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Shri Krishna Janmabhoomi case: अयोध्या, काशी के बाद मथुरा!, श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शाही ईदगाह परिसर के सर्वेक्षण को मंजूरी दी

By सतीश कुमार सिंह | Updated: December 14, 2023 14:55 IST

Shri Krishna Janmabhoomi case: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और हजारों प्रतिनिधियों के इस समारोह में शामिल होने की संभावना है।

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ठळक मुद्देप्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम 22 जनवरी को प्रस्तावित है। जमा करने के लिए एक सप्ताह का और समय दिया है।कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मस्जिद विवाद के संबंध में इस उच्च न्यायालय में लंबित मुकदमे में दायर की गई थी।

Shri Krishna Janmabhoomi case: लोकसभा 2024 चुनाव से पहले राजनीति माहौल तेज हो गया। जनवरी 2024 में अयोध्या में राम मंदिर का उद्घाटन होने जा रहा है। प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम 22 जनवरी को प्रस्तावित है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और हजारों प्रतिनिधियों के इस समारोह में शामिल होने की संभावना है।

वाराणसी की जिला अदालत ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को यहां ज्ञानवापी मस्जिद परिसर की वैज्ञानिक सर्वेक्षण रिपोर्ट पूरी करने और उसे जमा करने के लिए एक सप्ताह का और समय दिया है। विवाद में हिंदू पक्ष के वकील मदन मोहन यादव ने कहा कि मामले की सुनवाई करते हुए जिला न्यायाधीश एके विश्वेश ने अतिरिक्त समय दिया। मामले में सुनवाई की अगली तारीख 18 दिसंबर तय की है।

मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद के सर्वेक्षण पर निर्णयः

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने गुरुवार को उत्तर प्रदेश के मथुरा में श्री कृष्ण जन्मभूमि मंदिर से सटे शाही ईदगाह परिसर के सर्वेक्षण के लिए अदालत की निगरानी में एक अधिवक्ता आयुक्त की नियुक्ति की अनुमति दे दी। यह याचिका मथुरा के कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मस्जिद विवाद के संबंध में इस उच्च न्यायालय में लंबित मुकदमे में दायर की गई थी।

कृष्ण जन्मभूमि मामले पर हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा, "इलाहाबाद हाई कोर्ट ने हमारे आवेदन को स्वीकार कर लिया है जहां हमने एडवोकेट कमिश्नर द्वारा (शाही ईदगाह मस्जिद के) सर्वेक्षण की मांग की थी। 18 दिसंबर को रूपरेखा तय होगी। कोर्ट ने शाही ईदगाह मस्जिद की दलीलें खारिज कर दी हैं...यह कोर्ट का एक ऐतिहासिक फैसला है।"

न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन ने इससे पूर्व 16 नवंबर को संबंधित पक्षों को सुनने के बाद आदेश सुरक्षित रख लिया था। यह याचिका भगवान श्री कृष्ण विराजमान और सात अन्य लोगों द्वारा अधिवक्ता हरिशंकर जैन, विष्णु शंकर जैन, प्रभाष पांडेय और देवकी नंदन के जरिए दायर की गई थी।

जिसमें दावा किया गया है कि भगवान कृष्ण की जन्मस्थली उस मस्जिद के नीचे मौजूद है और ऐसे कई संकेत हैं जो यह साबित करते हैं कि वह मस्जिद एक हिंदू मंदिर है। अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन के मुताबिक, इस याचिका में कहा गया है कि वहां कमल के आकार का एक स्तंभ है जोकि हिंदू मंदिरों की एक विशेषता है और शेषनाग की एक प्रतिकृति है जो हिंदू देवताओं में से एक हैं ।

जिन्होंने जन्म की रात भगवान कृष्ण की रक्षा की थी। याचिका में यह भी बताया गया है कि मस्जिद के स्तंभ के आधार पर हिंदू धार्मिक प्रतीक हैं और नक्काशी में ये साफ दिखते हैं। याचिकाकर्ताओं ने अनुरोध किया है कि निर्धारित समय सीमा के भीतर सर्वेक्षण के बाद अपनी रिपोर्ट सौंपने के विशेष निर्देश के साथ एक आयोग का गठन किया जाये।

इस पूरी कार्यवाही की फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी कराने का भी अनुरोध किया गया है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इस वर्ष मई में मथुरा की अदालत में लंबित श्री कृष्ण जन्मभूमि- शाही ईदगाह मस्जिद विवाद से जुड़े सभी मुकदमे अपने पास स्थानांतरित कर लिए थे।

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