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सुप्रीम कोर्ट ने एफटीआईआई से कहा, छात्र के कलर ब्लाइंड होने के कारण उसका एडमिशन नहीं रोक सकते

By आशीष कुमार पाण्डेय | Updated: April 12, 2022 21:52 IST

सुप्रीम कोर्ट ने एफटीआईआई को आदेश दिया कि वह संस्थान में चलाये जा रहे सभी कोर्सेड में कलर ब्लाइंड को एडमिशन दे। कोर्ट ने यह आदेश उस याचिकाकर्ता के केस में सुनवाई करते हुए दिया है जिसे साल 2015 में एफटीआईआई में फ़िल्म एडिटिंग कोर्स के लिए चुना गया था, लेकिन कलर ब्लाइंडनेस के कारण संस्थान ने उस छात्र को एडमिशन देने से मना कर दिया था।

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ठळक मुद्देपटना के आशुतोष ने 2015 में एफटीआईआई के फ़िल्म एडिटिंग कोर्स का एग्जाम पास किया था लेकिन कलर ब्लाइंड होने के कारण संस्थान ने आशुतोष को प्रवेश देने से मना कर दियासंस्थान के फैसले के खिलाफ आशुतोष बॉम्बे हाईकोर्ट गये लेकिन वहां उनका याचिका खारिज हो गई

दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए पुणे के फ़िल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एफटीआईआई) को आदेश दिया है कि वह कलर ब्लाइंड (रंगों की पहचान में असमर्थ) लोगों को फ़िल्म प्रोडक्शन से कोर्सेज में एडमिशन लेने से नहीं रोक सकता है।

कोर्ट ने इसके साथ ही एफटीआईआई को आदेश दिया कि वह संस्थान में चलाये जा रहे सभी कोर्सेड में कलर ब्लाइंड को एडमिशन दे। कोर्ट ने यह आदेश उस याचिकाकर्ता के केस में सुनवाई करते हुए दिया है जिसे साल 2015 में एफटीआईआई में फ़िल्म एडिटिंग कोर्स के लिए चुना गया था, लेकिन कलर ब्लाइंडनेस के कारण संस्थान ने उस छात्र को एडमिशन देने से मना कर दिया था।

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस संजय किशन कौल की बेंच ने मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि फ़िल्म निर्माण एक कला है। अगर कलर ब्लाइंडनेस के कारण किसी छात्र को सिखने में परेशानी आती है तो वह अपनी परेशानी दूर करने के लिए दूसरे छात्र से सहयोग ले सकता है।

कोर्ट ने कहा कि कलर ब्लाइंडनेस के कारण संस्थान किसी को अयोग्य नहीं ठहरा सकता है। हालांकि, कोर्ट ने इसके साथ ही एफटीआईआई को इस बात की भी अनुमति दी है कि वह याचिकाकर्ता छात्र आशुतोष कुमार के एडमिशन के संबंध में अपनी आपत्ति पर एफिडेविट दाखिल कर सकता है।

दरअसल सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपनी याचिका में आशुतोष ने बताया कि था कि एफटीआईआई फिल्म और टीवी की अलग-अलग विधाओं में कुल 12 कोर्सेड चलाता है, जिनमें 6 कोर्सेज में संस्थान कलर ब्लाइंड छात्रों को प्रवेश नहीं देता है।

याचिकाकर्ता के वकील कॉलिन गोंजाल्विस ने सुप्रीम कोर्ट के साल 2017 और 2018 के उन आदेशों का हवाला दिया, जिसमें कोर्ट ने कलर ब्लाइंड और कम देखपाने वाले छात्रों को एमबीबीएस में एडमिशन देने का आदेश दिया था।

जनवरी में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में एक विशेषज्ञ कमिटी का गठन किया था। जिसमें नेत्र चिकित्सा विशेषज्ञ के अलावा फिल्म के क्षेत्र से भी लोगों को शामिल किया गया था। इस कमेटी ने भी छात्र के एडमिशन में कोई आपत्ति नहीं उठाई।

जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने आज एफटीआईआई को आदेश दिया कि वो अपने सभी कोर्सेज में कलर ब्लाइंड छात्रों को प्रवेश दे और इस आधार पर किसी छात्र को पढ़ाई करने से नहीं रोका जा सकता है।

मालूम हो कि पटना के रहने वाले आशुतोष कुमार को साल 2015 में एफटीआईआई में फ़िल्म एडिटिंग कोर्स के लिए एग्जाम दिया था। जिसमें उनका चयन भी हो गया था। लेकिन कलर ब्लाइंड होने के कारण संस्थान में मेडिकल आधार पर आशुतोष को इंस्टीट्यूट में प्रवेश देने से मना कर दिया।

जिसके बाद आशुतोष इस मामले को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट में गये थे लेकिन हाईकोर्ट ने अपने फैसले में एफटीआईआई के निर्णय को नियमों के मुताबिक बताते हुए आशुतोष के दाखिले को रद्द किये जाने को सही ठहराया था। जिसके बाद आशुतोष सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे, जहां से आज उन्हें एफटीआईआई में दाखिले के लिए हरी झंडी मिल गई। 

टॅग्स :सुप्रीम कोर्टबॉम्बे हाई कोर्ट
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