लाइव न्यूज़ :

आज़ादी की डगर पे पाँव: शहीदों की चिताओं पर जुड़ेंगे हर बरस मेले...

By रंगनाथ सिंह | Updated: December 3, 2020 09:27 IST

पत्रकार और एक्टिविस्ट शाह आलम की नई किताब में 'आजादी की डगर पे पाँव' में भारत की आजादी के लिए सर्वस्व न्यौछावर करने वाले क्रांतिकारियों के परिजनों, शहादत स्थलों और उनसे जुड़ी अन्य निशानियों की पड़ताल की गयी है।

Open in App

शहीदों की मजारों पर जुड़ेंगे हर बरस मेले / वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशाँ होगा

काकोरी के शहीद अशफाकउल्लाह ख़ान की जेल डायरी में लिखा हुआ यह शेर शायद झूठा साबित हुआ है। भारतीय जनता उतनी कृतज्ञ नहीं साबित हुई जितनी रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाकउल्ला खान, रोशन सिंह, चंद्रशेखर आजाद और भगत सिंह जैसे क्रांतिकारियों को उम्मीद थी।

आजादी की डगर पे पाँव , मित्र शाह आलम की नई किताब है। इससे पहले वह बीहड़ में साइकिल, कमांडर इन चीफ गेंदालाल दीक्षित, मातृवेदी-बागियों की अमर कथा जैसी बढ़िया किताबें लिख चुके हैं। शाह आलम जैसा मौलिक काम बहुत कम लोग कर रहे हैं इसलिए हमारी कोशिश रहेगी कि एक-एक कर उनकी सभी किताबों के बारे में हम यहां चर्चा करें।

सोशल मीडिया पर पॉपुलर लोग भी बड़े प्रकाशनों से आने वाली किताबों को ही जरूरी किताब बताकर अपनी-अपनी गोटी सेट करते रहते हैं इसलिए भी चम्बल फाउण्डेशन से छपी शाह आलम की किताब की चर्चा जरूरी है।

किताब का विषय मोटे तौर पर तीन भागों में बाँटा जा सकता है। हिन्दी साहित्य में रुचि रखने वाले बहुत कम लोग होंगे जिन्होंने हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन (HRA) का नाम न सुना हो। ज़्यादातर भारतीय इस संगठन को रामप्रसाद बिस्मिल, अशफ़ाकउल्ला खाँ और रोशन सिंह की की वजह से जानते हैं। इसी संगठन को हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (HRSA) के तौर पर चंद्रशेखर आजाद और भगत सिंह इत्यादि ने फिर से जिंदा किया था। 

शाह आलम ने अपनी किताब में भारत के स्वतंत्रा संग्राम के क्रांतिकारी इतिहास से जुड़े इन महापुरुषों के जीवित परिजनों, बलिदान स्थलों और निशानियों का पुरसाहाल जानने का प्रयास किया है। हम में से बहुत कम लोग जानते होंगे कि बिस्मिल, अशफाक, रोशन सिंह या आजाद की शहादत के बाद उनके परिवार का क्या हुआ? हम से बहुत कम लोगों को पता होगा कि जिन जगहों पर ये नौजवान शहीद हुए उन शहीदस्थलों का क्या हाल है?

पत्रकारिता के आदर्श के तौर पर जिन गणेश शंकर विद्यार्थी का सबसे ज़्यादा नाम लिया जाता है, हम में कितने पत्रकारों को पता है कि उनके प्रताप प्रेस भवन का आज क्या हाल है? इन सभी सवालों के जवाब जानने के लिए यह किताब पढ़नी पड़ेगी।

भगत सिंह तो सेलेब्रिटी बन गये इसलिए उनके बारे में काफी मालूमात है लेकिन बाकी अनगिनत शहीद ऐसे हैं जिनका नाम भी मुझे जैसे शिक्षित समझे जाने वालों को भी नहीं पता। शहीद रामचंद्र विद्यार्थी और मौलवी अहमदउल्ला ख़ान जैसे शहीदों के बारे में जानने के लिए आपको यह किताब पढ़नी पड़ेगी। कानपुर एक्शन से जुड़े अनंतराम श्रीवास्तव जैसे स्वतंत्रतासेनानी आज के हिंदुस्तान के बारे में क्या सोचते हैं यह भी आप इस किताब को पढ़कर जान पाएंगे। यह किताब आपको अमेज़न और फ्लिपकार्ट जैसी वेबसाइटों पर उपलब्ध है।

टॅग्स :पुस्तक समीक्षाकला एवं संस्कृति
Open in App

संबंधित खबरें

बॉलीवुड चुस्कीMalaika Arora: सफलता की राह पर कई उतार-चढ़ाव, लेखिका के रूप में शुरुआत करने को तैयार मलाइका अरोड़ा

विश्वकौन हैं डेविड स्जेले?,  किरण देसाई को हराकर 2025 का बुकर पुरस्कार जीता

विश्वलूव्र, मोनालिसा की चोरी और कला की वापसी के रूपक

भारतयुगपुरुष के रूप में मोदी की व्याख्या करती पुस्तक: 'भारत वर्ष की स्वर्णाभा: नरेंद्र मोदी'

विश्वअमेरिकी सत्ता के ‘खलनायक’ चार्ली चैपलिन और महात्मा गांधी

भारत अधिक खबरें

भारतशशि थरूर को व्लादिमीर पुतिन के लिए राष्ट्रपति के भोज में न्योता, राहुल गांधी और खड़गे को नहीं

भारतIndiGo Crisis: सरकार ने हाई-लेवल जांच के आदेश दिए, DGCA के FDTL ऑर्डर तुरंत प्रभाव से रोके गए

भारतबिहार विधानमंडल के शीतकालीन सत्र हुआ अनिश्चितकाल तक के लिए स्थगित, पक्ष और विपक्ष के बीच देखने को मिली हल्की नोकझोंक

भारतBihar: तेजप्रताप यादव ने पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ कुमार दास के खिलाफ दर्ज कराई एफआईआर

भारतबिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नाम हुआ लंदन के वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज, संस्थान ने दी बधाई