सबरीमाला विवाद पर सोमवार (13 जनवरी 2020) को सुप्रीम कोर्ट को 9 जजों की बेंच ने संकेत दिए हैं कि सबरीमाला पर अदालत पहले सुनवाई करेगी और उसके बाद नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 जैसे मुद्दों पर विचार करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कोर्ट पहले आस्था और मौलिक अधिकारों पर फैसला पहले करेगी।
टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी खबर के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट को 9 जजों की बेंच की अध्यक्षता मुख्य न्यायाधीश एस.ए. बोबडे कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के जाने का मामला वर्षों पुराना है। इसलिए इसका फैसला पहले करना चाहिए। सीएए और आर्टिकल 370 पर बाद में सुनवाई की जा सकती है।
कोर्ट ने सबरीमाला पर सुनवाई के लिए तीन हफ्ते बाद का वक्त दिया था। जिसपर वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह और राजीव धवन ने आपत्ति जताई थी। दोनों वरिष्ठ अधिवक्ता का कहना था कि सबरीमाला मुद्दे को बाद में सुनवाई करने से सीएए और 370 हटाने जैसे जरूरी मुद्दों पर सुनवाई के लिए वकीलों को समय नहीं मिल पाएगा।
CJI की अध्यक्षता वाली पीठ ने सीएए की वैधता को चुनौती देने वाली बड़ी संख्या में याचिकाओं पर विचार किया था और केंद्र से सुनवाई की अगली तारीख 22 जनवरी तक जवाब दाखिल करने को कहा था। न्यायमूर्ति एनवी रमन्ना की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच ने आर्टिकल 370 के विशेष प्रावधानों को हटाने के खिलाफ याचिकाओं पर 21 जनवरी को सुनवाई करने वाली थी।
बता दें कि सबरीमाला भारत के दक्षिण राज्य, केरल में भगवान अयप्पा का मंदिर है। हर साल यहां 80 लाख से भी ज्यादा श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं। केरल के सबरीमाला पर्वत श्रृंखला पर स्थित यह मंदिर स्वामी अयप्पा को समर्पित है। सुप्रिम कोर्ट के फैसले के बाद इस मंदिर में 12 से 50 साल की उम्र की महिलाएं भी अब प्रवेश कर सकती हैं। इससे पहले सिर्फ पुरूष ही इस मंदिर और स्वामी अयप्पा के दर्शन कर सकते थे।