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’शांति, समृद्वि, मैत्री का संगम जैन धर्म’: प्रो.के.एल.कमल

By अनुभा जैन | Updated: January 12, 2023 19:42 IST

जैन धर्म से तालुक्क नहीं रखने के बावजूद प्रोफेसर कमल ने बेहद सादगीपूर्ण तरीके से और सभी पक्षों का समावेश करते हुये जैन धर्म के सिद्वांतों का इस पुस्तक के माध्यम से बखूबी वर्णन किया है जिनमें मुख्य तौर पर अनेकांत, अस्तेय, अहिंसा आदि सिद्वांत शामिल हैं।

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K.L. Kamal's book Shanti, Samridhi, Maitri ka Sangam Jain Dharma: जैन धर्म पर लिखी राजस्थान विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर के.एल.कमल की पुस्तक ’शांति, समृद्वि, मैत्री का संगम जैन धर्म’ एक बेहतरीन प्रयास है। जैन धर्म से तालुक्क नहीं रखने के बावजूद प्रोफेसर कमल ने बेहद सादगीपूर्ण तरीके से और सभी पक्षों का समावेश करते हुये जैन धर्म के सिद्वांतों का इस पुस्तक के माध्यम से बखूबी वर्णन किया है जिनमें मुख्य तौर पर अनेकांत, अस्तेय, अहिंसा आदि सिद्वांत शामिल हैं।

प्रोफेसर कमल का कहना है, ‘जैन धर्म में रूचि विकसित होने का कारण इसका पूर्ण रूप से वैज्ञानिक होना है। साथ ही जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर महावीर का चुंबकीय आकर्षक व्यक्तित्व है और जिन्होने अनेकांत का दर्शन दिया। यह अनेकांत अनेक जटिल समस्याओं को सुलझाने की कुंजी है।’

यह लघु पुस्तक शैली और वस्तु सामग्री में अन्य इसी तरह के विषय पर लिखी पुस्तकों से इसलिये भी अपने आप में अनूठी है क्योंकि पुस्तक में पाठकों को जैन सिद्वांतों के साथ महावीर स्वामी के जन्म व जीवन से जुड़ी महत्वपूर्ण घटनाओं की जानकारी‘तीर्थंकर महावीर का अद्वितीय व्यक्तित्व’ अध्याय से होती है। 

पुस्तक में वर्णित अध्याय जैसे ‘महावीर का पंचशील दर्शन’ और ‘महावीर और आधुनिकता’ से पाठकों को महावीर के विचारों का पता चलने के साथ यह भी ज्ञात होता है कि महावीर आधुनिक सिद्वांतों के अनुयायी थे। पुस्तक में बताया गया है कि करीब सत्ताइस सौ वर्षों पूर्व जन्में महावीर आधुनिक, प्रगतिशील वैज्ञानिक थे और महावीर के साथ कार्लमार्क्स, विवेकानंद और गांधी का अध्ययन शामिल है। अध्याय अहिंसक विश्व हेतु अपनाये तीर्थंकर महावीर का मार्ग भी पाठकों को एक नया दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है।

साथ ही इस पुस्तक में जैन धर्म की अच्छाईयों और विचारधाराओं के बारे में पढ़ कर आज की पीढ़ी बेहद लाभांवित होगी। अंत में लेखक ने पाठकों को जैन धर्म व जैन विचारधारा से संबंधित अन्य लेखकों द्वारा लिखी पुस्तकों की जानकारी भी दी है। कुल मिलाकर जैन धर्म पर लिखी यह 100 पृष्ठों की पुस्तक आसानी से कहीं भी लेजाई जा सकने के साथ कम समय में पढ़ कर किसी भी व्यक्ति को जैन धर्म की विशेषताओं व तीर्थंकर महावीर के सिद्वांतों से अवगत कराने के लिये एक अच्छा प्रयास है।

अंत में यह ज्ञातव्य रहे कि नेशनल यूनिटी अवार्ड, भारत बंधु और इंदिरा गांधी सद्भावना जैसे नायाब पुरूस्कारों से नवाजे जा चुके प्रो. के.एल.कमल को भारत सरकार द्वारा अपने कुलपति पद के दौरान कर्नल की उपाधि प्रदान की।

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