आर शाह की पीठ ने कहा कि अर्नब गोस्वामी प्राथमिकी निरस्त कराने के लिये सक्षम अदालत जायें। कोर्ट साथ ही अर्नब को अगले तीन सप्ताह दंडात्मक कार्रवाई से संरक्षण भी दिया है।

दरअसल, पालघर में भीड़ द्वारा साधुओं की पीट-पीटकर हत्या के मामले पर एक समाचार शो में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के खिलाफ कथित अपमानजनक बयान को लेकर अर्नब के खिलाफ प्राथमिकियां दर्ज कराई गयी हैं।

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 11 मई को निर्देश दिया था कि मुंबई पुलिस द्वारा दर्ज नयी प्राथमिकी में गोस्वामी के खिलाफ कोई निरोधक कार्रवाई नहीं होनी चाहिए। अर्नब गोस्वामी ने दावा किया था कि मुंबई पुलिस ने कथित मानहानि वाले बयानों के संबंध में दर्ज प्राथमिकी के सिलसिले में उनसे 12 घंटे से अधिक समय तक पूछताछ की थी और उनके खिलाफ मामले में जांच कर रहे दो अधिकारियों में से एक को कोविड-19 के संक्रमण की पुष्टि हुई है। 

वहीं, महाराष्ट्र सरकार ने भी शीर्ष अदालत में आरोप लगाया कि गोस्वामी शीर्ष अदालत द्वारा प्राप्त संरक्षण का दुरुपयोग कर रहे हैं और पुलिस को धमका रहे हैं। पिछली सुनवाई में गोस्वामी की ओर से वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने सुनवाई के दौरान दलील दी थी कि पूरा मामला एक राजनीतक दल द्वारा एक पत्रकार को निशाना बनाने का है क्योंकि शिकायती एक पार्टी विशेष के सदस्य हैं।

(भाषा इनपुट)

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