सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा- क्या जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल करने की कोई समय सीमा है?
By शिवेन्द्र कुमार राय | Published: August 29, 2023 05:28 PM2023-08-29T17:28:34+5:302023-08-29T17:32:14+5:30
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा कि क्या जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए कोई समय सीमा और कोई रोडमैप है? सर्वोच्च न्यायलय में सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल, संजीव खन्ना, बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत की पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है।

सुप्रीम कोर्ट में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई हो रही है
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में जम्मू-कश्मीर से संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई हो रही है। 29 अगस्त को इस मामले पर सुनवाई का 12वां दिन था। सर्वोच्च न्यायलय में सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल, संजीव खन्ना, बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत की पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है। सुनवाई में भारत सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पेश हुए।
इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा कि क्या जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए कोई समय सीमा और कोई रोडमैप है। अनुच्छेद 370 मामले पर याचिकाओं की सुनवाई कर रही पीठ ने केंद्र और जम्मू-कश्मीर प्रशासन की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर-जनरल तुषार मेहता से कहा कि हम समझते हैं कि ये राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले हैं।
सीजेआई ने कहा, "संघ के लिए यह कहना संभव क्यों नहीं था कि अभी एक राज्य के मामले में, हमारे पास राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले में इतनी चरम स्थिति है, कि हम एक निश्चित अवधि के लिए चाहते हैं कि एक यूटी बनाया जाए। लेकिन यह स्थायी नहीं है और यह एक राज्य के रूप में बहाल किया जाएगा। क्या कोई संघ स्थिरता लाने के लिए एक निश्चित अवधि के लिए ऐसा नहीं कर सकता? आइए इसका सामना करें, चाहे वह एक राज्य हो या केंद्रशासित प्रदेश, अगर एक राष्ट्र जीवित रहता है तो हम सभी जीवित रहते हैं।"
सीजेआई ने कहा कि सरकार को भी हमारे सामने एक बयान देना होगा कि प्रगति होनी है। यह स्थायी रूप से केंद्र शासित प्रदेश नहीं हो सकता।
इससे पहले सोमवार, 28 अगस्त को जम्मू और कश्मीर (J&K) के स्थायी निवासियों को विशेष अधिकार प्रदान करने वाले अनुच्छेद 35A को लेकर अहम टिप्पणी की। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद 35A जम्मू-कश्मीर के अनिवासियों से उनका मौलिक अधिकार छीन रहा था। सुनावई के दौरान CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि अनुच्छेद 35-A ने नागरिकों के कई मौलिक अधिकारों को छीन लिया है। इसने नागरिकों से जम्मू- कश्मीर में रोजगार, अवसर की समानता, संपत्ति अर्जित करने के अधिकार छीना है। ये अधिकार खास तौर पर गैर-निवासियों से छीने गए हैं।