लाइव न्यूज़ :

शाह फैसल ने कहा, "देश में अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचार और कश्मीर की स्थिति ने मुझे बाध्य किया "

By भाषा | Updated: February 4, 2019 20:03 IST

उन्होंने कहा, ‘‘जब मैंने देश में विभिन्न अल्पसंख्यकों पर ढाये जा रहे अत्याचार के खिलाफ अपनी आवाज उठायी तब पिछले कुछ सालों से कश्मीर की स्थिति ने मुझे अपनी आवाज बुलंद करने के लिए बाध्य किया। हमने देखा कि कुछ पीएचडी अध्येताओं को शहीद किया जा रहा है, शिक्षित युवकों के बारे में बात करने वाला कोई नहीं है।’’

Open in App

पूर्व आईएएस अधिकारी शाह फैसल ने सोमवार को कहा कि भारत और पाकिस्तान को कश्मीर मुद्दे के समाधान के लिए बातचीत करनी चाहिए क्योंकि यह एक राजनीतिक समस्या है जो विकास पैकेजों से खत्म नहीं हो सकती है।

उन्होंने कहा, ‘‘जब नेताओं से पूछा जाता है कि मुद्दा क्या है तो वे कहते हैं कि कश्मीर एक समस्या है। उसे कुछ मौद्रिक पैकेज दे दें। 2004 के पैकेज का कुछ हिस्सा अब तक भी खर्च किया जाना बाकी है। क्या हमें बस पैसे की जरूरत है? क्या कश्मीरी भिखारी है ?’’ 

उन्होंने कहा, ‘‘हम उन्हें बताना चाहते हैं कि कश्मीर एक राजनीतिक समस्या है।’’ 

बातचीत की वकालत करते हुए फैसल ने कहा कि भारत और पाकिस्तान को मिल-बैठकर कश्मीर मुद्दे का समाधान करना चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘‘उन्हें पैसे फेंककर कश्मीरी लोगों की जिंदगी से नहीं खेलना चाहिए।’’ 

पिछले ही महीने सरकारी सेवा से इस्तीफा देने वाले फैसल यहां से करीब 100 किलोमीटर दूर अपने गृह जिले कुपवाड़ा में अपनी पहली जनसभा को संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि पिछले कुछ सालों से कश्मीर की स्थिति ने उन्हें उन लोगों की आवाज बनने के लिए बाध्य किया जिनकी आवाज नहीं सुनी जाती है।

उन्होंने कहा, ‘‘जब मैंने देश में विभिन्न अल्पसंख्यकों पर ढाये जा रहे अत्याचार के खिलाफ अपनी आवाज उठायी तब पिछले कुछ सालों से कश्मीर की स्थिति ने मुझे अपनी आवाज बुलंद करने के लिए बाध्य किया। हमने देखा कि कुछ पीएचडी अध्येताओं को शहीद किया जा रहा है, शिक्षित युवकों के बारे में बात करने वाला कोई नहीं है।’’ 

उन्होंने कहा, ‘‘नेता अपनी कुर्सी से चिपके हैं और पैसे बना रहे हैं जबकि कश्मीरी उनके राजनीतिक अधिकारों के लिए बलिदान दे रहे हैं। कोई इस तरफ मुड़कर नहीं देख रहा।’’ 

अपने आईएएस कार्यकाल को जेल करार देते हुए फैसल ने कहा, ‘‘मैं आपको ईमानदारीपूर्वक कहूं तो मैंने पिछले 10 साल जेल में गुजारे हैं। इन दस सालों में कई तरीकों से मैंने अपने लोगों की सेवा करने का प्रयास किया और सफल भी हुआ। लेकिन मैंने देखा कि इन दस सालों में वरिष्ठ सरकारी अधिकारी होने, दिल में आग जलने, अत्याचार और नाइंसाफी देखने के बावजूद मैं असहाय महसूस करता था।’’ 

उन्होंने कहा,‘‘मैं एक ऐसे मंच की तलाश में था जहां मैं कश्मीर के लोगों के लिए बात कर सकूं और उनकी बेहतरी के लिए काम भी कर सकूं।’’ 

टॅग्स :जम्मू कश्मीरकश्मीर मुठभेड़राजनीतिक किस्से
Open in App

संबंधित खबरें

भारतDrung Waterfall: महीनों बाद खुला द्रुग वाटरफाल, टंगमर्ग राइडर्स की रोजी-रोटी में मदद मिली

भारतJammu-Kashmir Power Shortage: सर्दी बढ़ने के साथ कश्मीर में गहराया बिजली सकंट, करीब 500 मेगावाट बिजली की कमी से परेशान लोग

भारतJammu-Kashmir: कश्मीर के मोर्चे से खुशखबरी, आतंकी हिंसा में गिरावट पर आतंक और दहशत में नहीं

पूजा पाठVaishno Devi Temple: मां वैष्णो देवी की यात्रा में गिरावट, पिछले साल के मुकाबले श्रद्धालुओं की संख्या घटी

भारतदिल्ली लाल किला कार विस्फोटः जम्मू-कश्मीर और लखनऊ में कुल 8 जगहों पर NIA छापेमारी, ‘सफेदपोश’ आतंकी मॉड्यूल पर नजर, पुलवामा, शोपियां और कुलगाम में एक्शन

भारत अधिक खबरें

भारतआखिर गरीब पर ही कार्रवाई क्यों?, सरकारी जमीन पर अमीर लोग का कब्जा, बुलडोजर एक्शन को लेकर जीतन राम मांझी नाखुश और सम्राट चौधरी से खफा

भारतलालू प्रसाद यादव के बड़े लाल तेज प्रताप यादव पर ₹356000 बकाया?, निजी आवास का बिजली कनेक्शन पिछले 3 साल से बकाया राशि के बावजूद चालू

भारत2026 विधानसभा चुनाव से पहले बंगाल में हलचल, मुर्शिदाबाद में बाबरी मस्जिद की आधारशिला, हुमायूं कबीर ने धर्मगुरुओं के साथ मिलकर फीता काटा, वीडियो

भारतमहाराष्ट्र महागठबंधन सरकारः चुनाव से चुनाव तक ही बीता पहला साल

भारतHardoi Fire: हरदोई में फैक्ट्री में भीषण आग, दमकल की गाड़ियां मौके पर मौजूद