ओबीसी के 27 फीसदी आरक्षण के मुद्दे पर सोमवार को सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई, जानें क्या है मामला
By शीलेष शर्मा | Updated: March 19, 2021 17:52 IST2021-03-19T17:46:34+5:302021-03-19T17:52:58+5:30
ग़ौरतलब है कि सर्वोच्च न्यायालय ने ओबीसी को 27 फ़ीसदी आरक्षण को गैर संवैधानिक बताते हुये कहा कि आरक्षण की सीमा 50 फ़ीसदी से अधिक नहीं हो सकती है।

जन प्रतिनिधियों के चुनाव को अवैध किये जाने के मामले पर पुनः सुनवाई को तैयार हो गया है।
नई दिल्लीः सर्वोच्च न्यायालय द्वारा महाराष्ट्र के स्थानीय निकाय चुनावों में 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण के तहत चुने गए जन प्रतिनिधियों के चुनाव को अवैध किये जाने के मामले पर पुनः सुनवाई को तैयार हो गया है।
प्राप्त खबरों के अनुसार यह सुनवाई सोमवार को होगी। न्यायमूर्ति ए एन खानविलकर ने आज लंबी बहस का संज्ञान लेते हुए उन प्रतिनिधियों की याचिका को इस मामले में शामिल करने की बात स्वीकारी कि जो सर्वोच्च न्यायालय के 4 मार्च के फ़ैसले से सर्वाधिक प्रभावित हुये हैं, उनको बिना सुने ही उनके चुनाव को अवैध घोषित किया गया है, जो न्याय के सिद्धांत के अनरूप नहीं है।
ग़ौरतलब है कि सर्वोच्च न्यायालय ने ओबीसी को 27 फ़ीसदी आरक्षण को गैर संवैधानिक बताते हुये कहा कि आरक्षण की सीमा 50 फ़ीसदी से अधिक नहीं हो सकती है। सर्वोच्च न्यायालय ने जिला परिषद् एवं पंचायत समिति एक्ट 1961 को भी अवैध घोषित कर दिया जिसमें 27 फ़ीसदी आरक्षण देने का प्रावधान था।
महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री सुनील केदार अपने अन्य साथियों के साथ कल से लगातार देश के चुनिंदा वकीलों से विचार विमर्श करते रहे ताकि सर्वोच्च न्यायालय के फ़ैसले से प्रभावित हुये चुने गये स्थानीय निकाय के जन प्रतिनिधियों का तर्क सुनने और उनको पूरे मामले में पक्षकार बनाया जा सके। कपिल सिब्बल सहित वकीलों का एक बड़ा दल इस मामले की पैरवी कर रहा है जिस पर सोमवार को सुनवाई होगी।