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जेपीएससी में आयुसीमा में छूट मांगने वालों को झटका, खंडपीठ ने भी याचिका खारिज की

By भाषा | Updated: August 25, 2021 21:47 IST

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झारखंड लोकसेवा आयोग (जेपीएससी) की प्राशासनिक पदों के लिए निर्धारित परीक्षा-2021 में आयुसीमा में छूट का आग्रह करने वाले अभ्यर्थियों को झारखंड उच्च न्यायालय की खंडपीठ से भी राहत नहीं मिली और मुख्य न्यायाधीश डा रवि रंजन व एसएन प्रसाद की खंडपीठ ने याचिकाकर्ताओं की अपील को खारिज करते हुए कहा कि उम्र की सीमा निर्धारण करना सरकार का अधिकार है। खंडपीठ ने स्पष्ट कहा कि सरकार के इस अधिकार को देखते हुए एकल पीठ के आदेश में हस्तक्षेप करने की आवश्यकता नहीं है। इसके बाद खंडपीठ ने एकलपीठ के आदेश के खिलाफ दाखिल अपील को खारिज कर दिया। इस संबंध में रीना कुमारी सहित अन्य ने उच्च न्यायालय में अपील दाखिल की थी। सुनवाई के दौरान वरीय अधिवक्ता अजीत कुमार, अपराजिता भारद्वाज, कुमारी सुगंधा और कुशल कुमार ने पीठ को बताया कि जेपीएससी ने सिविल सेवा परीक्षा के लिए फरवरी 2020 में विज्ञापन जारी किया था। इसमें उम्रसीमा के लिए एक अगस्त 2011 की तिथि निर्धारित की गई थी। लेकिन बाद में सरकार ने नियुक्ति के विज्ञापन को रद कर दिया। इसके बाद सरकार ने जेपीएससी परीक्षा के लिए नियमावली बनायी और विज्ञापन जारी किया। इसमें उम्र सीमा के लिए 'कटआफ' तारीख एक अगस्त 2016 रखी गयी, जबकि यह परीक्षा वर्ष 2017-18-19-20 के रिक्त पदों की है। नियमानुसार प्रत्येक वर्ष सिविल सेवा की परीक्षा ली जानी चाहिए। लेकिन जेपीएससी ने चार साल के रिक्त पदों पर नियुक्ति के लिए एक साथ ही विज्ञापन जारी किया है। ऐसा करने से कई वैसे अभ्यर्थी वंचित हो गए, जिन्हें पहले विज्ञापन से आवेदन करने की उम्मीद थी। राज्य सरकार को प्रत्येक वर्ष के रिक्त पदों के लिए उम्र की सीमा का निर्धारण एक-एक साल बढ़ाते हुए करना चाहिए था, जैसा कि बिहार सरकार ने किया है। इसके बाद खंड पीठ ने कहा कि यह सरकार का अधिकार और नीतिगत मामला है। सिविल सेवा परीक्षा के लिए लोग कई सालों से तैयारी करते हैं। इनमें कई ऐसे होंगे जो नौकरी छोड़ कर परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं। सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता राजीव रंजन ने कहा कि अब तक जेपीएससी की ओर से ली जाने वाली परीक्षा के लिए कोई नियमावली नहीं थी। अब सरकार ने नियमावली बना दी है। उसके बाद विज्ञापन जारी किया है। चार सालों के रिक्त पदों को एक ही विज्ञापन से नियुक्ति किया जाना है। इसके लिए राज्य सरकार ने पहले ही उम्र में छूट प्रदान की है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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