महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर बीजेपी और शिवसेना के बीच टकराव जारी है। मंगलवार को 2 निर्दलीय विधायकों विनोद अग्रवाल और महेश बाल्दी ने सीएम देवेंद्र फड़नवीस के साथ मुलाकात करके बीजेपी को अपना समर्थन दिया।
वहीं शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा है कि उद्धव ठाकरे जी ने कहा है कि हमारे पास अन्य विकल्प भी हैं लेकिन हम उस विकल्प को स्वीकार करने का पाप नहीं करना चाहते हैं। शिवसेना ने हमेशा सच्चाई की राजनीति की है, हम सत्ता के भूखे नहीं हैं।
समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार, जब संजय राउत से पूछा गया कि भाजपा के साथ चुनाव पूर्व गठबंधन के बावजूद सरकार बनाने में समय क्यों लग रहा है तो उन्होंने कहा कि यहां (महाराष्ट्र) में कोई दुष्यंत नहीं है जिसके पिता जेल में हैं। यहां हम हैं जो 'धर्म और सत्य' की राजनीति करते हैं, शरद जी जिन्होंने बीजेपी और कांग्रेस के खिलाफ माहौल बनाया है जो कभी बीजेपी के साथ नहीं जाएंगे।
इससे पहले महाराष्ट्र में नई सरकार गठन को लेकर जारी उठापठक के बीच सोमवार को मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस और शिवसेना के वरिष्ठ नेता दिवाकर राउते ने राज्यपाल भगत सिंह कोशियारी से अलग-अलग मुलाकात करते हुए राज्य की राजनीतिक परिस्थितियों से अवगत कराया।
शिवसेना की सीएम पद को लेकर 50: 50 फॉर्मूले की मांग की वजह से इन दोनों साझेदारों ने अब तक सरकार बनाने का दावा पेश नहीं किया है। 288 सीटों वाली महाराष्ट्र विधानसभा के नतीजे 24 अक्टूबर को घोषित किए गए थे, जिनमें बीजेपी ने 105 और शिवसेना ने 56 सीटें जीती थीं।
सरकार गठन के लिए दावा पेश करने पर फैसला नहीं: फड़नवीसराज्यपाल से मुलाकात के बाद फड़नवीस ने ट्वीट किया कि उन्होंने राज्यपाल को वर्तमान स्थिति से अवगत कर दिया है। फड़नवीस ने लिखा, 'उन्हें (राज्यपाल) वर्तमान स्थिति से अवगत करा दिया है। सरकार गठन के लिए दावा पेश करने पर फैसला करना अभी बाकी है। हालांकि मैं अल्पमत की सरकार भी अच्छे से चला सकता हूं, लेकिन इससे गर्वनेंस प्रभावित होगा। अभी के लिए देखो और इंतजार करो की नीति।'
शिवसेना 50: 50 फॉर्मूले की मांग पर अड़ीवहीं शिवसेना नेता राउते ने राज्यपाल के साथ अपनी मुलाकात को 'दिवाली शिष्टाचार' मुलाकात बताते हुए कहा कि उन्होंने इस दौरान राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा नहीं की।
राज्यपाल से मुलाकात के बाद मीडिया से मुखातिब राउते ने कहा, 'शिवसेना 50: 50 फॉर्मले से कम कुछ भी स्वीकार नहीं करेगी-जिसमें मुख्यमंत्री पद का ढाई-ढाई साल का कार्यकाल शामिल है। हमें बीजेपी से सबकुछ लिखित में चाहिए।'
वहीं बीजेपी शिवसेना को उमुख्यमंत्री और राजस्व समेत कई महत्वपूर्ण मंत्रालय देना चाहती है।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के नतीजे आने के छह दिन बाद भी बीजेपी और शिवसेना सीएम पद को लेकर एकदूसरे के आमने-सामने हैं और अब तक नई सरकार के गठन पर कोई फैसला नहीं हुआ है।