सुप्रीम कोर्ट ने सुब्रमण्यम स्वामी की पूजा स्थल अधिनियम की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र से 12 दिसंबर तक मांगा जवाब

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: November 14, 2022 03:09 PM2022-11-14T15:09:34+5:302022-11-14T15:11:28+5:30

राज्यसभा सदस्य और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि उन्होंने अपनी याचिका में अधिनियम को रद्द करने की मांग नहीं की है। उन्होंने कहा कि अयोध्या के राम मंदिर विवाद की तरह ही काशी और मथुरा में कथित विवादित स्थलों से संबंधित मामलों को पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम-1991 के दायरे से बाहर रखा जाना चाहिए।

sc to center should file reply on petitions challenging the validity of Places of Worship Act | सुप्रीम कोर्ट ने सुब्रमण्यम स्वामी की पूजा स्थल अधिनियम की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र से 12 दिसंबर तक मांगा जवाब

सुप्रीम कोर्ट ने सुब्रमण्यम स्वामी की पूजा स्थल अधिनियम की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र से 12 दिसंबर तक मांगा जवाब

Highlightsयाचिका में अधिनियम को रद्द करने की मांग नहीं की हैः सुब्रमण्यम स्वामीपीठ ने कहा कि वह मामले की अगली सुनवाई पर स्वामी की याचिका पर विचार करेगी।

नयी दिल्लीः उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को केंद्र सरकार को वर्ष 1991 के उस कानून के कुछ प्रावधानों की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर एक व्यापक हलफनामा दायर करने के लिए 12 दिसंबर तक का समय दिया, जो पूजा स्थल पर फिर से दावा करने या 15 अगस्त 1947 तक मौजूद उसके स्वरूप में बदलाव की मांग करने के लिए मुकदमा दायर करने पर रोक लगाता है। प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला की पीठ केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की इन दलीलों को स्वीकार कर लिया कि जवाब दाखिल नहीं किया जा सका है और मामले में बाद में सुनवाई की जा सकती है।

पीठ ने केंद्र को 12 दिसंबर तक ‘व्यापक’ हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया

मेहता ने कहा, “एक विस्तृत जवाब दाखिल करने के लिए मुझे सरकार के साथ विचार-विमर्श करने की जरूरत है। क्या कुछ समय दिया जा सकता है।” पीठ ने सॉलिसिटर जनरल की इन दलीलों को स्वीकार करते हुए याचिकाओं पर सुनवाई स्थगित कर दी कि सरकारी अधिकारियों के साथ उचित विचार-विमर्श किए जाने की जरूरत है। पीठ ने केंद्र को 12 दिसंबर या उससे पहले एक ‘व्यापक’ हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया। उसने केंद्र से संबंधित पक्षों के साथ अपनी प्रतिक्रिया साझा करने को कहा और याचिकाओं पर जनवरी 2023 के पहले सप्ताह में सुनवाई करने का निर्णय लिया।

याचिका में अधिनियम को रद्द करने की मांग नहीं की हैः सुब्रमण्यम स्वामी

राज्यसभा सदस्य और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि उन्होंने अपनी याचिका में अधिनियम को रद्द करने की मांग नहीं की है। उन्होंने कहा कि अयोध्या के राम मंदिर विवाद की तरह ही काशी और मथुरा में कथित विवादित स्थलों से संबंधित मामलों को पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम-1991 के दायरे से बाहर रखा जाना चाहिए। स्वामी ने कहा, “मैं अधिनियम को रद्द करने की मांग नहीं कर रहा हूं। लेकिन दो मंदिरों को शामिल किया जाए और अधिनियम अपने स्वरूप में रह सकता है।”

अगली सुनवाई पर स्वामी की याचिका पर विचार करेगी

पीठ ने कहा कि वह मामले की अगली सुनवाई पर स्वामी की याचिका पर विचार करेगी। इससे पहले, उच्चतम न्यायालय ने केंद्र को पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर जवाब दाखिल करने के लिए 31 अक्टूबर तक का समय दिया था। शीर्ष अदालत अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय द्वारा दायर याचिका सहित अन्य याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। उपाध्याय ने दलील दी है कि पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम-1991 की धारा 2, 3, 4 को इस आधार पर रद्द कर दिया जाना चाहिए कि ये प्रावधान पूजा स्थल पर फिर से दावा करने के किसी व्यक्ति या धार्मिक समूह के न्यायिक अधिकार को छीन लेते हैं। 

Web Title: sc to center should file reply on petitions challenging the validity of Places of Worship Act

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