खांसने से निकलने वाली सूक्ष्म बूंदों पर अध्ययन से वैज्ञानिकों को कोविड-19 के प्रसार की मिली जानकारी

By भाषा | Published: January 1, 2021 06:38 PM2021-01-01T18:38:39+5:302021-01-01T18:38:39+5:30

Scientists got information about the spread of Kovid-19 from studies on micro-drops caused by coughing. | खांसने से निकलने वाली सूक्ष्म बूंदों पर अध्ययन से वैज्ञानिकों को कोविड-19 के प्रसार की मिली जानकारी

खांसने से निकलने वाली सूक्ष्म बूंदों पर अध्ययन से वैज्ञानिकों को कोविड-19 के प्रसार की मिली जानकारी

(विश्वम शंकरन)

नयी दिल्ली, एक जनवरी कोविड-19 महामारी जब दुनिया में फैल रही थी, आईआईटी बंबई के प्रोफेसर रजनीश भारद्वाज और उनके सहयोगी अमित अग्रवाल खांसने के दौरान निकलने वाली सूक्ष्म बूंदों के जरिए फैलने वाले संक्रमण पर अध्ययन कर रहे थे।

अपने प्रयोग के दौरान उन्होंने सूक्ष्म बूंदों के वाष्प बनने और उनमें वायरस की मौजूदगी पर शोध किया। लेकिन, जब यह स्पष्ट हो गया कि महामारी मुख्य रूप से संक्रमित व्यक्ति के खांसने और छींकने के दौरान निकलने वाली सूक्ष्म बूंदो के जरिए फैलती है तो दोनों ने अपने अध्ययन के जरिए सतह पर गिरने वाली बूंदों के वाष्प बनने और संक्रमण के विषय में जानने का प्रयास किया।

आईआईटी बंबई में मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर अग्रवाल ने बताया, ‘‘हमारी योजना थर्मल और तरल यांत्रिकी के क्षेत्र में अध्ययन को जारी रखने की थी। हालांकि महामारी के मद्देनजर अध्ययन में अन्य विषयों को भी शामिल किया गया। हमें लगा कि इस शोध के जरिए कोविड-19 के परिप्रेक्ष्य में कई अनुत्तरित सवालों के जवाब मिल सकते हैं।’’

तरल यांत्रिकी (फ्लूइड मैकेनिक्स) क्षेत्र के जानकार भारद्वाज और अग्रवाल ने कहा कि द्रव्यों के प्रवाह के जरिए कोरोना वायरस के प्रसार के मॉडल को समझने में मदद मिली।

भारद्वाज ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘हवा और पानी के जरिए इन सूक्ष्म कणों का संचरण होता है और ये अधिकतर विषाणु और जीवाणु के वाहक भी होते हैं। मौजूदा महामारी को समझने और इसके प्रबंधन में इस विषय के जरिए महत्वपूर्ण जानकारी मिल सकती है।’’

कोविड-19 के संबंध में कई तरह के अध्ययन आ चुके हैं, जिसमें बताया गया है कि किस आकार की बूंदे कितनी दूरी तक जा सकती है, लोगों के बीच कितनी दूरी सुरक्षित रहती है और बचाव में मास्क की कितनी उपयोगिता है।

वैज्ञानिकों ने खांसने के दौरान निकलने वाले बड़े कणों के वाष्प बनने की प्रक्रिया और इसके बाद इसके और सूक्ष्म कण में बदलने पर भी अध्ययन किया।

भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी), बेंगलुरु के वैज्ञानिक सप्तर्षि बसु ने बताया, ‘‘इस प्रक्रिया के दौरान बड़े कण कुछ दूरी तय करने के बाद सतह पर चले जाते हैं जबकि सूक्ष्म कण लंबे समय तक हवा में ही मौजूद रहते हैं।

शोध पत्रिका ‘फिजिक्स ऑफ फ्लूइड्स’ में बसु और उनकी टीम का अध्ययन प्रकाशित हुआ। इस अध्ययन में खांसने के बाद निकलने वाली बूंदों के वाष्प बनने तथा अत्यंत सूक्ष्म कण में बदलने और वायरस के मौजूदगी को बताया गया।

आईआईएससी के वैज्ञानिकों के मुताबिक मास्क लगाने, उचित दूरी के पालन करने, जनसंख्या घनत्व और लोगों के आवागमन संबंधी कारक किसी क्षेत्र में संक्रमण दर में बढोतरी या कमी के लिए जिम्मेदार होता है।

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Web Title: Scientists got information about the spread of Kovid-19 from studies on micro-drops caused by coughing.

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