सुप्रीम कोर्ट ने कहा, सरकार को आरक्षण की पात्रता वाली सूचियों में संशोधन की आवश्यकता

By भाषा | Published: April 23, 2020 02:56 PM2020-04-23T14:56:40+5:302020-04-23T14:59:37+5:30

सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले में कहा कि 100 फीसदी आरक्षण प्रदान करना ‘अनुचित’ होगा और कोई भी कानून यह अनुमति नहीं देता है

SC holds unconstitutional 100 percent ST reservations for teachers in scheduled areas | सुप्रीम कोर्ट ने कहा, सरकार को आरक्षण की पात्रता वाली सूचियों में संशोधन की आवश्यकता

लोकमत फाइल फोटो

Highlightsआरक्षण की चुनौतियों से निबटने के लिये निर्वाचित सरकार के पास राजनीतिक इच्छाशक्ति का होना मुश्किल: SCआरक्षण पर सुनवाई के दौरान शीर्ष कोर्ट ने कहा-समय-समय पर संशोधन किये गये और सूचियों की न तो समीक्षा की गयी और न ही आरक्षण के प्रावधान खत्म हुये

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आरक्षण के परिदृश्य से उत्पन्न चुनौतियों से निबटने के लिए निर्वाचित सरकार के पास ‘राजनीतिक इच्छा शक्ति’ का होना बहुत ही कठिन है जहां न तो इस लाभ के हकदारों की सूची की समीक्षा की गयी है और न ही आरक्षण का प्रावधान खत्म हुआ है।

शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि सरकार को आरक्षण की पात्रता वाली सूचियों में संशोधन करने की आवश्यकता है ताकि आरक्षण का लाभ जरूरतमंदों तक पहुंच सकें। न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने गत मंगलवार को सुनाये गये अपने फैसले में कहा कि अन्य पिछड़े वर्गों, अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के साथ हुये भेदभाव के कारण सत्ता साझा करने के लिये आरक्षण प्रदान किया गया।

संविधान पीठ ने कहा, ‘‘यह परिकल्पना की गयी थी कि 10 साल के भीतर सामाजिक विसंगतियों, आर्थिक और पिछड़ेपन को समाप्त कर दिया जाना चाहिए लेकिन समय-समय पर संशोधन किये गये और सूचियों की न तो समीक्षा की गयी और न ही आरक्षण के प्रावधान खत्म हुये।’’

पीठ ने फैसले में आगे कहा, ‘‘इसकी बजाये, इसे बढ़ाने और आरक्षण के भीतर भी आरक्षण देने की मांग हो रही है। किसी भी निर्वाचित सरकार के लिये इस परिदृश्य में पैदा हो रही चुनौतियों से निबटने के लिये राजनीतिक इच्छा शक्ति रखना बहुत ही कठिन है।’’

न्यायालय ने आदिवासी इलाकों के स्कूलों में शिक्षकों के 100 फीसदी पद अनुसूचित जनजातियों के लिये आरक्षित करने के जनवरी 2000 के अविभाजित आंध्र प्रदेश का आदेश निरस्त करते हुये अपने फैसले में ये टिप्पणियां कीं। न्यायालय ने कहा कि यह ‘मनमाना’ है और संविधान के अंतर्गत इसकी इजाजत नहीं है।

पीठ ने कहा कि 100 फीसदी आरक्षण प्रदान करना ‘अनुचित’ होगा और कोई भी कानून यह अनुमति नहीं देता है कि अधिसूचित इलाकों में सिर्फ आदिवासी शिक्षक ही पढ़ायेंगे। पीठ ने कहा कि अनूसूचति जनजातियों के लिये आरक्षण का प्रावधान और आदिवासी इलाकों के संविधान की वजह यह है कि उनकी जीवन शैली की पद्धति एकदम भिन्न है क्योंकि वे सामान्य सभ्यता से अलग हैं और यह न्याय प्रदान करने, सांस्कृतिक और जीवन शैली जैसे कई पहलुओं में भिन्न हैं। 

Web Title: SC holds unconstitutional 100 percent ST reservations for teachers in scheduled areas

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