पटना: पूर्व केंद्रीय मंत्री व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डॉ. शकील अहमद ने अब सक्रिय राजनीति से संन्यास लेने का ऐलान कर दिया है। उन्होंने ऐलान किया है कि भविष्य में वह किसी तरह का चुनाव नहीं लड़ेंगे। इस बात की जानकारी उन्होंने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मलिकार्जुन खड़गे को पत्र के माध्यम से दे दी है। उन्होंने खड़गे को बताया है कि अब वे किसी नेता या जनप्रतिनिधि के तौर पर काम नहीं करेंगे बल्कि एक आम कार्यकर्ता की तरह कांग्रेस पार्टी में काम करते रहेंगे।
डा.शकील अहमद ने मीडियाकर्मियों से बातचीत के दौरान कहा कि लोकसभा 2009 और 2014 चुनाव में मधुबनी सीट से हार के बाद कांग्रेस के अलावा 2019 चुनाव में इस सीट को लेने के लिए गठबंधन में कोई तैयार नहीं था। इससे 2019 चुनाव को लेकर मैं आशान्वित था, लेकिन यह सीट 2019 चुनाव में वीआईपी पार्टी को चली गई। इससे मुझे दुख हुआ और मैंने निर्दलीय चुनाव लड़ा। इसके बाद मुझे पार्टी ने निलंबित कर दिया।
उन्होंने कहा कि अगर वह पार्टी में नहीं रहेगें तो हो सकता है, मधुबनी सीट गठबंधन में कांग्रेस को मिल जाए। साथ ही शकील अहमद ने कहा कि उनका समर्थन मधुबनी सीट से गठबंधन के प्रत्याशी को रहेगा। उल्लेखनीय है कि शकील अहमद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं। वह बिहार में विधायक, मंत्री, और सांसद भी रह चुके हैं। इसके साथ ही केंद्र सरकार में मंत्री, कई राज्यों के प्रभारी और बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। कभी विधायक के रूप में तो कभी बिहार सरकार में मंत्री के तौर पर तो कभी केंद्रीय मंत्री के रूप में वे अपने कर्तव्यों को निभाते आ रहे हैं। शकील अहमद कई राज्यों के प्रभारी भी रह चुके हैं। उन्होंने 2004 में मनमोहन सिंह सरकार में संचार, सूचना प्रौद्योगिकी और गृह राज्य मंत्री का कार्यभार संभाला। इसके अलावा बिहार कांग्रेस प्रदेश कमेटी के अध्यक्ष भी रह चुके हैं।