नई दिल्ली: चक्रवात 'रेमल' के बंगाल की खाड़ी तक पहुंचने के बाद भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने बताया कि आज यानी गुरुवार को दक्षिणी-पश्चिमी मानसून केरला के तटीय क्षेत्र को हिट करने वाला है। इसके बाद मानसून विभाग ने कहा कि मानसून इस बार दो दिन पहले पूर्वोत्तर भारत में पहुंच गया और इससे लोगों को भी जल्द राहत मिलेगी, क्योंकि मानसूनी बारिश भी झमाझम हो रही है।लेकिन, अफसोस की बात ये रही कि चक्रवात 'रेमल' ने भारत के उत्तर-पूर्वी राज्य मणिपुर में भारी तबाही मचाई और वहां के कुछ क्षेत्र तो बाढ़ में भी डूब गए।
हालांकि, मानसून विभाग ने अनुमान लगाया कि केरला में आम तौर पर मानसून आने की तारीख एक जून है। इसके बाद उत्तरी क्षेत्र में इसका असर देखने को मिलता है, फिर पूरे भारत में लगभग 15 जुलाई तक यह अपना असर दिखाने लगता है। वहीं, केरल में प्रवेश के लगभग पांच दिन बाद मानसून पूर्वोत्तर भारत में आता है। हालांकि, इस साल बंगाल की खाड़ी की ओर मानसून काफी चुस्ती के साथ आगे बढ़ा, केरला में भी कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला और उसी दौरान उत्तर भारत में मानसून ने अपनी छाप छोड़ दी।
चक्रवात 'रेमल' के आने से केरल के तटीय क्षेत्र और उत्तर-पूर्व के कुछ हिस्सों में मानसून जल्दी आ गया। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, रविवार को चक्रवात पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश से होकर गुजरा और मानसूनी प्रवाह को बंगाल की खाड़ी में ले आया, जिससे पूर्वोत्तर बारिश की जल्दी शुरुआत हुई। मीडिया ने बताया कि भारतीय मौसम विभाग ने बताया कि दक्षिण-पश्चिमी मानसून ने केरला और उत्तर पूर्व भारत में जल्द दी, यह इस बार 30 मई, 2024 को दे दी है।
आईएमडी मानसून के आगमन की पहचान कैसे करता है?
केरल में मानसून के आगमन की पहचान करने के लिए केंद्रीय मौसम एजेंसी ने एक मानक तय किया हुआ है। समाचार एजेंसी के अनुसार, IMD केरल में मानसून की शुरुआत की घोषणा करता है यदि राज्य और पड़ोसी क्षेत्रों के लगभग 14 स्टेशनों पर 10 मई के बाद लगातार दिनों तक 2.5 मिमी या अधिक वर्षा होती है। इसके अतिरिक्त, आउटगोइंग लॉन्गवेव रेडिएशन (ओएलआर) कम है , और हवा की दिशा दक्षिण-पश्चिमी है।