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अब मोबाइल फोन बताएगा आपको कोरोना है या नहीं, बिना लक्षण वाले मरीजों की पहचान होगी आसान

By विनीत कुमार | Updated: October 30, 2020 09:58 IST

पूरी दुनिया में जारी कोरोना संक्रमण के प्रकोप के बीच वैज्ञानिकों को एक बड़ी सफलता हाथ लगी है। अमेरिकी वैज्ञानिकों ने एक ऐसा एआई विकसित किया है जो खांसी के नमूने को देखकर बता सकता है कि किसी को कोरोना संक्रमण है या नहीं। इसे मोबाइल में एप के तौर पर लाने की तैयारी जारी है।

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ठळक मुद्देवैज्ञानिकों ने विकसित किया खास आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मॉडल, खांसियों के नमूने से कोविड मरीजों की करता है पहचानकोविड मरीजों की पहचान होगी इस एआई मॉडल से आसान, मोबइल एप की तरह यूजर फ्रेंडली बनाने की तैयारी

वैज्ञानिकों ने एक ऐसा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) मॉडल विकसित किया है जिसमें बिना लक्षण वाले कोविड मरीजों की पहचान करने की क्षमता है। वैज्ञानिकों के अनुसार ये एआई किसी शख्स की खांसी को रिकॉर्ड कर बताता है कोई शख्स स्वस्थ है या उसे कोरोना का संक्रमण है। खास बात ये भी है कि इस टेस्ट के नतीजों को स्मार्टफोन पर एक एप के जरिए देखा सकता है।

अमेरिका के मैसात्यूसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) के शोधकर्ताओं ने पाया कि जो लोग कोरोना से संक्रमित होते हैं, उनकी खांसी अन्य स्वस्थ व्यक्तियों से अलग होती है। ये अंतर बेहद मामूली होता है और इंसान आसानी से इसे केवल सुनकर नहीं समझ सकता है। हालांकि, एआई की मदद से इस अंतर को पहचाना जा सकता है।

IEEE जर्नल ऑफ इंजीनियरिंग इन मेडिसिन एंड बायोलॉजी में प्रकाशित एक शोध में टीम ने इस एआई मॉडल को लेकर विस्तार से बताया है। शोधकर्ताओं के अनुसार खांसने के रिकॉर्ड को कई लोगों ने स्वेच्छा से वेब ब्राउजर और सेलफोन या लैपटॉप के जरिए जमा कराया गया था।

शोधकर्ताओं ने खांसी के हजारों नमूनों के साथ-साथ बोले गए शब्दों पर इस विशेष एआआई मॉडल को विकसित किया है।

शोधकर्ताओं के अनुसार इसे विकसित करने के बाद जब टेस्ट के तौर पर मिलान किया गया तो इस एआई ने 98.5 प्रतिशत तक उन खांसियों की पहचान सही तरीके से की जिनमें कोविड-19 संक्रमण की पुष्टि हुई थी। इसमें 100 प्रतिशत वैसी खांसियों की सही पहचान थी जिन्हें कोरोना तो था लेकिन उनमें कोई लक्षण नहीं थे।

एआई को लेकर खास एप विकसित करने की कोशिश जारी

अब टीम इस एआई मॉडल को आसानी से किसी एप के जरिए इस्तेमाल करने पर काम कर रही है। शोधकर्ताओं के अनुसार अगर उन्हें जल्द इस संबंध में सफलता मिलती है तो करोड़ों लोगों के लिए ये बड़ी राहत की बात होगी। इससे टेस्ट आसानी से किए जा सकेंगे, ये संभवत: मुफ्त होता और इससे कोरोना को फैलने से रोकने में भी बड़ी मदद मिलेगी।

टीम ने खासियों से कोविड के पहचान पर अप्रैल में ही काम शुरू कर दिया था। इसके लिए एक वेबसाइट भी बनाई गई थी जहां लोग अपनी खासियों के नमूनों को रिकॉर्ड कर जमा करा सकते थे। अब तक टीम के पास 70000 रिकॉर्डिंग्स आ गए हैं, जिसमें करीब 2 लाख खांसी के नमूने हैं।

शोधकर्ताओं ने उन्हें एआई को सही पहचान के लिए विकसित करने के लिए करीब 4000 खासियों के नमूने का इस्तेमाल किया। इसके बाद 1000 खासियों का इस्तेमाल ये परखने के लिए किया गया कि एआई किस हद तक कोविड मरीजों की पहचान कर पाता है। नतीजे में इसने कोविड-19 के लक्षण वाले 98.5 प्रतिशत खासियों की सही पहचान की जबकि बिना लक्षण के मामले में इसका नतीजा शत-प्रतिशत रहा।

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