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शिवपाल यादव ने 'राम' की मर्यादा हवाला देकर साधा अखिलेश पर निशाना, चल सकते हैं 'भगवा शरणं गच्छामि' के रास्ते पर

By आशीष कुमार पाण्डेय | Updated: April 4, 2022 15:33 IST

शिवपाल यादव अपने भतीजे और समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव से इस कदर नाराज चल रहे हैं कि वो लगातार इस बात के संकेत दे रहे हैं कि कभी भी वो 'भगवा शरणं गच्छामि' के रास्ते पर चल सकते हैं। भगवान 'राम' की मर्यादा का बखान करते हुए प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के मुखिया शिवपाल सिंह यादव ने अखिलेश यादव को आड़े हाथों लिया है।

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ठळक मुद्देसपा की सियासत में सिहरन पैदा करने वाले शिवपाल यादव इन दिनों लगातार सुर्खियों में हैंशिवपाल यादव भी मुलायम सिंह की छोटी बहु अपर्णा यादव की तरह भाजपा में शामिल हो सकते हैंअखिलेश भी चाहते हैं कि शिवपाल यादव उनसे दूर रहें क्योंकि शिवपाल से उन्हें कोई फायदा नहीं होगा

लखनऊ:शिवपाल यादव अपने भतीजे और समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव से इस कदर नाराज चल रहे हैं कि वो लगातार इस बात के संकेत दे रहे हैं कि कभी भी वो 'भगवा शरणं गच्छामि' के रास्ते पर चल सकते हैं। भगवान 'राम' की मर्यादा का बखान करते हुए प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के मुखिया शिवपाल सिंह यादव ने अखिलेश यादव को आड़े हाथों लिया है। जी हां, शिवपाल यादव ने अपने ट्विटर हैंडल से रामचरित मानस की चौपाई का हवाला देते हुए राम के चरित्र का बखान किया है।

शिवपाल यादव ने सोमवार को ट्वीट किया, "प्रातकाल उठि कै रघुनाथा। मातु पिता गुरु नावहिं माथा॥ आयसु मागि करहिं पुर काजा। देखि चरित हरषइ मन राजा॥ भगवान राम का चरित्र 'परिवार, संस्कार और राष्ट्र' निर्माण की सर्वोत्तम पाठशाला है। चैत्र नवरात्रि आस्था के साथ ही प्रभु राम के आदर्श से जुड़ने व उसे गुनने का भी क्षण है।"

अपने ट्विटर से सपा की सियासत में सिहरन पैदा करने वाले शिवपाल यादव इन दिनों लगातार सुर्खियों में हैं। यूपी चुनाव में मिली करारी हार के बाद भतीजे अखिलेश यादव द्वारा भाव न दिये जाने से आहत हुए शिवपाल यादव अपने बड़े भाई और सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव की छोटी बहु अपर्णा यादव की तरह भाजपा में अपनी संभावनाओं को तलाश सकते हैं।

मालूम हो कि गुजरे दो दिन पहले सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल ने ट्विटर पर बाकायदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और पूर्व उपमुख्यमंत्री डाक्टर दिनेश शर्मा को फॉलो करके अगले कदम का संकेत भी दे चुके हैं। अखिलेश यादव और शिवपाल यादव के अनबन उस समय शुरू हो गई थी, जब यूपी की कमान अखिलेश यादव के हाथों में थी और शिवपाल यादव उनके मंत्रीमंडल में पीडब्यूडी मंत्री हुआ करते थे।

लंबे समय तक चली चाचा-भतीजे की अदावत विधानसभा चुनाव 2022 में कुछ थमती नजर आई। प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) बनाने वाले शिवपाल अपने भतीजे और सपा मुखिया अखिलेश यादव के साथ एक सीट पर पर समझौता करते हुए मान भी गये लेकिन चुनावी हार के बाद चाचा-भतीजे के बीच दुरियां एक बार फिर बढ़ गईं।

समाजवादी पार्टी के चुनाव चिन्ह साइकिल पर अखिलेश यादव ने भले ही चाचा शिवपाल को जसवंत नगर से विधायक बनवा दिया हो, लेकिन हार के बाद समाजवादी पार्टी ने विधायक दल की बैठक बुलाई तो उसमें शिवपाल का नाम काट दिया गया। इसी प्रकरण के बाद शिवपाल के तेवर तल्ख होने लगे।

बीते 28 मार्च को समाजवादी पार्टी के सहयोगी दलों की बैठक से किनारा करने वाले शिवपाल सिंह यादव ने 29 मार्च को विधानसभा अध्यक्ष के कमरे में विधानसभा सदस्य के रूप में शपथ ली और मीडिया को अपने अगले कदम का इंतजार करने को कहा। उसके बाद वह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिले और इसे निजी मुलाकात बताया।

जानकारी के मुताबिक सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के रवैये से आहत विधायक शिवपाल सिंह यादव अपने समर्थकों के साथ लगातार बैठक कर रहे हैं। शिवपाल ने अभी हाल में ही पार्टी कार्यालय में प्रसपा से जुड़े वरिष्ठ नेताओं के साथ मंत्रणा की थी। हालांकि भाजपा में जाने के सवाल पर वो अभी चुप्पी साधे हुए हैं लेकिन उनके समधी हरिओम यादव लगातार इस बात की जिद कर रहे हैं कि शिवपाल यादव भी अपर्णा की तरह भाजपा में शामिल हो जाएं।

राजनीतिक पंडितों की मानें तो शिवपाल को अखिलेश ज्यादा भाव नहीं दे रहे हैं क्योंकि उनको अपने साथ रखने में अखिलेश यादव को कोई बहुत बड़ा फायदा नहीं दिखाई दे रहा है। समाजवादी पार्टी में एकछत्र दबदबा कायम करने वाले अखिलेश यादव भी चाहते हैं कि चाचा शिवपाल यादव उनसे दूर रहें क्योंकि शिवपाल के पार्टी में आने से अखिलेश यादव का वर्चस्व दरक सकता है। 

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