हाईकोर्ट के फैसले को लेकर सुप्रीम कोर्ट के जज बोले, फैसला सरल भाषा में लिखें, थीसिस की तरह नहीं, जानें मामला
By भाषा | Updated: March 14, 2021 15:19 IST2021-03-14T15:17:35+5:302021-03-14T15:19:33+5:30
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की गई थी. इस पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी की. एक सरकारीकर्मी पर दुराचार का आरोप था.

जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि फैसला ऐसा लिखा होना चाहिए जो आसानी से समझ में आए. (file photo)
नई दिल्लीः हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने एक मामले में ऐसा फैसला दिया, जिसे पढ़कर सुप्रीम कोर्ट के जज का सिर चकरा गया.
फैसला लिखने की शैली को लेकर शीर्ष अदालत ने कहा कि फैसला बेहद सरल भाषा में लिखा जाना चाहिए न कि थेसिस की तरह. हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की गई थी. इस पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी की. एक सरकारीकर्मी पर दुराचार का आरोप था.
यह मामला पहले ट्रिब्यूनल में गया था और फिर हाईकोर्ट पहुंचा. मामले में सुनवाई के दौरान जस्टिस चंद्रचूड़ ने जस्टिस कृष्णाअय्यर को कोट किया. उन्होंने कहा कि सुबह 10 बजकर 10 मिनट से मैंने फैसला पढ़ना शुरू किया और यह 10 बजकर 55 मिनट पर खत्म हुआ.
इस तरह उलझी हुई भाषा में फैसला लिखे जाने से समझने में भारी दिक्कत होती है. जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि फैसला ऐसा लिखा होना चाहिए जो आसानी से समझ में आए. साधारण शब्दों का इस्तेमाल होना चाहिए. 18 पेज के फैसले में जो आधार बताया गया है, वह समझ से बाहर है.
सुप्रीम कोर्ट में अब सिर्फ एक महिला न्यायाधीश
न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा की सेवानिवृत्ति के बाद उच्चतम न्यायालय में अब सिर्फ एक महिला न्यायाधीश ही रह गई हैं. इसे न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ ने शनिवार को बहुत ही चिंतित करने वाली स्थिति बताते हुए गंभीर आत्मावलोकन करने की जरूरत बताई. न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने न्यायमूर्ति मल्होत्रा को सम्मानित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट यंग लॉयर्स फोरम द्वारा आयोजित एक विदाई समारोह में ये बातें कही.
न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा शनिवार को शीर्ष न्यायालय से सेवानिवृत्त हो गईं. न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा, ''न्यायमूर्ति मल्होत्रा की सेवानिवृत्ति का यह मतलब है कि शीर्ष न्यायालय में अब सिर्फ एक महिला न्यायाधीश ही पीठ में रह गई हैं. एक संस्था के तौर पर, मैं इसे बहुत ही चिंतित करने वाला तथ्य पाता हूं और इसका अवश्य ही गंभीर आत्मावलोकन करने की जरूरत है.''
उन्होंने कहा, ''एक संस्था के तौर पर, जिसके फैसले रोजाना भारतीयों के जीवन पर असर डालते हैं, हमें अवश्य ही बेहतर करने की जरूरत है. हमें अवश्य ही हमारे देश की विविधता सुनिश्चित करनी होगी, जो हमारी अदालतों में झलकनी चाहिए.'' न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा, ''कहीं अधिक विविधता भरी न्यायपालिका लोगों में अधिक विश्वास की भावना लाती है.''
न्यायमूर्ति मल्होत्रा ने महिला वकीलों से कहा था-कृपया फैशनेबल कपड़े नहीं पहनिये न्यायमूर्ति मल्होत्रा ने इस अवसर पर कहा कि एक वकील के तौर पर यह जरूरी है कि आप अत्यधिक पेशेवर व्यवहार करें. मैंने न्यायाधीश बनने के बाद बार कक्ष में महिला वकीलों द्वारा बुलाए जाने के बाद एक मुद्दा उठाया था. मैंने कहा था कि कृपया फैशनेबल कपड़े नहीं पहनिये, उसे आप शाम के लिए रखिये, ना कि काम पर आने के लिए. आपको अवश्य ही पेशे के अनुरूप कपड़े पहनने चाहिए.
दूसरी बात यह कि आप को याचिका को स्पष्ट रूप से और संक्षेप में लिखना जरूर सीखना चाहिए.'' न्यायमूर्ति मल्होत्रा ने 27 अप्रैल 2018 को शीर्ष न्यायालय की न्यायाधीश के तौर पर पदभार ग्रहण किया था. उन्होंने ऐतिहासिक सबरीमला मंदिर मामले की सुनवाई करने वाली पीठ में असहमति वाला अपना फैसला सुनाया था. इसके अलावा, उन्होंने कई महत्वपूर्ण फैसले भी सुनाए.