25 शहरों में शैक्षणिक संस्थानों के पास दुकानों में हो रही तंबाकू उत्पादों की बिक्री : सर्वेक्षण

By भाषा | Updated: January 25, 2021 17:23 IST2021-01-25T17:23:13+5:302021-01-25T17:23:13+5:30

Sale of tobacco products in shops near educational institutions in 25 cities: survey | 25 शहरों में शैक्षणिक संस्थानों के पास दुकानों में हो रही तंबाकू उत्पादों की बिक्री : सर्वेक्षण

25 शहरों में शैक्षणिक संस्थानों के पास दुकानों में हो रही तंबाकू उत्पादों की बिक्री : सर्वेक्षण

नयी दिल्ली, 25 जनवरी देश के 25 शहरों में शैक्षणिक संस्थानों के आसपास की 72 प्रतिशत दुकानों में चॉकलेट, कैंडी जैसे उत्पादों के साथ सिगरेट, बीड़ी और अन्य तंबाकू उत्पाद की भी बिक्री हो रही है। एक हालिया सर्वेक्षण में यह कहा गया है।

अक्टूबर और नवंबर 2019 के बीच ‘बिग टोबैको टिनी टार्गेट’ अध्ययन किया गया। दो लोक स्वास्थ्य समूहों ‘वोलेंट्री हेल्थ एसोसिएशन ऑफ इंडिया’ और ‘कंज्यूमर वॉइस’ ने एक मोबाइल ऐप का इस्तेमाल करते हुए 10 राज्यों के 25 शहरों में इस अध्ययन में कुल 1011 शैक्षणिक संस्थानों को शामिल किया।

सर्वेक्षण में कहा गया कि शैक्षणिक संस्थानों के 100 गज के भीतर तंबाकू उत्पादों की बिक्री करने वाले 885 स्थानों की पहचान की गयी।

यह सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद कानून (कोटपा), 2003 की धारा छह (बी) का उल्लंघन है। इस कानून के तहत शैक्षणिक संस्थानों के 100 गज के भीतर के क्षेत्र में सिगरेट या अन्य तंबाकू उत्पादों की बिक्री पर प्रतिबंध है।

रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘कुल 885 स्थानों की जांच की गयी, जिनमें 640 स्थानों पर (72.32 प्रतिशत) कैंडी, चॉकलेट जैसे उत्पादों के पास ही सिगरेट रखे गए थे। तंबाकू उत्पादों को उन जगहों पर रखा गया था जो बच्चों को आसानी से दिखते थे।’’

‘वोलेंट्री हेल्थ एसोसिएशन ऑफ इंडिया’ की मुख्य कार्यकारी अधिकारी भावना बी मुखोपाध्याय ने कहा, ‘‘शैक्षणिक संस्थानों के आसपास तंबाकू उत्पादों की बिक्री और विज्ञापन के लिए तंबाकू उद्योग को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमारे शैक्षणिक संस्थान सुरक्षित नहीं रहे क्योंकि तंबाकू उद्योग हमारे बच्चों और युवाओं को अपने जानलेवा उत्पादों के इस्तेमाल के लिए लुभा रहे हैं।’’

‘कंज्यूमर वॉइस’ के मुख्य परिचालन अधिकारी आशिम सान्याल ने कहा कि तंबाकू कंपनियां शैक्षणिक संस्थानों के आसपास तंबाकू उत्पादों की बिक्री कर कानून की खामियों का फायदा उठा रही है और युवा पीढ़ी की जान को खतरे में डाल रही है।

उन्होंने कहा, ‘‘हम बच्चों, युवाओं की हिफाजत के लिए कोटपा, 2003 को मजबूत करने का अनुरोध करते हैं।

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