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सुप्रीम कोर्ट ने अबू सलेम की सजा के मामले में कहा, "25 साल की सजा पूरी होने के बाद उसे रिहा करने के लिए बाध्य है सरकार"

By आशीष कुमार पाण्डेय | Updated: July 11, 2022 12:40 IST

विशेष टाडा अदालत से मिले आजीवन कारावास की सजा काट रहे अबू सलेम ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि साल 2002 में पुर्तगाल से प्रत्यर्पण के समय भारत सरकार ने पुर्तगाल सरकार को यह वचन दिया था कि उसकी सजा 25 साल से अधिक नहीं हो सकती है।

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ठळक मुद्देसुप्रीम कोर्ट ने कहा, अबू सलेम को सजा की अवधि पूरा होने के बाद केंद्र सरकार को रिहा करना होगाभारत ने पुर्तगाल को यह वचन दिया था कि सलेम की सजा 25 साल से अधिक नहीं हो सकती हैस्पेशल टाडा कोर्ट ने अबू सलेम को 1995 में मुंबई के बिल्डर प्रदीप जैन की हत्या में सजा सुनाई थी

दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कुख्यात अपराधी अबू सलेम के मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि केंद्र के लिए पुर्तगाल प्रत्यर्पण की शर्तें बाध्यकारी हैं, इसलिए अबू सलेम को 25 साल की सजा की अवधि पूरा होने के बाद रिहा करना होगा।

सलेम ने कोर्ट से कहा था कि साल 2002 में पुर्तगाल से प्रत्यर्पण के समय भारत सरकार ने पुर्तगाल सरकार को यह वचन दिया था कि उसकी सजा 25 साल से अधिक नहीं हो सकती है।

सुप्रीम कोर्ट में मामले में सुनवाई करते हुए जस्टिस एसके कौल और जस्टिस एमएम सुंदरेश की बेंच ने कहा कि केंद्र सरकार इस मामले में राष्ट्रपति को सलाह देने के लिए बाध्य है कि वो संविधान के अनुच्छेद 72 के तहत शक्ति का प्रयोग करें और उसकी सजा के संबंध में की गई राष्ट्रीय प्रतिबद्धता को पूरा करें।

बेंच ने कहा, "सजा की 25 साल की अवधि पूरी होने के एक महीने के भीतर उसकी रिहाई से संबंधित आवश्यक कागजात को राष्ट्रपति के पास भेजने के लिए सीआरपीसी के तहत मिली छूट की शक्ति का प्रयोग कर सकती है।"

मालूम हो कि 25 फरवरी 2015 को स्पेशल टाडा अदालत ने अबू सलेम को 1995 में मुंबई के बिल्डर प्रदीप जैन की उनके ड्राइवर मेहंदी हसन समेत हत्या के मामले में दोषी पाते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।

उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ के सरायमीर का रहने वाला अबू सलेम मुंबई बम धमाके के मुख्य अपराधियों में से एक था। उसे पुर्तगाल के लिस्बन की पुलिस ने अभिनेत्री मोनिका बेदी के साथ पकड़ा था और इंटरपोल की मदद से केंद्रीय जांच ब्यूरो को इस शर्त पर सौंपा था कि उसे भारत में आतंकी गतिविधियों के लिए फांसी की सजा नहीं दी जा सकती है।

अबू सलेम पर आरोप था कि उसने मुंबई बम धमाके के दौरान फिल्म अभिनेता संजय दत्त को 4 एके 65 राइफल और हथगोले फिल्म प्रोड्यूसर समीर हिंगोरा की मदद से उनके बंगले पर पहुंचाये थे। मुंबई पुलिस को जब इस बात का पता चला तो संजय दत्त मॉरिशस में फिल्म आतिश की शूंटिंग कर रहे थे।

मुंबई पुलिस के बुलावे पर दत्त को वापस इंडिया आना पड़ा और उन्हें गिरफ्तार किया गया। बाद में संजय दत्त को भी आर्म एक्ट के तहत मामले में सजा हुई और वो सजा पूरी करके जेल से छूटे लेकिन सलेम आज भी सलाखों के पीछे है और आजीवन कारावास की सजा पूरी करने के बाद रिहाई की उम्मीद लगाये बैठा है। (समाचार एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)

टॅग्स :अबू सलेमसुप्रीम कोर्टTada
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