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समाजवादी पार्टी ने लोकसभा चुनाव के लिए कसी कमर, पार्टी संगठन में हुआ भारी फेरबदल, जानिए अखिलेश यादव की चुनावी रणनीति

By आशीष कुमार पाण्डेय | Updated: August 14, 2023 12:58 IST

समाजवादी पार्टी ने आगामी लोकसभा चुनाव के लिए कमर कस ली है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा से मिली हार का बदला लेने के लिए लोकसभा की 80 सीटों के लिए व्यापक रणनीति बनाई और इसके तहत पार्टी के संगठन में भारी फेरबदल किया गया है।

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ठळक मुद्देउत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी ने आगामी लोकसभा चुनाव के लिए कमर कस ली हैसपा प्रमुख अखिलेश यादव ने लोकसभा की 80 सीटों के लिए व्यापक रणनीति बनाईसपा ने कार्यकारिणी समिति का पुनर्गठन करते हुए गैर-यादव अन्य पिछड़े नेताओं को तरजीह दी है

लखनऊ:उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी ने आगामी लोकसभा चुनाव के लिए कमर कस ली है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा से मिली हार का बदला लेने के लिए लोकसभा की 80 सीटों के लिए व्यापक रणनीति बनाई और इसके तहत पार्टी के संगठन में भारी फेरबदल किया गया है।

समाजवादी पार्टी, जो कि विपक्षी गठबंधन इंडिया की प्रमुख साझेदार है। उसने केंद्र और राज्य की सत्ता पर काबिज भाजपा को हराने के लिए चुनावी सियासत में नई बिसात बिछाने का फैसला किया है। सपा ने बीते रविवार को अपनी राज्य कार्यकारिणी समिति का पुनर्गठन किया और इसमें इस बार बड़ा बदलाव यह हुआ है कि पार्टी ने पारंपरिक वोटबैंक यादव की बजाय गैर-यादव अन्य पिछड़े नेताओं को अधिक जगह दी है।

समाचार वेबसाइट इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार सियासी गलियारों में और जनता की नजर में पार्टी "केवल यादव" के लगे लेबल से बचने के लिए इस तरह का प्रयास किया है।

प्रदेश कार्यकारिणी समिति में 70 पदाधिकारियों में 48 सदस्यों का चयन किया है, जबकि 62 विशेष आमंत्रित सदस्य शामिल हैं। यूपी में पार्टी की कमान नरेश उत्तम पटेल के पास होगी, जिनकी सहायता के लिए टीम में चार उपाध्यक्ष, तीन महासचिव, 61 सचिव और एक कोषाध्यक्ष रहेंगे।

नई कार्यकारिणी के गठन के बाद नरेश उत्तम पटेल ने कहा “लोकसभा चुनाव 2024 के लिहाज से यूपी सपा की नई टीम कापी संतुलित है और इसमें सभी जातियों और समुदायों के नेताओं का प्रतिनिधित्व है। भाजपा हमारे बारे में दुष्प्र करती है कि सपा जाति विशेष की पार्टी है। सपा ने हमेशा से सभी जातियों और समुदायों को सम्मान और प्रतिनिधित्व दिया है।”

वहीं सियासी जानकारों का मानना है कि सपा में गैर यादव ओबीसी को बड़ा प्रतिनिधित्व देने के पीछे अखिलेश यादव ओम प्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के छिटकने से दूर हुए पिछड़ी जाति के मतदाताओं को साधना चाहते हैं क्योंकि 2022 के विधानसभा चुनाव में सपा गठबंधन को गैर-यादव ओबीसी वोटों का अच्छा हिस्सा मिला था।

हालांकि अब ओपी राजभर के नेतृत्व वाली सुभासपा भाजपा के पाले में चली गई है, वहीं सपा की विधानसभा में एक अन्य गठबंधन की साथी महान दल ने लोकसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी को बिना शर्त समर्थन देने का ऐलान कर दिया है। इसके अलावा बीते दिनों सपा को उस वक्त झटका लगा, जब ओबीसी नेता दारा सिंह चौहान भी भाजपा में शामिल हो गये थे।

सपा ने कुर्मी वोट को साधने के लिए यूपी सपा प्रमुख नरेश उत्तम पटेल की गद्दी बरकरार रखी है, वहीं कार्यकारी समिति में पटेल के अलावा दो अन्य कुर्मी नेताओं को शामिल किया गया है। इसके अलावा संगठन की कार्यकारी समिति में निषाद समुदाय से भी चार नेताओं को शामिल किया गया है।

इस कवायद के जरिये सपा का सीधा निशाना भाजपा के साथ अपना दल (एस) और निषाद पार्टी के साथ गठबंधन को टक्कर देना है, जिनके पास मौजूदा सियासी समीकरण में कुर्मी और निषाद समुदाय का खासा वोटबैंक शामिल है।

इसके अलावा कार्यकारी समिति में सात पदाधिकारी सपा के गढ़ माने जाने वाले मैनपुरी, कन्नौज और इटावा से हैं। वहीं नई समिति में सपा के राष्ट्रीय महासचिव और अखिलेश के चाचा शिवपाल सिंह यादव के आधा दर्जन से अधिक वफादारों को भी जगह मिली है।

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