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Siwan Lok Sabha seat: सीवान सीट पर प्रत्याशी क्यों नहीं!, पूर्व सांसद शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब की नाराजगी से डर रहे हैं लालू यादव, उम्मीदवार उतारने से पहले मनाने में जुटे

By एस पी सिन्हा | Updated: April 10, 2024 15:17 IST

Siwan Lok Sabha seat: लालू यादव चाहते हैं कि पूर्व विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी को टिकट देना चाहते हैं, जबकि हिना शहाब ने बगावती तेवर अपनाते हुए निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है।

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ठळक मुद्देअसदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने समर्थन देने का ऐलान कर दिया है।राजद के द्वारा हिना शहाब को मनाने का प्रयास किया जा रहा है। जिम्मेदारी राजद नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी को सौंपी गई है।

Siwan Lok Sabha seat: राजद के द्वारा सीवान लोकसभा सीट को छोड़कर शेष 22 सीटों के लिए प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है। अब सभी की निगाहें सीवान सीट पर जा टिकी हैं। चर्चा है कि पूर्व सांसद शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब के बगावती तेवर को देखते हुए राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव को वहां उम्मीदवार उतार पाने में दिक्कत हो रही है। दरअसल, लालू यादव चाहते हैं कि पूर्व विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी को टिकट देना चाहते हैं, जबकि हिना शहाब ने बगावती तेवर अपनाते हुए निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है।

वहीं, असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने उन्हें समर्थन देने का ऐलान कर दिया है। ऐसे में राजद के द्वारा हिना शहाब को मनाने का प्रयास किया जा रहा है। सूत्रों की मानें त इसकी जिम्मेदारी राजद नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी को सौंपी गई है। दरअसल, हिना शहाब के बगावती तेवर को देखते हुए राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव की चिंता अल्पसंख्यक वोटों के संभावित बिखराव को लेकर बढ़ गई है।

कारण कि अल्पसंख्यक समुदाय में शहाबुद्दीन की पहुंच अंदर तक थी। बता दें कि बीते करीब तीन दशक से सीवान की राजनीति और सामाजिक परिवेश में पूर्व सांसद दिवंगत शहाबुद्दीन का नाम बहुत चर्चित रहा है। वह सीवान और बिहार की राजनीति के केंद्र में रहे हैं। मई 2021 में कोरोना के कारण उनके निधन के बाद पहली बार सीवान में संसदीय चुनाव हो रहा है।

सीवान की जनता उनको ‘साहेब’ नाम से जानती रही है। निधन से पहले वह लंबे समय तक जेल में रहे। लेकिन, जेल में रहते हुए भी वह सीवान की राजनीति को प्रभावित करते रहे। उनकी छवि एक बाहुबली सांसद की रही। उन पर कई संगीन आपराधिक मुकदमे दर्ज थे। सीवान और बिहार की राजनीति में उनके प्रभाव की बात किसी से छिपी नहीं है।

वह राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव के बेहद करीबी माने जाते थे। कोरोना काल में उनके निधन के बाद भी सीवान की फिजा में उनके नाम पर राजनीति होती रही। विपक्ष की जुबान पर शहाबुद्दीन का नाम आज भी हर समय रहता है। सीवान में करीब तीन लाख अल्पसंख्यक, 2.5 लाख यादव, 1.25 लाख कुशवाहा और 80 हजार के आसपास साहनी मतदाता हैं।

इसके अलावा अगड़ी जाति के करीब चार लाख और 2.5 लाख ईबीसी मतदाता हैं। जब शहाबुद्दीन यहां की राजनीति में हावी थे तब उनका प्रभाव हर जातीय समूह के उच्च तबके में अच्छा-खासा था। साथ ही उनको राजद के ठोस वोट भी मिलते थे। सीवान एक डॉलर इकोनॉमी वाला जिला है। यहां के हिंदू-मुस्लिम सभी तबके के लोग बड़ी संख्या में विदेश खासकर खाड़ी के देशों में काम करते हैं।

कई गांव और कस्बे ऐसे हैं जहां के घरों में आपको युवा लोग बहुत कम मिलेंगे। ये सभी विदेश रहते हैं। विदेशी पैसे की वजह से जिले के बाजारों में खूब रौनक रहती है। अब जबकि हिना शहाब ने अपनी बगावती तेवर अख्तियार कर लिया है, लालू परिवार की परेशानी बढ़ गई है।

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