सवर्ण आरक्षण: बीजेपी को 14 राज्यों की सवर्ण बहुल इतनी सीटों पर होगा फायदा, 2014 में सबसे ज्यादा मिला अगड़ों का वोट
By विकास कुमार | Published: January 8, 2019 02:41 PM2019-01-08T14:41:25+5:302019-01-08T14:41:25+5:30
सवर्ण आरक्षण को मोदी सरकार का मास्टरस्ट्रोक का बता रहे हैं क्योंकि देश के 14 राज्यों में 341 लोकसभा सीटों पर सवर्ण वोटों का सीधा दबदबा है. ऐसे में लोकसभा चुनाव से पहले नरेन्द्र मोदी को इन सीटों पर अप्रत्याशित रूप से बढ़त मिल सकती है.
मोदी सरकार आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्णों को आरक्षण देने के लिए आज लोकसभा में संविधान संशोधन बिल पेश कर रही है. सरकार इस बिल को पास कराने के लिए इतना तत्पर दिख रही है कि राज्यसभा की कार्यवाही को एक दिन के लिए बढ़ा दिया गया है.
लोकसभा चुनाव से पहले लोग इसे मोदी सरकार का मास्टरस्ट्रोक भी बता रहे हैं क्योंकि देश के 14 राज्यों में 341 लोकसभा सीटों पर सवर्ण वोटों का सीधा दबदबा है. ऐसे में लोकसभा चुनाव से पहले नरेन्द्र मोदी को इन सीटों पर अप्रत्याशित रूप से बढ़त मिल सकती है. उत्तर प्रदेश में भी 80 लोकसभा सीटों में 37 सीटों पर सवर्णों का दबदबा है, ऐसे में देश के सबसे बड़े राज्य में भाजपा को जबरदस्त फायदा मिल सकता है.
उत्तर भारत के साथ दक्षिण भारत की राजनीति में भी सवर्णों का ठीक-ठाक दबदबा रहा है. कर्नाटक की 28 बहुल सीटों में 15 सीटें सवर्ण बहुल हैं और इसमें से 12 सीटों पर भाजपा ने 2014 में चुनाव जीता था. ऐसे में इस फैसले का दक्षिण भारत में भी भाजपा को फायदा मिल सकता है.
लोकसभा में बहुमत में होने के कारण सरकार को वहां दिक्कतें पेश नहीं आएगी लेकिन राज्यसभा में मामला 59 प्रतिशत समर्थन एनडीए सरकार को मिलती हुई दिख रही है. ऐसे कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, बसपा और तमाम अन्य दल के इस मुद्दे पर समर्थन देने के कारण बीजेपी को ज्यादा मुश्किलों का सामना नहीं करना पड़ेगा.
2014 में बीजेपी को पूरे देश में सबसे ज्यादा अगड़ी जातियों का वोट मिला था. 54 प्रतिशत वोट भाजपा को मिले थे. इससे ये अंदाजा लगाना आसान है कि सवर्णों का झुकाव हमेशा से भाजपा की तरफ रहा है. लेकिन हाल के दिनों में एससी-एसटी एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने के बाद सवर्णों की नाराजगी पार्टी को भारी पड़ रही थी. इसका सबसे बड़ा उदाहरण मध्य प्रदेश में भाजपा की हार है.