लखनऊ:उत्तर प्रदेश में वाराणसी, प्रयागराज, अयोध्या, मथुरा-वृंदावन और चित्रकूट दुनिया भर में धार्मिक शहरों के रूप में विख्यात हैं. बीते कुछ वर्षों देश में बने धार्मिक माहौल के चलते यूपी के इन धार्मिक नगरियों में बड़े पैमाने पर जमीने खरीदी गईं. देश के विख्यात लोगों और बड़ी कंपनियों ने उक्त शहरों में जमीन और संपत्तियों की खरीद-फरोख्त की.और देखते ही देखते इन इस शहरों में होटल, होम स्टे तथा अन्य कारोबार करने वालों की संख्या बढ़ी लेकिन उस अनुपात में सरकार के राजस्व में इजाफा नहीं हुआ.
ऐसा क्यों हुआ? जब स्टांप एवं पंजीयन विभाग ने पड़ताल की तो उसको यह पता चला कि राज्य में बड़े पैमाने पर जमीन खरीद के सौदों में स्टांप चोरी की गई है. विभाग को प्रदेश भर में स्टांप चोरी के कुल 53816 मामले पकड़ में आए. विभाग को अयोध्या में 3077, प्रयागराज में 3175, वाराणसी में 1324 और मथुरा में 1446 मामले स्टांप चोरी से संबंधित पता चले. तो अब प्रदेश के स्टांप एवं पंजीयन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रवींद्र जायसवाल ने सभी तरह की रजिस्ट्रियों की जांच कराने का फैसला किया है.
जांच में अब यह देखा जाएगा कि राज्य में कितनी संपत्तियां खरीदी गईं और इन्हें लेने वाले कौन लोग हैं. जमीन खरीद के सौदों में स्टांप चोरी तो नहीं की है. इस जानकारी को हासिल करने के लिए जांच में एआई टूल्स की भी मदद ली जाएगी.
इसलिए लिया गया फैसला :
राज्य में यह पहला मौका है जबकि की जमीन खरीद के सौदों में स्टांप चोरी तो नहीं हुई है, इसकी जांच के लिए एआई टूल्स ली जाएगी.स्टांप एवं पंजीयन विभाग के अधिकारियों के अनुसार, वाराणसी में काशी विश्वनाथ धाम और अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के शुरू होने के बाद से राज्य के प्रमुख धार्मिक शहरों में अचानक से जमीन खरीद फरोख्त के सौदों में इजाफा हुआ.
सूबे में धार्मिक और पर्यटन वाले शहरों में होटल, होम स्टे व अन्य कारोबार करने वालों की संख्या बढ़ी तो इस शहरों में जमीन के दामों में इजाफ़ा हुआ फिर भी जमीन खरीदने वालों की संख्या कम नहीं हुई. इस बदलाव के आधार पर जब स्टांप राजस्व के बारे में पड़ताल की गई तो यह पता चला कि राज्य में स्टांप चोरी की जा रही है. सूबे के बड़े शहरों की तुलना में छोटे जिले भी स्टांप चोरी में बहुत आगे हैं. इस पड़ताल में प्रदेश भर में स्टांप चोरी के कुल 53,816 मामले पकड़ में आए.
स्टांप चोरी क इस मामलों को लेकर अधिकारियों ने बताया कि धार्मिक और पर्यटन वाले जिलों में जमीन की कीमतें तेजी से बढ़ी, लेकिन जमीन की रजिस्ट्रियों में कथित रूप से कम कीमत दिखाकर स्टांप ड्यूटी बचाने के प्रयास किए गए. इस कारण से सरकार को राजस्व क्षति हुई है. विभाग को यह भी जानकारी मिली है कि लखनऊ, नोएडा, गाजियाबाद, मेरठ, आगरा, कानपुर, और गोरखपुर जैसे महानगरों में जमीनों की कीमतें बहुत अधिक हैं, लेकिन यहां स्टांप चोरी के मामले अयोध्या, वाराणसी और प्रयागराज की तुलना में कम है.
मंत्री का कहना है :
फिलहाल इस तरह की मिली जानकारी के आधार पर अब बीते कुछ वर्षों में हुई सभी तरह की रजिस्ट्रियों की जांच कराने का फैसला किया है. इस फैसले के तहत अब यह पता लगाया जाएगा कि संपत्तियों की रजिस्ट्री के लिए सर्किल रेट के आधार पर स्टांप व शुल्क दिया गया है या नहीं. सूबे के स्टांप एवं पंजीयन राज्यमंत्री रवींद्र जायसवाल के अनुसार, इस कवायद का मकसद गड़बड़ी करने वालों को पकड़ना है. यह इसलिए भी जरूरी है क्योंकि राज्य के कई जिलों में शहर और ग्रामीण दोनों इलाकों में जमीन की कीमतें बढ़ने और बड़े पैमाने पर हो रही खरीद-फरोख्त ने स्टांप चोरी के मामलों को बढ़ावा दिया है.
प्रयागराज, अयोध्या तथा वाराणसी जैसे प्रमुख शहरों में भूमि विवाद और जमीन बंटवारे के अलावा समाजसेवी संस्थाओं की जमीनों से जुड़े सौदों में अनियमितताओं के प्रकरण चर्चा में हैं. इसीलिए विभाग ने रजिस्ट्री की जांच प्रक्रिया में बदलाव करते हुए रजिस्ट्री की जांच तीन माह में ही कराने का आदेश जारी करने के बाद अब सभी तरह की रजिस्ट्रियों की जांच कराने का फैसला किया है, ताकि स्टांप चोरी को रोका जा सके.