लोकसभा चुनाव में केंद्र और पश्चिम बंगाल सरकार के बीच जारी तनातनी के बीच सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को पूर्व कोलकाता पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार की गिरफ्तारी से मिली छूट को हटा दिया। यह मामला सारदा चिट फंड केस से जुड़ा है। सुप्रीम कोर्ट ने साथ ही कहा कि कुमार को गिरफ्तारी से छूट देने संबंधी पांच फरवरी का आदेश आज से सात दिनों के लिए लागू रहेगा ताकि वह कानूनी उपायों के लिए सक्षम अदालत में जा सकें।
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस दीपक गुप्ता और संजीव खन्ना की बेंच ने सुनवाई करते हुए कहा कि सीबीआई कानून के तहत मामले की जांच में आगे बढ़ सकती है। कोर्ट ने साथ ही साफ किया कि उसके गिरफ्तारी से रोक हटाने के फैसले को यह नहीं समझा जाना चाहिए कि सीबीआई को राजीव कुमार को हिरासत में लेने के निर्देश मिल गये हैं।
बता दें कि सारदा चिट फंड मामला की जांच अभी जारी है। यह मामला इसी साल फरवरी में पश्चिम बंगाल पुलिस और सीबीआई के बीच तनातनी के बाद सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था। सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि उसे पश्चिम बंगाल सरकार से मामले की जांच में सहयोग नहीं मिल रहा है।
दरअसल, पूरा मामले ने उस समय तूल पकड़ा था जब सीबीआई की टीम सारद चिट फंड केस में पूछताछ के लिए राजीव कुमार के घर पहुंची थी। हालांकि, स्थानीय पुलिस ने इन अधिकारियों को ही हिरासत में ले लिया।
क्या है पूरा मामला
राजीव कुमार उस स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम का नेतृत्व कर रहे थे जो सारदा चिट फंड और रोज वैली मामले की जांच में जुटी थी। सीबीआई ने इसके बाद उन्हें काई बार केस से जुड़े कुछ गुम हुए दस्तावेजों के बारे में पूछताछ के लिए बुलाया था। हालांकि, रिपोर्ट्स के अनुसार राजीव इसे नजरअंदाज करते रहे।
इसके बाद 3 फरवरी, 2019 की शाम सीबीआई अधिकारियों की एक टीम राजीव कुमार के कोलकाता स्थित आवास पहुंच गई। यहां बाहर खड़े पुलिसकर्मियों से सीबीआई अधिकारियों की बहस और झड़प भी हुई। इसके बाद स्थानिय पुलिस अधिकारियों को लेकर पुलिस थाने पहुंच गई और उन्हें हिरासत में ले लिया। इसके बाद राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी केंद्र सरकार पर सीबीआई के दुरुपयोग का आरोप लगाया और धरने पर बैठ गई थीं।