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नफरत फैलाने पर वाले पर कसे नकेल, वजाहत खान पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा-नागरिकों को भाषण-अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार की अहमियत समझनी चाहिए

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: July 14, 2025 17:17 IST

न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ वजाहत खान नामक व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई कर रही है।

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ठळक मुद्देखान के खिलाफ पश्चिम बंगाल समेत कई राज्यों में प्राथमिकी दर्ज हैं।हिंदू देवता के खिलाफ आपत्तिजनक पोस्ट करने का आरोप है।14 जुलाई तक किसी भी दंडात्मक कार्रवाई से अंतरिम संरक्षण प्रदान किया था।

नई दिल्लीः उच्चतम न्यायालय ने भाषण एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के संबंध में दिशानिर्देशों पर विचार करते हुए कहा कि नागरिकों को भाषण एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की अहमियत समझनी चाहिए और आत्म-नियमन का पालन करना चाहिए। न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ वजाहत खान नामक व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई कर रही है। खान के खिलाफ पश्चिम बंगाल समेत कई राज्यों में प्राथमिकी दर्ज हैं। उस पर ‘एक्स’ पर एक हिंदू देवता के खिलाफ आपत्तिजनक पोस्ट करने का आरोप है।

शीर्ष अदालत ने 23 जून को खान को 14 जुलाई तक किसी भी दंडात्मक कार्रवाई से अंतरिम संरक्षण प्रदान किया था। खान ने एक अन्य ‘सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर’ शर्मिष्ठा पनोली के खिलाफ एक वीडियो में कथित तौर पर सांप्रदायिक टिप्पणी करने के लिए शिकायत दर्ज कराई थी। उसके वकील ने शीर्ष अदालत में कहा कि ऐसे पोस्ट के जवाब में आपत्तिजनक टिप्पणियां नहीं की जानी चाहिए।

न्यायमूर्ति नागरत्ना ने कहा, ‘‘नागरिकों को भाषण एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार की अहमियत समझनी चाहिए। वैसे तो कोई नहीं चाहता कि राज्य हस्तक्षेप करे, लेकिन उल्लंघन की स्थिति में सरकार कदम उठा सकती है।’’ न्यायमूर्ति नागरत्ना ने कहा, ‘‘सोशल मीडिया पर इन सभी विभाजनकारी प्रवृतियों पर रोक लगानी होगी।’’

हालांकि पीठ ने स्पष्ट किया कि उसका मतलब सेंसरशिप नहीं है। पीठ ने नागरिकों की भाषण एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर दिशानिर्देश तय करने पर विचार करते हुए कहा, ‘‘ नागरिकों के बीच भाईचारा होना चाहिए।’’ पीठ ने संविधान के अनुच्छेद 19 (2) के तहत भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर उचित प्रतिबंधों को रेखांकित करते हुए कहा कि ये पाबंदियां ‘सही ही लगायी गयी हैं।’’

इस बीच, पीठ ने खान को गिरफ्तारी से दिये गये अंतरिम संरक्षण को मामले की अगली सुनवाई तक बढ़ा दिया और वकील से नागरिकों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के स्व-नियमन के बड़े मुद्दे से निपटने में उसकी सहायता करने को कहा। खान को नौ जून को कोलकाता पुलिस ने गिरफ्तार किया था।

उसने यह आरोप लगाते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया है कि उसके कुछ पुराने ट्वीट को लेकर असम, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र और हरियाणा समेत कई राज्यों में उसके खिलाफ प्राथमिकी और शिकायतें दर्ज की गई हैं। उसने तर्क दिया कि ये प्राथमिकियां उसके द्वारा पनोली के खिलाफ दर्ज कराई गई शिकायत के जवाब में दर्ज की गईं, जिसे गिरफ्तारी के बाद जमानत पर रिहा कर दिया गया है।

खान की ओर से उसके वकील ने अपने मुवक्किल की ओर से कहा, ‘‘ मैंने सारे ट्वीट हटा दिये हैं और माफी भी मांग ली है। ’’ खान के वकील ने उसकी तरफ से कहा कि शायद ‘उसने जैसा किया, उसी का फल भुगत रहा है।’ उसके वकील ने दलील दी कि याचिकाकर्ता के हिसाब से पहली प्राथमिकी दो जून की है।

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