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कश्मीर में सुरक्षाबलों के लिए बंदूकधारी आतंकी नहीं, ओवर ग्राउंड वर्कर और पत्थरबाज हैं असली खतरा

By सुरेश डुग्गर | Updated: July 19, 2019 15:43 IST

करीब एक साल से कश्मीर में चलाए जा रहे कासो अर्थात तलाशी अभियानों में सुरक्षाबलों का जोर आतंकियों की धर पकड़ की ओर नहीं है बल्कि ओवर ग्राउंड वर्करों तथा पत्थरबाजों की तलाश की जाती है। 

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ठळक मुद्देयह चौंकाने वाला तथ्य है कि कश्मीर में आतंकवाद के मोर्चे पर तैनत सुरक्षाबलों के लिए असली खतरा बंदूकधारी आतंकी नहीं बल्कि उनके ओवर ग्राउंड वर्कर तथा पत्थरबाज हैं जिनकी संख्या हजारों में है।अब सुरक्षाबल आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई की ओर ध्यान न देकर पत्थरबाजों तथा ओवर ग्राउंड वर्करों के खिलाफ मुहिम छेड़े हुए हैं।अधिकारियों ने इसे माना भी है कि इन तलाशी अभियानों में अगर कोई ओवर ग्राउंउ वर्कर मिल जाता है तो समझो दो-चार आतंकियों का खात्मा पक्का है क्योंकि ये ओवर ग्राउंड वर्कर उस इलाके में सक्रिय आतंकियों के प्रति खबर रखते हैं।

यह चौंकाने वाला तथ्य है कि कश्मीर में आतंकवाद के मोर्चे पर तैनत सुरक्षाबलों के लिए असली खतरा बंदूकधारी आतंकी नहीं बल्कि उनके ओवर ग्राउंड वर्कर तथा पत्थरबाज हैं जिनकी संख्या हजारों में है। ऐसे में अब सुरक्षाबल आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई की ओर ध्यान न देकर पत्थरबाजों तथा ओवर ग्राउंड वर्करों के खिलाफ मुहिम छेड़े हुए हैं।

करीब एक साल से कश्मीर में चलाए जा रहे कासो अर्थात तलाशी अभियानों में सुरक्षाबलों का जोर आतंकियों की धर पकड़ की ओर नहीं है बल्कि ओवर ग्राउंड वर्करों तथा पत्थरबाजों की तलाश की जाती है। 

अधिकारियों ने इसे माना भी है कि इन तलाशी अभियानों में अगर कोई ओवर ग्राउंउ वर्कर मिल जाता है तो समझो दो-चार आतंकियों का खात्मा पक्का है क्योंकि ये ओवर ग्राउंड वर्कर उस इलाके में सक्रिय आतंकियों के प्रति खबर रखते हैं।

अधिकारियों के मुताबिक, जम्मू कश्मीर में सुरक्षाबलों के लगातार बढ़ते दबाव के कारण सक्रिय आतंकियों की संख्या बेशक घट रही है मगर लगातार बड़ रहे आतंकियों के ओवरग्राउंड वर्करों (ओजीडब्ल्यू) की संख्या सुरक्षा एजेंसियों के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। 

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, पूरे राज्य में लगभग 246 आतंकी सक्रिय हैं, लेकिन उनके ओजीडब्ल्यू की 2186 हैं। हैरानगी की बात यह भी है कि जिन जिलों में एक भी आतंकी नहीं है, वहां भी उनके ओजीडब्ल्यू सक्रिय हैं। सिर्फ लद्दाख संभाग ही ऐसा क्षेत्र हैं, जहां न आतंकी हैं और उनके ओजीडब्ल्यू।

हाल ही में राज्य पुलिस की अपराध शाखा द्वारा जारी की गई एक विभागीय रिपोर्ट में कहा गया है कि पूरी वादी में सिर्फ गांदरबल ही एकमात्र ऐसा जिला है, जहां कोई आतंकी नहीं है, लेकिन 38 ओजीडब्ल्यू सक्रिय हैं। इसी तरह जम्मू संभाग के जम्मू, सांबा व ऊधमपुर जिलों में न कोई आतंकी है और न कोई ओजीडब्ल्यू, लेकिन रियासी, डोडा व रामबन में बेशक कोई आतंकी नहीं हैं, लेकिन इन तीनों जिलों में 370 ओजीडब्ल्यू काम कर रहे हैं।

अधिकारियों ने बताया कि ओजीडब्ल्यू आतंकियों से ज्यादा खतरनाक होते हैं। यह रहते आम लोगों की तरह हैं, लेकिन आतंकियों के लिए काम करते हैं। यह न सिर्फ आतंकियों तक सुरक्षाबलों की सूचनाएं पहुंचाते हैं, बल्कि उनके लिए हथियारों, पैसों और सुरक्षित ठिकाने बंदोबस्त करते हैं। आतंकियों के लिए महत्वपूर्ण जगहों की रैकी करते हैं। कई बार तो आतंकी हमले का समय और जगह का चयन करने से लेकर पूरी साजिश यही ओजीडब्ल्यू रचते हैं।

इसी तरह पत्थरबाज भी खतरनाक माने जा रहे हैं। दरअसल आतंकी बनने के सफर का पहला पड़ा पत्थरबाजी ही माना जाता है। यह देखा गया है कि कई पत्थरबाज पहले पत्थरबाजी में हाथ जमा कर फिर ओवर ग्राउंड वर्कर की भूमिका निभाते हुए फिर बंदूक थाम लेते हैं। ऐसे में कश्मीर में सुरक्षाबलों के लिए आतंकियों से अधिक खतरा पत्थरबाजों और ओजीडब्ल्यू से है जिससे निपटने को वे पूरा जोर तो लगा रहे हैं लेकिन अक्सर कामयाबी हाथ से फिसल जाती है।

टॅग्स :जम्मू कश्मीरसीमा सुरक्षा बल
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