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स्टेन स्वामी को स्ट्रॉ और सिपर के लिए और करना होगा इंतजार

By भाषा | Updated: November 26, 2020 20:48 IST

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मुंबई, 26 नवंबर मुंबई की एक अदालत ने 83 वर्षीय आदिवासियों के अधिकारों के लिये संघर्ष करने वाले कार्यकर्ता स्टेन स्वामी को जेल में स्ट्रॉ और सिपर मुहैया कराने के अनुरोध पर बृहस्पतिवार को जेल प्रशासन से जवाब मांगा।

एलगार परिषद-माओवाद से कथित संबंधों के मामले में गिरफ्तार स्वामी ने बृहस्पतिवार को राष्ट्रीय अभिकरण एजेंसी (एनआईए) विशेष अदालत में जमानत की अर्जी भी दायर की और पार्किंनसन की बीमारी समेत स्वास्थ्य मसलों के आधार पर जमानत देने का अनुरोध किया।

आठ अक्टूबर को गिरफ्तार किए गए स्वामी मुंबई के पास तलोजा जेल में बंद हैं।

इससे पहले, दिन में अदालत ने उनकी पहली अर्जी को खारिज कर दिया था, जिसमें एनआईए को उनका स्ट्रॉ और सिपर वापस देने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था। उनके स्ट्रॉ और सिपर को गिरफ्तारी के समय कथित रूप से एनआईए ने जब्त कर लिया था।

उन्होंने कहा था कि पार्किंसन बीमारी की वजह से उनके हाथ कांपते हैं, जिस कारण उन्हें खाने और पीने में परेशानी होती है।

एनआईए ने तब जवाब दाखिल करने के लिए 20 दिन का समय मांगा था।

एजेंसी ने बृहस्पतिवार को इस बात से इनकार किया कि उसने स्वामी का स्ट्रॉ और सिपर जब्त कर लिया है। इसके बाद स्वामी के वकील शरीफ शेख ने एक नई अर्जी दायर कर इन चीजों के साथ-साथ गर्म कपड़े भी देने का अनुरोध किया।

एनआईए के न्यायाधीश डीई कोथलिकर ने जेल अधिकारियों को निर्देश दिया कि वह दोनों आवेदनों पर जवाब दें और मामले को सुनवाई के लिये चार दिसंबर को सूचीबद्ध कर दिया।

स्वामी ने अपनी जमानत की अर्जी में कहा है कि उन्हें पार्किंसन और सुनने में परेशानी समेत कई बीमारियां हैं। उनका दो बार हर्निया का ऑपरेशन हो चुका है और अब भी उनके पेट में दर्द रहता है।

उन्होंने कहा कि उन्हें गिरफ्तारी के बाद जेल अस्पताल में भेज दिया गया जहां दो अन्य कैदी उनका ख्याल रख रहे हैं।

एनआईए का आरोप है कि स्वामी प्रतिबंधित भाकपा (माओवादी) की गतिविधियों में शामिल हैं और उन्होंने माओवादी एजेंडा आगे बढ़ाने के लिए एक सहयोगी से कोष लिया है।

एनआईए ने दावा किया कि वह परसेक्यूटिड प्रिजनर्स सॉलिडेरिटी कमेटी (पीपीएससी) के संयोजक हैं जो भाकपा (माओवादी) का मुखौटा संगठन है।

स्वामी ने अपनी जमानत याचिका में आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि अभियोजन कोई भी सबूत रिकॉर्ड पर लाने में नाकाम रहा है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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