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"राम सेतु तो ताजमहल से भी पुरानी मोहब्बत की निशानी है", सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा

By आशीष कुमार पाण्डेय | Updated: July 25, 2022 14:16 IST

सुब्रमण्यम स्वामी का मानना है कि जिस तरह मुगल बादशाह शाहजहां ने ताजमहल मुमताज की मोहब्बत में बनवाया, ठीक उसी तरह ताजमहल बनने से सदियों पहले प्रभु श्रीराम ने माता सीता के प्रेम में राम सेतु का निर्माण कराया था।

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ठळक मुद्देसुब्रमण्यम स्वामी ने राम सेतु को ताजमहल से पुरानी मोहब्बत की निशानी बतायाताजमहल बनने से सदियों पहले प्रभु श्रीराम ने माता सीता के प्रेम में राम सेतु का निर्माण कराया थास्वामी राम सेतु को भारत के ऐतिहासिक और पुरातात्विक स्मारक घोषित करवाने की मुहिम चला रहे हैं

दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने राम सेतु को ताजमहल से पुरानी मोहब्बत की निशानी बताया है। स्वामी का मानना है कि जिस तरह मुगल बादशाह शाहजहां ने ताजमहल मुमताज की मोहब्बत में बनवाया, ठीक उसी तरह ताजमहल बनने से सदियों पहले प्रभु श्रीराम ने माता सीता के प्रेम में राम सेतु का निर्माण कराया था।

ताजा मामले में सुब्रमण्यम स्वामी ने एक ट्वीट करते हुए रामसेतु की अलग तरह से एक नई व्याख्या की है। दरअसल स्वामी ने अपने ट्विट में लिखा है, "मेरे एक परिचित नवविवाहित जोड़े ने ताजमहल घूमने के बाद मुझसे मुलाकात की और जब हम बातचीत कर रहे थे उन्होंने मुझसे पूछा कि मैं राम सेतु को पुन: स्थापित करने के लिए क्यों बल दे रहा हूं। तब मैंने उनसे कहा कि राम सेतु तो ताजमहल से भी ज्यादा पुरानी मोहब्बत की कहानी है। मैंने उनसे पूछा कि वे पहले राम सेतु क्यों नहीं गए?"

स्वामी साल 2017 से राम सेतु को भारत की ऐतिहासिक और पुरातात्विक स्मारक घोषित करवाने की मुहिम चला रहे हैं और इसके लिए वो सुप्रीम कोर्ट का भी दरवाजा खटखटा चुके हैं। यही नहीं साल  2018 में स्वामी ने रामसेतु को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने के लिए भी सुप्रीम कोर्ट में गये थे।

मालूम हो कि राम सेतु को एडम्स ब्रिज के तौर पर भी जाना जाता है। यह तमिलनाडु के दक्षिणपूर्वी तट पर पंबन द्वीप और श्रीलंका के उत्तर-पश्चिमी तट पर मन्नार द्वीप के बीच चूना पत्थर की एक श्रृंखला है। पंबन द्वीप को रामेश्वरम द्वीप के नाम से भी जाना जाता है।

राम सेतु का मामला पहली बार तब चर्चा में आया था जब मनमोहन सिंह की पहली यूपीए सरकार में भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने सेतुसमुद्रम शिप चैनल परियोजना के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर करते हुए राम सेतु को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने का मुद्दा उठाया था। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने साल 2007 में राम सेतु पर परियोजना पर हो रहे काम पर रोक लगा दी गई।

उसके बाद से ही यह मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है और सुब्रमण्यम स्वामी काफी मुखर होकर राम सेतु की पैरवी कर रहे हैं और इसे राष्ट्रीय महत्व का दर्जा दिलाने के लिए लगातार कानूनी संघर्ष कर रहे हैं।

टॅग्स :सुब्रमणियन स्वामीताज महलBJP
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