सहमति से बने रिश्ते में खटास आना या प्रेमी जोड़े के बीच दूरी बन जाना आपराधिक प्रक्रिया शुरू करने का आधार नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने कहा-केवल अदालतों पर बोझ डालता

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: May 26, 2025 23:06 IST2025-05-26T23:06:14+5:302025-05-26T23:06:53+5:30

व्यक्ति पर यह आरोप लगाया गया था कि उसने शादी का झूठा वादा कर एक महिला से बलात्कार किया था।

Supreme Court said Souring consensual relationship separation lovers not ground initiate criminal proceedings only burdens courts | सहमति से बने रिश्ते में खटास आना या प्रेमी जोड़े के बीच दूरी बन जाना आपराधिक प्रक्रिया शुरू करने का आधार नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने कहा-केवल अदालतों पर बोझ डालता

सांकेतिक फोटो

Highlightsशुरुआत में शादी करने का झूठा वादा किया गया हो।अक्सर बातचीत करते थे और उन्हें प्रेम हो गया।सामना न करना पड़े और इसलिए कार्यवाही रद्द की जाती है।

नई दिल्लीः उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि सहमति से बने रिश्ते में खटास आना या प्रेमी जोड़े के बीच दूरी बन जाना आपराधिक प्रक्रिया शुरू करने का आधार नहीं हो सकता और यह ‘‘न केवल अदालतों पर बोझ डालता है, बल्कि आरोपी के दामन को भी दागदार करता है।’’ उच्चतम न्यायालय ने यह टिप्पणी जुलाई 2023 में महाराष्ट्र में एक व्यक्ति के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले को खारिज करते हुए की। व्यक्ति पर यह आरोप लगाया गया था कि उसने शादी का झूठा वादा कर एक महिला से बलात्कार किया था।

न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने कहा कि भले ही प्राथमिकी में लगाये गए आरोपों को सही माना जाए, लेकिन रिकॉर्ड से ऐसा नहीं लगता है कि शिकायतकर्ता की सहमति उसकी इच्छा के विरुद्ध और केवल शादी करने के वादे पर ली गई थी। पीठ ने कहा, ‘‘हमारे विचार से, यह ऐसा मामला नहीं है, जिसमें शुरुआत में शादी करने का झूठा वादा किया गया हो।

सहमति से बने रिश्ते में खटास आना या पार्टनर के बीच दूरियां आना, आपराधिक प्रक्रिया शुरू करने का आधार नहीं हो सकता।’’ न्यायालय ने कहा, ‘‘इस तरह का आचरण न केवल अदालतों पर बोझ डालता है, बल्कि ऐसे जघन्य अपराध के आरोपी व्यक्ति के दामन को दागदार भी करता है।’’

पीठ ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने बार-बार प्रावधानों के दुरुपयोग के खिलाफ आगाह किया है और यह कहा है कि विवाह के वादे के हर उल्लंघन को झूठा वादा मानकर बलात्कार के अपराध में व्यक्ति के खिलाफ मुकदमा चलाना ‘अविवेकपूर्ण’ है। शीर्ष अदालत ने आरोपी द्वारा दायर अपील पर अपना फैसला सुनाया, जिसमें बंबई उच्च न्यायालय के जून 2024 के आदेश को चुनौती दी गई थी।

उच्च न्यायालय ने सतारा में बलात्कार सहित कथित अपराधों के लिए उसके खिलाफ दर्ज मामले को रद्द करने की उसकी याचिका खारिज कर दी थी। न्यायालय ने कहा कि यह मामला महिला की शिकायत पर दर्ज किया गया है, जिसने आरोप लगाया है कि जून 2022 से जुलाई 2023 के दौरान आरोपी ने शादी का झूठा वादा कर उसके साथ जबरन यौन संबंध बनाए।

हालांकि, आरोपी ने आरोपों से इनकार किया था। पीठ ने कहा कि प्राथमिकी दर्ज होने के बाद आरोपी ने अग्रिम जमानत के लिए निचली अदालत का दरवाजा खटखटाया, जिसे अगस्त 2023 में मंजूर कर लिया गया। न्यायालय ने कहा कि आरोपी और शिकायतकर्ता जून 2022 से एक दूसरे से परिचित थे और उसने खुद स्वीकार किया कि वे अक्सर बातचीत करते थे और उन्हें प्रेम हो गया।

पीठ ने कहा, ‘‘यह विश्वास करने लायक नहीं है कि शिकायतकर्ता ने विवाह का वादा कर अपीलकर्ता (आरोपी) के साथ शारीरिक संबंध बनाए, जबकि महिला पहले से ही किसी और से विवाहित थी।’’ शीर्ष अदालत ने अपील स्वीकार कर ली और उच्च न्यायालय के आदेश को रद्द कर दिया। पीठ ने कहा, ‘‘यह ध्यान में रखते हुए कि अपीलकर्ता की आयु मात्र 25 वर्ष है, न्याय के हित में यह होगा कि उसे आसन्न मुकदमे का सामना न करना पड़े और इसलिए कार्यवाही रद्द की जाती है।’’ 

Web Title: Supreme Court said Souring consensual relationship separation lovers not ground initiate criminal proceedings only burdens courts

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे