Shivdeep Wamanrao Lande: पूर्व आईपीएस शिवदीप लांडे फाउंडेशन के तत्वाधान में शिवदीप वामनराव लांडे ने युवाओं को मोटिवेट करने के लिए मुंगेर के पोलो मैदान में ‘रन फॉर सेल्फ’ दौड़ का आयोजन किया। इसमें लांडे के नेतृत्व में सैकड़ों युवाओं ने "रन फॉर सेल्फ" में लिया भाग और वे दौड़ते हुए जमालपुर से 9 किलोमीटर दूर मुंगेर के पोलो मैदान में पहुंचे। इस दौरान लांडे युवाओं से संवाद करते रहे। उन्होंने युवाओं को आत्मनिर्भर बनने और फिटनेस पर ध्यान देने का संदेश दिया। दौड़ के दौरान उन्होंने कहा कि "यदि युवक फिट हैं, तो परिवार, समाज और देश भी फिट रहेगा।"
शिवदीप लांडे ने मुंगेर को अपनी कर्मभूमि बताते हुए कहा कि उनका इस शहर से गहरा नाता है, क्योंकि यहीं से उन्होंने प्रशिक्षु आईपीएस के रूप में करियर की शुरुआत की थी। युवाओं को संबोधित करते हुए लांडे ने आगामी 10 वर्षों में बिहार की दशा और दिशा बदलने की शपथ ली। उन्होंने पूरे बिहार में ‘रन फॉर सेल्फ’ अभियान चलाने की घोषणा की, ताकि युवाओं को आत्मनिर्भर और जागरूक बनाया जा सके।
उनका यह नया कदम बिहार के युवाओं में नई ऊर्जा और प्रेरणा जगाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल माना जा रहा है। मीडिया से बातचीत उन्होंने कहा कि वे अपने परिवार के साथ मुंगेर आए हैं क्योंकि यह उनकी कर्मभूमि है और यहीं से उन्होंने अपने कैरियर की शुरुआत की थी। ‘रन फॉर सेल्फ’ कार्यक्रम को लेकर उन्होंने कहा कि वे अभी देख रहे हैं कि बिहार के युवा बदलाव के लिए कितना तैयार हैं।
उन्होंने कहा कि इतनी बड़ी संख्या में यहां युवाओं को देखकर खुशी हुई है। जब उनसे चुनाव लड़ने को लेकर सवाल किया गया, तो उन्होंने साफ इंकार कर दिया। इस दौरान शिवदीप लांडे की पत्नी और बेटी भी साथ थी। उन्होंने कहा कि मुख्य उद्देश्य युवाओं के बदलाव लाना है। अभी वे युवाओं की सुनने निकले हैं पूरे बिहार में युवाओं को सुनेंगे अभी अपना कोई ओपिनियन नहीं देंगे।
दस सालों में कैसे वे युवाओं के बीच बदलाव लाएं इसपर उनका फोकस है। बता दें कि आईपीएस की नौकरी से इस्तीफा देने के बाद शिवदीप वामनराव लांडे मूल रूप से महाराष्ट्र के अकोला के रहने वाले हैं। शिवदीप लांडे के कम ही समय में अपनी एक अलग सिंघम और सुपरकॉप टाइप इमेज खास कर युवाओं के बीच बना काफी चर्चित हो गए थे।
जब उन्होंने आईपीएस पद से इस्तीफा दिया तो काफी चर्चा उनके साथ जुड़ गए कि क्या वे राजनीतिक का रुख करेंगे। शिवदीप लांडे ने मुंगेर जिले से अपने आईपीएस करियर की शुरुआत की थी। उनकी पहली पोस्टिंग मुंगेर में प्रशिक्षु आईपीएस के रूप में हुई थी और वे अपने ट्रेनिंग को पुलिस के विभिन्न पदों पर रहते हुए पूरा किया था। अब उन्होंने डीआईजी पद से इस्तीफा देकर अपने परिवार के साथ एक बार फिर से मुंगेर आए हैं। उन्होंने मुंगेर को अपनी कर्मभूमि कहा है।