नई दिल्ली, 13 अप्रैल। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया द्वारा महद्वपूर्ण केसों के आवंटन के अधिकारों के मामले में दायर की गई याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई के लिए तैयार हो गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट में केसों के आवंटन से जुड़ी रोस्टर प्रणाली को लेकर मतभेद की स्थिति बनी हुई है। सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया यानी भारत के मुख्य न्यायाधीश के केसों के आवंटन के अधिकारों पर सवाल उठ रहे हैं। इस मामले दाखिल एक याचिका की सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट तैयार हो गया है।
न्यायमूर्ति ए के सिकरी और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पीठ ने अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल और अतिरिक्त सालिसीटर जनरल तुषार मेहता से इस याचिका पर सुनवाई में मदद करने का आग्रह किया है। याचिका में दलील दी गयी है कि प्रधान न्यायाधीश सुनवाई के लिये मुकदमों का आवंटन करने के अधिकार का मनमाने तरीके से इस्तेमाल नहीं कर सकते।
यह घटना शीर्ष अदालत के चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों , न्यायमूर्ति जे चेलामेश्वर , न्यायमूर्ति रंजन गोगोई , न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर और न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ की संयुक्त प्रेस कांफ्रेस से संबंधित है जिसमे उन्होंने प्रधान न्यायाधीश पर मनमाने तरीके से मुकदमों का आबंटन करने का आरोप लगाया था।
इससे पहले बीती 6 अप्रैल को CJI के मास्टर ऑफ रोस्टर के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी। पूर्व कानून मंत्री शांति भूषण की ओर से दाखिल की गई इस याचिका में कहा गया है कि CJI अकेले केसों को जजों को आवंटित नहीं कर सकते बल्कि कॉलेजियम में शामिल जजों को ये फैसला करना चाहिए।
इसके अलावा याचिका में कहा गया है कि इस जनहित याचिका की सुनवाई मुख्य न्यायधीश की बेंच न करें बल्कि तीन वरिष्ठ जजों की बेंच करें। गौरतलब है कि कुछ समय पहले सुप्रीम कोर्ट के पांच वरिष्ठ जजों ने भी इसी प्रकार की बात कही थी। इन जजों का आरोप था कि वरिष्ठ जजों को उचित केस आवंटित नहीं किए जा रहे हैं। इनके विरोध के बाद न्याय व्यवस्था पर भी सवाल उठे थे।