नई दिल्ली, 13 अगस्त: लोकसभा के पूर्व स्पीकर सोमनाथ चटर्जी का 89 साल की उम्र में दौरा पड़ने से निधन हुआ। 13 अगस्त को उन्होंने कोलकता के प्राइवेट अस्पताल में आखिरी सांसें लीं। पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी के सबसे लंबे समय तक सांसद रहे। ये 10 बार सांसद बन चुके हैं। इन्हें 1996 में उत्कृष्ट संसदीय पुरस्कार ( Outstanding Parliamentarian Award) से भी नवाजा गया था। 1971 में वह पहली बार सांसद चुने गए। 1971 से 2009 तक लोकसभा सांसद रहे थे। सिर्फ 1984 में जादवपुर सीट पर हुए लोकसभा चुनाव में सोमनाथ चटर्जी ममता बनर्जी से हार गए थे।
इनका व्यक्तित्व अपने आप में काफी अनोखा था। सोमनाथ चटर्जी का जन्म 1929 में तेजपुर, असम में हुआ था। उनके पिता निर्मलचंद्र चटर्जी और मां वीणापाणि देवी थीं। निर्मलचंद्र कोलकता शहर एक फेमस वकील थे और कलकत्ता हाई कोर्ट के न्यायधीश भी रह चुके थे। निर्मलचंद्र चटर्जी आजादी से पहले हिंदू महासभा के संस्थापक सदस्यों में से एक रहे थे। इनके पिता हिंदू महासभा के अध्यक्ष भी रहे थे।
अखिल भारत हिन्दू महासभा भारत का एक राजनीतिक दल है। यह एक भारतीय राष्ट्रवादी संगठन है। इसकी स्थापना सन 1915 में हुई थी। इसके संस्थापक सदस्यों में सोमनाथ चटर्जी के पिता निर्मलचंद्र चटर्जी भी शामिल थे। देश के पहले लोकसभा चुनाव में सोमनाथ के पिता अखिल भारतीय हिंदू महासभा के टिकट पर निर्वाचित भी हुए थे।
हालांकि हिंदूवादी पिता के पुत्र सोमनाथ चटर्जी की राजनीति में अलग ही धारा बही। सोमनाथ चटर्जी को वामपंथी की राजनीति में दिलचस्पी आई और 1968 में वह भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के सदस्य बने और 1971 में पार्टी के टिकट पर पहली बार संसद पहुंचने में सफल भी रहे। वर्ष 2008 में उन्हें सीपीएम पार्टी से निकाल दिया गया था।
भारत-अमेरिका परमाणु समझौता विधेयक के विरोध में सीपीएम ने तत्कालीन मनमोहन सरकार से समर्थन वापस ले लिया था। तब सोमनाथ चटर्जी लोकसभा अध्यक्ष थे। पार्टी ने उन्हें स्पीकर पद छोड़ देने के लिए कहा लेकिन वह नहीं माने। इसके बाद सीपीएम ने उन्हें पार्टी से निकाल दिया।
सोमनाथ चटर्जी के परिवार के इस बात पर वर्तमान विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने संसद में तंज भी कसा था। 1990 में एक बार संसद में बोलते हुए सुषमा ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की 'एक देश-एक संस्कृति' के विचार पर बोलते हुए सोमनाथ चटर्जी को ही उदाहरण दिया था।
सुषमा स्वराज ने कहा था, एक देश और एक संस्कृति का ही परिणाम है कि एक बंगाली निर्मलचंद्र चटर्जी ने अपने बेटे का नाम सोमनाथ रखा। दरअसल सुषमा मशहूर सोमनाथ मंदिर का जिक्र कर रही थीं, जिसे आक्रांता महमूद गजनवी ने गिरा दिया था।
पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी के नाम सबसे सबसे लंबे समय तक सांसद बनने का रिकॉर्ड है। ये 10 बार सांसद बन चुके हैं। इन्हें 1996 में उत्कृष्ट संसदीय पुरस्कार ( Outstanding Parliamentarian Award) से भी नवाजा गया था। 1971 में वह पहली बार सांसद चुने गए। 1971 से 2009 तक लोकसभा सांसद रहे थे। सिर्फ 1984 में जादवपुर सीट पर हुए लोकसभा चुनाव में सोमनाथ चटर्जी ममता बनर्जी से हार गए थे।
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