UP News: विधानसभा में सपा का हंगामा, राज्यपाल में पूरा अभिभाषण पढ़े बिना सदन से लौटीं
By राजेंद्र कुमार | Updated: February 18, 2025 18:01 IST2025-02-18T18:01:17+5:302025-02-18T18:01:52+5:30
सपा विधायकों ने राज्यपाल गो बैक और झूठा भाषण बंद करो के नारे लगाए तो राज्यपाल आनंदीबेन पटेल अपने अभिभाषण के अंतिम पैरे को पढ़कर वापस लौट गई. ये पहला मौका है जब राज्यपाल आनंदीबेन पटेल बगैर पूरा अभिभाषण पढ़े विधानसभा से 12 मिनट में ही चली गईं.

UP News: विधानसभा में सपा का हंगामा, राज्यपाल में पूरा अभिभाषण पढ़े बिना सदन से लौटीं
लखनऊ: उम्मीद के मुताबिक ही उत्तर प्रदेश विधानसभा में बजट सत्र के पहले दिन मंगलवार को खूब हंगामा हुआ. हंगामा इतना ज्यादा हुआ कि राज्यपाल आनंदीबेन पटेल महज 12 मिनट में अभिभाषण पढ़कर वापस लौट गईं. जबकि उनका अभिभाषण 59 मिनट का था. परन्तु जैसे ही राज्यपाल ने अपना अभिभाषण पढ़ना शुरू किया, वैसे ही समाजवादी पार्टी (सपा) के विधायकों ने नारेबाजी शुरू कर दी.
सपा विधायकों ने राज्यपाल गो बैक और झूठा भाषण बंद करो के नारे लगाए तो राज्यपाल आनंदीबेन पटेल अपने अभिभाषण के अंतिम पैरे को पढ़कर वापस लौट गई. ये पहला मौका है जब राज्यपाल आनंदीबेन पटेल बगैर पूरा अभिभाषण पढ़े विधानसभा से 12 मिनट में ही चली गईं. इसके बाद भी सपा विधायकों ने सदन में नारे लगाना बंद नहीं किया तो विधानसभा अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही को कुछ देर (12.30 बजे तक) स्थगित कर दिया.
बाद में जब सदन की कार्रवाई शुरू हुई तो सीएम योगी ने सपा पर जमकर हमला बोला और कहा कि सपा नेता दोहरा चरित्र अपनाते हैं. अपने बच्चों को यह लोग पब्लिक स्कूल में पढ़ाते है और दूसरों को कहेंगे उर्दू पढ़ाओ, कठमुल्ला और मौलवी बनो.
विपक्ष के हंगामे में सत्ता पक्ष की तैयारी हुई ध्वस्त :
सदन में विपक्षी दलों के इस हंगामे से सदन को सुचारू तरीके से चलाने को लेकर सत्ता पक्ष द्वारा की गई सारी तैयारी ध्वस्त हो गई. सत्ता पक्ष ने अहसास था कि सपा के विधायक हंगामा करेंगे, लेकिन राज्यपाल के अभिभाषण में कोई अवरोध नहीं होगा. हर बार की तरफ सदन में सत्तापक्ष के विधायकों के बड़े संख्याबल के चलते विपक्षी विधायक राज्यपाल के अभिभाषण को चुपचाप सुनेगे.
सत्तापक्ष की इस उम्मीद को सदन के भीतर और बाहर दोनों ही जगहों पर विपक्षी विधायकों ने मंगलवार को धूल धूसरित कर दिया. वास्तव में सपा विधायक विधानसभा के भीतर और बाहर सरकार की नाकामियों को उठाने की ठीकठाक तैयारी करके आए थे. यही वजह है कि सत्र शुरू होने से पहले सपा के तमाम विधायक हाथों ने नारे लिखे बैनर लेकर आए और उन्होंने विधानसभा परिसर में बैठकर "लाठी गोली की सरकार, नहीं चलेगी नहीं चलेगी" और “आरक्षण विरोधी, दलित विरोधी, संविधान विरोधी सरकार नहीं चलेगी, नहीं चलेगी" के नारे लगाए.
तमाम विधायकों के महाकुंभ में हुई भगदड़ में मारे लोगों के आंकड़े जारी करने की मांग भी की. योगी सरकार की नीतियों को लेकर विरोध जता रहे सपा एमएलसी आशुतोष सिन्हा तो अस्थि कलश लेकर पहुंचे और उन्होने आरोप लगाया कि उपचुनाव में धांधली कर सरकार ने नैतिकता को मार डाला है. जबकि सपा विधायक अतुल प्रधान खुद को जंजीरों में कैद कर विधानसभा पहुंचे. उनका कहना था कि जिस तरह से हमारे लोगों को अमेरिका से वापस भेजा गया इससे भारत का अपमान हुआ है.
अतुल प्रधान ने कहा कि यह सरकार की नाकामी है. ऐसे आरोप सदन में भी तब लगाए गए जब राज्यपाल अपना अभिभाषण पढ़ रही थी. उसी समय सदन में महाकुंभ में हुई भगदड़ को लेकर विपक्ष ने सरकार का जमकर विरोध किया और राज्यपाल महोदय अपना अभिभाषण पूरा पढ़े बिना चली गई.
कठमुल्ला-मौलवी बनाना चाहते हैं : योगी
सदन स्थगित होने के बाद जब सदन की कार्रवाई शुरू हुई तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भाषा के सवाल को लेकर विधानसभा में समाजवादी पार्टी पर हमला बोला. उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी का चरित्र इतना दोहरा हो गया है कि वे अपने बच्चों को अंग्रेजी पब्लिक स्कूलों में भेजते हैं, जबकि दूसरों के बच्चों को कहते हैं कि उन्हें गांव के स्कूलों में पढ़ना चाहिए, जहां उचित सुविधाएं भी नहीं हैं. यही उनका दोहरा मापदंड है. सपा नेता हर अच्छे काम का विरोध करते हैं तो हम इसकी निंदा करते हैं.
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय की ओर से अंग्रेजी को सदन की कार्यवाही में शामिल करने पर आपत्ति जताने पर सीएम योगी ने यह दावा किया. मुख्यमंत्री योगी का कहना था कि सपा नेता अपने बच्चों को अंग्रेजी मध्यम में पढ़ाएंगे, और दूसरे को कहेंगे उर्दू पढ़ाओ. उन्हें कठमुल्ला और मौलवी बनाना चाहते हैं, लेकिन यह नहीं चलेगा.
अब यूपी में उत्तर प्रदेश की अलग-अलग बोलियों भोजपुरी, अवधी, ब्रज और बुंदेलखंडी को इस सदन में सम्मान मिल रहा है. हमारी सरकार इन सभी के लिए अलग-अलग अकादमियां बनाने की प्रक्रिया को भी आगे बढ़ा रही है. यह सभी हिंदी की उपभाषाएं हैं, यानी हिंदी की बेटियां हैं.