एनसीपी के आने से हमारे कई नेता खुश नहीं, अब शिंदे को करना है फैसला; शिवसेना नेता शिरसाट ने कही ये बात
By अनिल शर्मा | Published: July 5, 2023 01:53 PM2023-07-05T13:53:59+5:302023-07-05T14:01:00+5:30
संजय शिरसाट ने कहा कि एनसीपी के हमारे साथ आने के बाद हमारे समूह के लोग परेशान थे क्योंकि हमारे कुछ नेताओं को उनकी वांछित पोजिशन नहीं मिलेगी। यह सच नहीं है कि हमारे सभी नेता एनसीपी के हमारे साथ आने से खुश हैं।
मुंबईः एनसीपी के अजित पवार गुट के महाराष्ट्र सरकार में शामिल होने पर शिवसेना (एकनाथ शिंदे) में खासे बेचैनी है। शिवसेना नेता संजय शिरसाट ने बुधवार इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि पार्टी के सभी नेता इस घटनाक्रम से खुश नहीं हैं और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे इस पर फैसला करेंगे। संजय शिरसाट का कहना है कि अजित पवार गुट के सरकार में शामिल होने के बाद, उनके समूह (शिवसेना) के कुछ लोग नाराज थे क्योंकि हमारे कुछ नेताओं को उनका वांछित पद नहीं मिलेगा।
शिरसाट ने कहा कि "राजनीति में जब हमारा प्रतिद्वंद्वी गिरोह हमारे साथ आना चाहता है, तो हमें उन्हें शामिल करना पड़ता है और यही भाजपा ने किया। एनसीपी के हमारे साथ आने के बाद हमारे समूह के लोग परेशान थे क्योंकि हमारे कुछ नेताओं को उनकी वांछित पोजिशन नहीं मिलेगी। यह सच नहीं है कि हमारे सभी नेता एनसीपी के हमारे साथ आने से खुश हैं।"
शिरसाट ने कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस को सूचित कर दिया है। उन्हें इस मुद्दे को हल करना होगा। उन्होंने आरोप लगाया कि जब उद्धव ठाकरे एमवीए सरकार के मुख्यमंत्री थे तो शरद पवार सरकार चलाते थे। उद्धव ठाकरे अब शिवसेना के प्रतिद्वंद्वी गुट के प्रमुख हैं।
शिरसाट ने कहा कि हम हमेशा एनसीपी के खिलाफ थे और आज भी हम शरद पवार के खिलाफ हैं। उद्धव ठाकरे को शरद पवार ने सीएम के तौर पर इस्तेमाल किया था। जब उद्धव सीएम थे तब एनसीपी (शरद पवार) सरकार चलाते थे... अब फैसला एकनाथ शिंदे को करना है। शिरसाट के अलावा भरत गोगावले और मंत्री दीपक केसरकर ने भाजपा द्वारा नए सहयोगी को लाने पर सवाल उठाया, वह भी उन्हें विश्वास में लिए बिना। उनका कहना है कि जब हमारे पास पूर्ण बहुमत है तो ऐसा करने की क्या जरूरत थी।
वहीं भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, अजित पवार खेमा वित्त, ऊर्जा, खाद्य और नागरिक आपूर्ति, ग्रामीण विकास, जल संसाधन और महिला एवं बाल कल्याण की मांग कर रहा है। जबकि शिंदे गुट अजीत को वित्त मिलने का कड़ा विरोध कर रहा है। क्योंकि एमवीए सरकार में वित्त मंत्री के रूप में परिव्यय का असंगत वितरण पिछले साल उनके विद्रोह का एक प्रमुख कारण था। सीएम ने अपनी पार्टी के मंत्रियों के विभागों में फेरबदल के विचार का भी विरोध किया, जिसे भाजपा ने प्रस्तावित किया था।
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