साध्वी को मिला शिवराज का साथ, दिग्विजय की बढ़ सकती है मुसीबत

By राजेंद्र पाराशर | Published: April 19, 2019 06:09 AM2019-04-19T06:09:11+5:302019-04-19T06:09:11+5:30

मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में कांग्रेस प्रत्याशी दिग्विजय सिंह के खिलाफ भाजपा ने साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को मैदान में उतारने के साथ पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भोपाल सहित प्रदेश की कमान सौंप दी

Sadhvi gets Shivraj's support, Digvijay may get trouble | साध्वी को मिला शिवराज का साथ, दिग्विजय की बढ़ सकती है मुसीबत

साध्वी को मिला शिवराज का साथ, दिग्विजय की बढ़ सकती है मुसीबत

मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में कांग्रेस प्रत्याशी दिग्विजय सिंह के खिलाफ भाजपा ने साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को मैदान में उतारने के साथ पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भोपाल सहित प्रदेश की कमान सौंप दी. शिवराज सिंह चुनावी रणनीति में जुट गए, वे साध्वी के नाम की घोषणा के साथ ही प्रदेश भाजपा कार्यालय में सक्रिय हैं और बैठकें लेकर विधायकों, कार्याकर्ताओं और पदाधिकारियों को संगठित कर रहे हैं. साथ ही अपनी टीम के साथ भोपाल में कांग्रेस प्रत्याशी को मुश्किल में डालने की रणनीति में जुटे हैं. उनका साथ भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा भी दे रहे हैं.

मध्यप्रदेश में भाजपा ने भोपाल से साध्वी को जीताने के लिए एक तरह से शिवराज सिंह चौहान को जिम्मेदारी सौंप दी है. भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने शिवराज को पूरे समय के लिए मध्यप्रदेश की कमान सौंपकर साफ संकेत दिया है कि उन्हें देश के अन्य राज्यों से ज्यादा चिंता मध्यप्रदेश की रखनी है. शिवराज पर प्रदेश की 29 सीटों की जिम्मेदारी सौंपी गई है, मगर विशेषकर उन्हें भोपाल के अलावा खजुराहो सीट की जिम्मेदारी भी है. दोनों ही स्थानों पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े रहे प्रज्ञा सिंह ठाकुर और वी.डी.शर्मा मैदान में हैं. इसके अलावा विदिशा में शिवराज समर्थक रमाकांत भार्गव मैदान में है. यही वजह है कि शिवराज ने भी पदाधिकारियों की बैठक में साफ कर दिया कि प्रज्ञा, रमाकांत भार्गव और वी.डी.शर्मा के क्षेत्रों में भीतरघात जैसी बात न होने को कहा है. शिवराज ने साफ कहा कि यहां पर किसी तरह की गड़बड़ी नहीं होनी चाहिए.

दिग्विजय के लिए मुसीबत बन सकते हैं शिवराज

शिवराज सिंह चौहान जिस तरह से प्रज्ञा सिंह ठाकुर के प्रत्याशी बनाए जाने के बाद से सक्रिय हुए हैं, उससे कांग्रेस प्रत्याशी दिग्विजय सिंह की मुसीबत बढ़ सकती है. शिवराज ही एक ऐसे नेता है जो भोपाल के सभी विधायकों और पदाधिकारियों को एकजुट कर सकते हैं. इसके अलावा उनकी भी भोपाल में अच्छी पकड़ है. इस वजह से प्रज्ञा के लिए वे ज्यादा से ज्यादा जनसंपर्क और सभाएं लेने की रणनीति पर भी काम करेंगे. शिवराज यहां पर कार्यकर्ताओं को सक्रिय करने में भी सफल रहेंगे. प्रत्याशी चयन के पहले जो भाजपा में गुटबाजी दिखाई दे रही थी, उन गुटों को साधने में भी वे बुधवार से ही जुट गए हैं.

संघ भी लेने लगा बैठकें

भाजपा संगठन के अलावा संघ ने भी अपनी सक्रियता बढ़ा दी है. जल्द ही संघ कार्यकर्ता और पदाधिकारी मैदान में नजर आएंगे. संघ पदाधिकारियों की भी बैठकों का दौर तेज हो चला है. संघ ने तय किया है कि दिग्विजय सिंह द्वारा हिन्दू आतंकवाद को लेकर जो बयान दिए गए हैं, उन बयानों को मतदाता तक पहुंचाना है. ऐसी परिस्थिति को निर्मित करना है कि भोपाल का चुनाव हिन्दुत्व और राष्ट्रवाद की राह पकड़ ले.

दिग्विजय 20 को प्रज्ञा 23 को भरेंगे नामांकन

भोपाल संसदीय सीट से कांग्रेस और भाजपा के प्रत्याशियों ने अपना नामांकन भरने की तारीख भी तय कर ली है. दिग्विजय सिंह बिना भीड़-भाड़ के सादगी के साथ नामांकन भरने पहुंचेंगे. वे 20 अप्रैल को अपना नामांकन भरेंगे. उन्होंने अपने समर्थकों से अपील भी की है कि उनके नामांकन भरने के लिए रैली नहीं होगी, इसलिए कार्यकर्ता भोपाल न आएं, बल्कि अपने क्षेत्रों में रहकर कांग्रेस प्रत्याशी की जीत सुनिश्चित हो इसके लिए कार्य करें. वहीं भाजपा प्रत्याशी प्रज्ञा सिंह ठाकुर भी 23 अप्रैल को अपना नामांकन भरेंगे. उनके लिए भाजपा के भोपाल जिला अध्यक्ष विकास विरानी बुधवार को ही नामांकन खरीद लाएं है. प्रज्ञा रैली के रुप में जाकर नामांकन भरेंगी या नहीं, इसकी रणनीति अभी भाजपा नेताओं ने नहीं बनाई है.

परिणाम प्रभावित करेगा जातिगत समीकरण

भाजपा की ओर से प्रज्ञा सिंह ठाकुर को मैदान में उतारने के साथ यह माना जाने लगा है कि भोपाल संसदीय क्षेत्र में परिणाम को जातिगत समीकरण प्रभावित करेगा. पूरे संसदीय क्षेत्र की आठ विधानसभा सीटोंं में करीब 70 से 80 प्रतिशत मतदाता हिन्दू और 20 मुस्लिम मतदाता है. अनुसूचित जाति वर्ग के मतदाता 14 और अनुसूचित जनजाति वर्ग के करीब 3 प्रतिशत मतदाता इस संसदीय क्षेत्र में हैं. 21 प्रतिशत मतदाता ग्रामीण और शेष शहरी मतदाता हैं. 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा का 5 और कांग्रेस का 3 सीटों पर कब्जा रहा है.

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