नयी दिल्ली, 18 सितंबर दिल्ली में जंतर-मंतर पर शनिवार को राष्ट्रीय मौद्रिकरण पाइपलाइन (एनएमपी) के खिलाफ अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदाय के सैंकड़ों लोगों ने प्रदर्शन किया।
यह विरोध प्रदर्शन अखिल भारतीय अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति संगठनों की ओर से किया गया, जिसे परिसंघ भी कहा जाता है। यह एक ऐसा संगठन है, जिसमें कर्मचारी और सामाजिक कार्यकर्ता शामिल हैं। इस विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व परिसंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व सांसद उदित राज ने किया।
केंद्रीय मंत्री निर्माला सीतारमण ने पिछले महीने छह लाख करोड़ की एनएमपी की घोषणा की थी। एनएमपी में केंद्र सरकार की पुरानी बुनियादी ढांचा परिसंपत्तियों की चार साल की पाइपलाइन शामिल है और सरकार राष्ट्रीय राजमार्गों और पावर ग्रिड पाइपलाइनों सहित छह लाख करोड़ रुपये की बुनियादी ढांचा संपत्तियों को अंतिम रूप दे रही है, जिनका मौद्रिकरण किया जाएगा।
राज ने दावा किया कि मौजूदा समय में करीब 80 फीसदी सरकारी पद खाली है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नीत सरकार इन खाली पदों को भरने के बजाय इन्हें छीन रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकारी नीतियों का सबसे बुरा प्रभाव शिक्षा क्षेत्र पर हुआ है। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति में आरक्षण का कहीं ज़िक्र नहीं है।
उन्होंने कहा कि निजीकरण से अनुसूचित जाति/जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग को सबसे ज्यादा नुकसान होगा।
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