नई दिल्ली: देश के चर्चित और वरिष्ठ पत्रकारों में शुमार जफर आगा का आकस्मिक निधन हो गया है। 70 साल के जफर आगा कौमी आवाज के प्रधान संपादक थे। उससे पहले वो नेशनल हेराल्ड और नवजीवन के भी संपादक रहे हैं। जफर आगा के परिजनों ने बताया कि वो बीते कुछ दिनों से अस्वस्थ्य चल रहे थे। आज सुबह 5.30 बजे वसंतकुंज के फोर्टिस अस्पताल में उनका निधन हो गया।
जफर आगा के बड़े भाई क़मर आगा ने निधन के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि जफर बीते कई दिनों से गंभीर निमोनिया और छाती के संक्रमण से पीड़ित थे। जिसके कारण उन्हें पहले दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में डॉक्टरों से सलाह ली गई थी लेकिन जब उन्हें आराम नहीं मिला तो फिर वसंतकुंज के फोर्टिस अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
आगा देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा 1937 में स्थापित कंपनी एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) के डिजिटल संस्करण के साथ उर्दू अखबार कौमी आवाज के साथ साल 2017 में जुड़े थे। उसके बाद उन्हें नेशनल हेराल्ड की जिम्मेदारी भी दे दी गई थी।
नेशनल हेराल्ड समूह (एसोशिएटेड प्रेस लिमिटेड) अंग्रेजी में नेशनल हेराल्ड, हिन्दी में नवजीवन और उर्दू में कौमी आवाज अखबारों का प्रकाशन करता है। हेराल्ड समूह इन तीनों अखबारों के डिजिटल संस्करण का भी संचालन करता है।
आज़ादी के बाद दैनिक उर्दू-पत्रकारिता के अग्रदूतों में से एक क़ौमी आवाज़ का 2008 में प्रकाशन को अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया था। जिसके डिजिटल संस्करण को लेकप्रिय बनाने में जफर आगा की बड़ी भूमिका रही।
जफर आगा के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने सोशल प्लेटफार्म एक्स पर किये पोस्ट में कहा, "दुखद समाचार: वरिष्ठ पत्रकार जफर आगा का आज सुबह निधन हो गया। 1990 के दशक में जब मैं पहली बार दिल्ली आया, तो जफर भाई ने बहुत दयालुता के साथ मुझे कई राजनेताओं से मिलवाया, खासकर जनता दल के नेताओं से, जो उन दिनों एक बड़ी ताकत थी। वह अपनी विचारधारा को ताक पर रखते थे लेकिन सत्ता में बैठे लोगों से अपने मन की बात कहने से कभी नहीं डरते थे।"
जफर आगा के परिजनों ने बताया कि उनका पार्थिव शव आज दोपहर 2 बजे अंतिम संस्कार के लिए बीके दत्त कॉलोनी, जोर बाग से साकेत के हौज रानी कब्रिस्तान ले जाया जाएगा, जहां उन्हें दफनाया जाएगा।