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सुप्रीम कोर्ट ने MSTC को आम्रपाली ग्रुप की कुर्क संपत्ति की नीलामी करने का दिया आदेश

By भाषा | Updated: October 15, 2019 05:54 IST

न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और यू यू ललित की पीठ ने इस संबंध में कोर्ट रिसीवर वरिष्ठ अधिवक्ता आर. वेंकटरमण की आम्रपाली समूह की कुर्क की गई संपत्तियों की नीलामी किये जाने के सुझाव को स्वीकार कर लिया।

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ठळक मुद्देउच्चतम न्यायालय ने सोमवार को सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी मेटल स्क्रैप ट्रेड कार्पोरेशन (एमएसटीसी) को आम्रपाली समूह की कंपनियों और उनके निदेशकों की कुर्क संपत्तियों की नीलामी करने का आदेश दिया है।एमएसटीसी से कहा गया है कि संपत्तियों की नीलामी से प्राप्त राशि को शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री में जमा किया जाये।

उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी मेटल स्क्रैप ट्रेड कार्पोरेशन (एमएसटीसी) को आम्रपाली समूह की कंपनियों और उनके निदेशकों की कुर्क संपत्तियों की नीलामी करने का आदेश दिया है। एमएसटीसी से कहा गया है कि संपत्तियों की नीलामी से प्राप्त राशि को शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री में जमा किया जाये।

उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि कुर्क संपत्तियों की नीलामी से मिलने वाली राशि से बंद पड़ी आम्रपाली समूह की अटकी पड़ी आवासीय परियोजनाओं को जल्द पूरा करने में मदद मिलेगी। इससे परियोजनाओं में घर खरीदारों के विश्वास को बहाल किया जा सकेगा।

न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और यू यू ललित की पीठ ने इस संबंध में कोर्ट रिसीवर वरिष्ठ अधिवक्ता आर. वेंकटरमण की आम्रपाली समूह की कुर्क की गई संपत्तियों की नीलामी किये जाने के सुझाव को स्वीकार कर लिया। शीर्ष अदालत ने कुर्क संपत्तियों से संबंधित दस्तावेजों को एमएसटीसी को उपलब्ध कराने का निर्देश देते हुये कहा कि कंपनी संपत्तियों की नीलामी कर प्राप्त राशि को उच्चतम न्यायालय की रजिस्ट्री में जमा करायेगी। कुर्क संपत्तियों के दस्तावेज कर्ज वसूली न्यायाधिकरण के पास हैं।

शीर्ष अदालत ने ओडिशा राज्य आवास बोर्ड से भी कहा है कि वह 34 करोड़ रुपये उसकी रजिस्ट्री में जमा करा दे। यह राशि आम्रपाली समूह ने एक आवासीय परियोजना को विकसित करने के लिये बोर्ड के पास जमा कराई थी।

न्यायालय ने कहा कि आम्रपाली समूह द्वारा जमा कराई गई राशि को जब्त नहीं किया जा सकता है क्योंकि यह राशि घर खरीदारों की है जिसका रीयल एस्टेट कंपनी ने दुरुपयोग करते हुये अन्यत्र इस्तेमाल किया। इसी प्रकार उच्चतम न्यायालय ने रायपुर विकास प्राधिकरण से भी कहा है कि वह भी 19 करोड़ रुपये शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री में जमा कराये।

शीर्ष अदालत ने सुरेखा समूह द्वारा मकान खरीदारों के धन को जमा कराने के बारे में उसके आदेश का पालन नहीं किये जाने पर गहरी नाराजगी जताई और सुरेखा समूह के निदेशकों विष्णु सुरेखा, नवनीत सुरेखा और अखिल सुरेखा को निर्देश दिया कि यदि उन्होंने छह सप्ताह के भीतर रजिस्ट्री में 167 करोड़ रुपये जमा नहीं कराये तो वह दो दिसंबर को न्यायालय में उपस्थित रहें।

उच्चतम न्यायालय ने इस मामले में नोएडा प्राधिकरण को भी किसी तरह का अधिकार सृजित करने अथवा आम्रपाली हर्टबीट सिटी की जमीन को अलग करने से रोका है। इस जमीन के पट्टे को प्राधिकरण ने हाल ही में निरस्त किया है।

न्यायालय ने आम्रपाली और अन्य की हर्टबीट सिटी परियोजना के बारे में फारेंसिक आडिटर्स की तीसरी रिपोर्ट को भी रिकार्ड पर लिया। इससे पहले 11 सितंबर को शीर्ष अदालत ने आम्रपाली समूह के घर खरीदारों को चेतावनी देते हुये कहा था कि बकाया चुकाने को लेकर उनकी अनिच्छा से वित्तीय तंगी के चलते अटकी पड़ी परियोजनाओं को बंद किया जा सकता है। 

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