सोनिया गांधी ने यूएन में इजराइल पर मतदान में गैरहाजिर रहने के लिए भारत सरकार की निंदा की, कहा- "कांग्रेस स्पष्ट करती है कि फिलिस्तीन के एक संप्रभु राष्ट्र है"
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: October 30, 2023 12:52 PM2023-10-30T12:52:10+5:302023-10-30T13:05:11+5:30
कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने संयुक्त राष्ट्र में भारत द्वारा इजराइल में संघर्ष विराम के मुद्दे पर वोटिंग के दौरान नदारत रहने की बेहद तीखी आलोचना की है।
नई दिल्ली: कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने संयुक्त राष्ट्र में भारत द्वारा इजराइल में संघर्ष विराम के मुद्दे पर वोटिंग के दौरान नदारत रहने की बेहद तीखी आलोचना की है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी का इजराइल और फिलिस्तीन के मुद्दे पर वर्षों से एक जैसा रूख रहा है।
अंग्रेजी समाचार पत्र 'द हिंदू' के संपादकीय में सोनिया गांधी ने लिखा है, "कुछ शरारती सुझावों के विपरीत, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थिति लंबे समय से चली आ रही है और पार्टी उस सिद्धांत पर भरोसा करती है कि फिलिस्तीन एक संप्रभु स्वतंत्र राष्ट्र है और शांति के लिए इजराययल को सीधी बातचीत करनी चाहिए।"
सोनिया गांधी ने लिखा है, "12 अक्टूबर 2023 को विदेश मंत्रालय द्वारा भी यही रुख अपनाया गया था। फिलिस्तीन पर भारत की ऐतिहासिक स्थिति को फिर से इजरायल द्वारा गाजा पर किये गये हमले के बाद दोहराया गया है। प्रधानमंत्री मोदी ने इजराइल के साथ पूर्ण एकजुटता व्यक्त करते हुए फिलिस्तीनी का कोई उल्लेख नहीं किया था।''
कांग्रेस की वरिष्ठ नेता ने लिखा, "कांग्रेस हाल ही में संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रस्ताव पर भारत की गैर हाजिर रहने का कड़ा विरोध करती है, जिसमें गाजा में इजरायली हमले को खत्म करने और हमास के साथ "तत्काल संघर्ष विराम करके बातचीत का प्रस्ताव रखा गया था।
इजराइल और फिलिस्तीन दोनों पक्षों में कई लोग बातचीत चाहते हैं और इसे ही आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता मानते हैं। सोनिया गांधी ने दोनों पक्षों के बीच चल रहे युद्ध को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए लिखा कि कई प्रभावशाली देश इस मसले में पूरी तरह से पक्षपातपूर्ण रवैया बनाये हुए हैं।
उन्होंने लिखा, "यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कई प्रभावशाली देश पूरी तरह से पक्षपातपूर्ण व्यवहार कर रहे हैं, जबकि उन्हें युद्ध को समाप्त करने के लिए अधिकतम प्रयास होना चाहिए। विश्व की शक्तिशाली ताकतों को सैन्य गतिविधि को समाप्त करने के लिए आगे आना चाहिए और हस्तक्षप करना चाहिए अन्यथा यह युद्ध अनवरत जारी रहेगा। यह स्थिति लंबे समय के लिए घातक हो सकती है।“
मालूम हो कि भारत ने जॉर्डन-मसौदा प्रस्ताव पर मतदान से परहेज किया था, जिसमें इज़रायल से संघर्ष विराम का आह्वान किया गया था लेकिन प्रस्ताव में हमास के हमले की निंदा नहीं की गई थी। भारत ने हमास की निंदा करने वाला एक पैराग्राफ शामिल करने के लिए कनाडा द्वारा प्रस्तावित संशोधन के पक्ष में मतदान किया।
भारत ने कहा था कि इजरायल पर हुए आतंकी हमले की निंदा की जानी चाहिए थी और इसलिए वह इस मतदान से दूर हो रहा है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ भारत का रुख बेहद कड़ा है। उन्होंने कहा था, "अगर हम यह कहें कि जब आतंकवाद हमें प्रभावित करता है, तो यह बहुत गंभीर होता है। लेकिन जब यह किसी और के साथ होता है तो यह गंभीर नहीं होता है। हमें आतंकवाद के मुद्दे पर एक सतत रुख अपनाने की जरूरत है।"