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भारतीय तटों पर पांच दशकों में 6.5 सेंटीमीटर बढ़ा समुद्र का जल स्तर: अध्ययन

By भाषा | Updated: August 9, 2020 20:45 IST

संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार, समुद्र तल में वृद्धि के कारण साल 2050 तक दुनिया के 10 देशों के कई क्षेत्र प्रभावित होंगे जिनमें भारत भी शामिल है।

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ठळक मुद्देभारत में समुद्री तटों पर जल स्तर में पिछले 40-50 वर्षों में करीब 6.5 सेंटीमीटर की वृद्धि हुई है। इस दौरान प्रति वर्ष समुद्र के जल स्तर में वृद्धि दर 1.3 मिलीमीटर रही है।

नयी दिल्ली: भारत में समुद्री तटों पर जल स्तर में पिछले 40-50 वर्षों में करीब 6.5 सेंटीमीटर की वृद्धि हुई है। इस दौरान प्रति वर्ष समुद्र के जल स्तर में वृद्धि दर 1.3 मिलीमीटर रही है। समुद्र के बढ़ते जल स्तर से तटीय इलाकों के लिए खतरा बढ़ सकता है। पृथ्वी मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, ‘‘ समुद्र का बढ़ता जल स्तर, समुद्र की तटवर्ती भूमि को धीरे-धीरे नुकसान पहुंचाने के अलावा तटीय इलाकों में तूफान, सुनामी, तटीय बाढ़, ऊंची लहरों से नुकसान एवं तटीय इलाकों में कटाव एवं क्षरण जैसे खतरों को बढ़ा सकता है।’’

मंत्रालय ने 11 प्रमुख बंदरगाहों पर समुद्र तल में हो रहे परिवर्तनों तथा मासिक औसत समुद्री स्तर से जुड़े दीर्घकालिक आंकड़ों का विश्लेषण कराया जिसमें पता चला कि भारतीय तट पर समुद्र के जल स्तर में अलग-अलग बदलाव हो रहे हैं। इस अध्ययन के अनुसार पिछले 40-50 वर्षों के दौरान भारतीय तटों पर समुद्र के स्तर में वृद्धि का रुझान 1.3 मिलीमीटर प्रति वर्ष है। इस प्रकार से पिछले करीब पांच दशकों में भारतीय तटों पर समुद्र का जल स्तर करीब 6.5 सेंटीमीटर बढ़ा है।

अध्ययन में जिन 11 प्रमुख बंदरगाहों का जल स्तर संबंधी आंकड़ा शामिल किया गया, उनमें पश्चिम बंगाल के डायमंड हार्बर समुद्र तट का स्तर सबसे तेजी से बढ़ रहा है। डायमंडर हार्बर के लिए साल 1948 से 2005 तक के आंकड़े का उपयोग किया गया और यहां समुद्र तल में प्रति वर्ष 5.16 मिलीमीटर वृद्धि हुई। कांडला बंदरगाह के लिए 1950 से 2005 तक के आंकड़े के आधार पर समुद्र तल में प्रति वर्ष 3.18 मिलीमीटर वृद्धि दर्ज की गई ।

इसके अलावा हल्दिया बंदरगाह के लिए 1972 से 2005 तक के आंकड़े का उपयोग किया गया जहां समुद्र तल में परिवर्तन की दर प्रति वर्ष 2.89 मिलीमीटर दर्ज की गई। पोर्ट ब्लेयर बंदरगाह के लिए 1916 से 1964 तक के आंकड़ों के आधार पर समुद्र के जल स्तर में प्रति वर्ष 2.20 मिलीमीटर दर्ज की गई। गुजरात के ओखा के लिए 1964 से 1991 तक के आंकड़ों का उपयोग किया गया और समुद्र तल में परिवर्तन की दर 1.50 मिलीमीटर दर्ज की गई।

मुम्बई के लिए वर्ष 1878 से 2005 तक के आंकड़ों के आधार पर समुद्र तल में 0.74 मिलीमीटर वृद्धि दर्ज की गई। अधिकारियों का कहना है कि इन सभी बंदरगाहों से यह आंकड़ा एक साथ, एक ही समय या परिस्थिति में नहीं लिया गया है, इसलिए इनकी एक ही संदर्भ में तुलना नहीं की जा सकती है। उन्होंने कहा, ‘‘ प्रत्येक राज्य में प्रमुख कटाव/ क्षरण स्थलों की पहचान की गई है और ऐसे कटाव के कारणों का अध्ययन किया जा रहा है।’’

संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार, समुद्र तल में वृद्धि के कारण साल 2050 तक दुनिया के 10 देशों के कई क्षेत्र प्रभावित होंगे जिनमें भारत भी शामिल है। वहीं, पिछले साल नवंबर में केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया था कि बीते पांच दशकों में भारतीय तटों पर समुद्र के जल स्तर में 8.5 सेंटीमीटर की वृद्धि हुई है। 

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