नई दिल्ली: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने ‘दिल्ली डिक्लेरेशन’ (घोषणापत्र) पर आम सहमति बनाने के लिए रविवार को भारत के जी20 शेरपा अमिताभ कांत की प्रशंसा की और कहा कि यह जी20 में भारत के लिए गौरवशाली क्षण था। एक साक्षात्कार में रूस-यूक्रेन पर पैराग्राफ पर आम सहमति बनाने संबंधी कांत की टिप्पणियों को टैग करते हुए थरूर ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, ‘बहुत खूब अमिताभ कांत। ऐसा लगता है कि जब आपने भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) का चयन किया था, तो भारतीय विदेश सेवा ने एक उत्कृष्ट राजनयिक खो दिया।’
थरूर ने शनिवार रात किए पोस्ट में कहा कि दिल्ली डिक्लेरेशन पर आम सहमति को लेकर भारत के जी20 शेरपा का कहना है कि रूस, चीन से बातचीत की गई, गत रात ही अंतिम मसौदा मिला। यह जी20 में भारत के लिए गर्व का क्षण है।
बता दें कि भारत ने शनिवार को बड़ी कूटनीतिक जीत हासिल करते हुए रूस-यूक्रेन युद्ध पर काफी मतभेदों के बावजूद जी20 शिखर सम्मेलन में सर्वसम्मति से घोषणापत्र जारी किया। कांत ने रविवार को कहा कि यहां ‘लीडर्स समिट’ में अपनाए गए ‘जी20 डिक्लेरेशन’ (घोषणापत्र) पर आम सहमति बनाने के लिए भारतीय राजनयिकों के एक दल ने 200 घंटे से भी अधिक समय तक लगातार बातचीत की। संयुक्त सचिव ई गंभीर और के नागराज नायडू समेत कई राजनयिकों के एक दल ने 300 द्विपक्षीय बैठकें कीं और ‘जी20 लीडर्स समिट’ के पहले दिन ही सर्वसम्मति बनाने के लिए विवादास्पद यूक्रेन संघर्ष पर अपने समकक्षों को 15 मसौदे वितरित किए।
अमिताभ कांत ने बताया कि पूरे जी20 शिखर सम्मेलन का सबसे जटिल हिस्सा भूराजनीतिक पैराग्राफ (रूस-यूक्रेन) पर आम सहमति बनाना था। यह 200 घंटे से अधिक समय तक लगातार बातचीत, 300 द्विपक्षीय बैठकों, 15 मसौदों के साथ किया गया। कांत ने कहा कि इस प्रयास में नायडू और गंभीर ने उनका काफी सहयोग किया।
बता दें कि जी20 नेताओं के घोषणापत्र में यूक्रेन पर रूस के आक्रमण का जिक्र करने से परहेज किया गया और सभी देशों से एक-दूसरे की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता का सम्मान करने के सिद्धांत का पालन करने का सामान्य आह्वान किया गया, जिसे मोटे तौर पर संघर्ष को लेकर पश्चिमी देशों के रुख में नरमी के तौर पर देखा जा रहा है। भारत ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका और इंडोनेशिया जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं के साथ सिलसिलेवार गहन वार्ताओं के माध्यम से विवादास्पद मुद्दे पर जी20 देशों के बीच एक अप्रत्याशित आम सहमति बनाने में कामयाब रहा। ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका और इंडोनेशिया ने वह मसौदा तैयार करने में भी मदद की, जिसे हर सदस्य देश की मंजूरी मिली।
(इनपुट- भाषा)